श्रीनगर: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में कथित तौर पर अवैध हथियार लाइसेंस जारी करने के मामले में एक वरिष्ठ नौकरशाह के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है. एक आधिकारिक आदेश से पता चला कि 2010 बैच के आईएएस अधिकारी कुमार राजीव रंजन के खिलाफ भ्रष्टाचार विरोधी अपराधों के लिए मंजूरी दी गई है. वह पहले कुपवाड़ा के डिप्टी कमिश्नर के रूप में तैनात थे.
आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले में रंजन के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है. पिछले मेल का हवाला देते हुए आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 2006 की धारा 6 के तहत कुमार के खिलाफ मामले की मंजूरी देने का आदेश 28 नवंबर 2024 को दी गई.
अन्य बातों के अलावा इसमें भ्रष्ट या अवैध तरीकों से या लोक सेवक के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करके स्वयं के लिए या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई मूल्यवान वस्तु या आर्थिक लाभ प्राप्त करना भी शामिल है. जांच के दौरान सीबीआई ने 2012 से 2016 के बीच जिला मजिस्ट्रेट के रूप में हथियार लाइसेंस जारी करने के कथित घोटाले में उनके नाम सामने आने के बाद रंजन को गिरफ्तार किया था.
प्रमुख एजेंसी ने खुलासा किया था कि जम्मू-कश्मीर के आठ जिलों में जिला मजिस्ट्रेटों द्वारा दो लाख से अधिक लाइसेंस धोखाधड़ी से जारी किए गए थे. इनमें से 95 प्रतिशत देश के विभिन्न हिस्सों में सेवारत लोगों को 'मौद्रिक विचार के बदले' जारी किए गए थे और जो न तो तत्कालीन राज्य के निवासी थे और न ही संबंधित जिलों के संबंधित अधिकार क्षेत्र में तैनात थे.
इन जिलों में कुपवाड़ा, बारामूला, शोपियां, पुलवामा, उधमपुर, किश्तवाड़, राजौरी और डोडा शामिल हैं. इसके साथ ही वहां तैनात आठ जिलाधिकारियों के खिलाफ भी मामले की जांच की जा रही है.
यह मामला तब उजागर हुआ जब राजस्थान के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) को 2017 में राजस्थान के कुछ अपराधियों और राजस्थान और जम्मू-कश्मीर के हथियार डीलरों के बीच कथित गठजोड़ का पता चला.
सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर सरकार की मंजूरी और 2018 में केंद्र सरकार से आगे की अधिसूचना मिलने के बाद मामला दर्ज किया था. तत्कालीन राज्यपाल एनएन वोहरा द्वारा सीबीआई को मामला संभालने की अनुमति देने से पहले इस मामले की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा की जा रही थी.