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नवादा: शिक्षक की अनोखी पहल, बच्चों के लिए स्कूल की दीवारों पर बिखेरे रंग

बच्चों की उपस्थिति में कमी देखकर मीडिल स्कूल के शिक्षक ने दीवारों पर पेंटिंग शुरु की है. अब स्कूल आकर्षण का केंद्र बन गया है. बच्चे भी स्कूल आने लगे है.

चित्रकारी करते श्रीकांत कुमार
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Published : May 21, 2019, 9:54 AM IST

नवादा: जिले के वारसलीगंज प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय की दीवारें चित्रकारी से गुलजार हो रही है. स्कूल के टीचर श्रीकांत कुमार ने बच्चों की उपस्थिति में कमी देखकर कुछ करने की ठानी, और फिर अपनी टीचर पत्नी से चित्रकारी सीख कर स्कूल की दीवारों पर अपनी कलाकारी के रंग बिखेर दिए.

चित्रकारी देखने आते हैं लोग
पहले स्कूल में बच्चे पढ़ने जाने से हिचकते थे. वहां आज एक शिक्षक की चित्रकारी से विद्यालय का कोना-कोना गुलजार होने लगा है. जो बच्चे स्कूल की ओर देखना पसंद नहीं करते थे आज वही स्कूल की बढ़ती सुंदरता निहारने आ रहे हैं.

चित्रकारी करने वाले टीचर श्रीकांत कुमार का बयान

पिछले डेढ़ महीने से चल रहा यह सिलसिला
टीचर श्रीकांत अपने स्कूल को आकर्षण का केंद्र बनाने में पिछले डेढ़ महीने से लगातार डटे हुए हैं. अपना धन और अपना श्रम लगाकर विद्यालय को आगे बढ़ाने में लगे हैं.

क्या कहते है अभिभावक और उनके बच्चें
श्रीकांत की इस पहल पर अभिभावक का कहना है कि बच्चे पहले स्कूल जाने से हिचकते थे, जबसे सर जी चित्रकारी करने लगे हैं तब से स्कूल जाने में बच्चे को मन लगने लगा है. वहीं, बच्चे का कहना है पढ़ाई के साथ साथ हमलोग चित्रकारी भी सीख रहे हैं इसके दिमाग भी बढ़ रहा है और पढ़ाई में भी मन लग रहा है.

नवादा: जिले के वारसलीगंज प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय की दीवारें चित्रकारी से गुलजार हो रही है. स्कूल के टीचर श्रीकांत कुमार ने बच्चों की उपस्थिति में कमी देखकर कुछ करने की ठानी, और फिर अपनी टीचर पत्नी से चित्रकारी सीख कर स्कूल की दीवारों पर अपनी कलाकारी के रंग बिखेर दिए.

चित्रकारी देखने आते हैं लोग
पहले स्कूल में बच्चे पढ़ने जाने से हिचकते थे. वहां आज एक शिक्षक की चित्रकारी से विद्यालय का कोना-कोना गुलजार होने लगा है. जो बच्चे स्कूल की ओर देखना पसंद नहीं करते थे आज वही स्कूल की बढ़ती सुंदरता निहारने आ रहे हैं.

चित्रकारी करने वाले टीचर श्रीकांत कुमार का बयान

पिछले डेढ़ महीने से चल रहा यह सिलसिला
टीचर श्रीकांत अपने स्कूल को आकर्षण का केंद्र बनाने में पिछले डेढ़ महीने से लगातार डटे हुए हैं. अपना धन और अपना श्रम लगाकर विद्यालय को आगे बढ़ाने में लगे हैं.

क्या कहते है अभिभावक और उनके बच्चें
श्रीकांत की इस पहल पर अभिभावक का कहना है कि बच्चे पहले स्कूल जाने से हिचकते थे, जबसे सर जी चित्रकारी करने लगे हैं तब से स्कूल जाने में बच्चे को मन लगने लगा है. वहीं, बच्चे का कहना है पढ़ाई के साथ साथ हमलोग चित्रकारी भी सीख रहे हैं इसके दिमाग भी बढ़ रहा है और पढ़ाई में भी मन लग रहा है.

Intro:नवादा। 'काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये, हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जाये, यह जिंदगी तो सब काट लेते हैं,जिंदगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये।' जी हां, कुछ ऐसे पंक्तियों को दिल में दबाये स्कूल की दीवारों पर उकेरते जा रहे हैं जिले वारसलीगंज प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय बहरोईचक के नियोजित शिक्षक श्रीकांत कुमार। श्रीकुमार कोई प्रोफेशनल चित्रकार नहीं हैं वो तो एक शिक्षक हैं लेकिन कुछ नया करने की जज़्बा ने उन्हें चर्चा में ला खड़ा कर दिया है। उनके चित्रकारी से स्कूल के कोने-कोने गुलजार हो रहे हैं। लोग उनकी पेंटिंग के देखने के लिए स्कूल पहुंच रहे हैं। देखने के बाद तारीफ़ कर रहे हैं और उनसे कुछ सीखने की कोशिशें भी कर रहे हैं।




Body:बच्चों की कम उपस्थिति से आया आइडिया

जब श्रीगौतम डायट गया से ट्रेनिंग जब इस विद्यालय में ज्वाइन किया तो बच्चों की उपस्थिति काफी कम थी जिसके बाद से उन्होंने बच्चों की उपस्थिति कैसे बढ़े इसके लिए तरक़ीब निकालने में जुट गये। फिर उन्होंने काफी सोच विचार कर तय किया कि बच्चों को आकर्षित करने के लिए सबसे पहले विद्यालय परिसर को ही आकर्षक बनाया जाय। इन्हीं उद्देश्यों के साथ कई तरह मनमोहक और ज्ञानवर्धक चित्र बना गए हैं। अब देखते-देखते बच्चे भी चित्रकारी की ओर आकर्षित होने लगे हैं साथ ही अपने गुरु जी से बेहतर करने की भी बातें करने लगे हैं।

पत्नी से सीखा पेंटिंग

अपने विद्यालय परिसर को आकर्षक बनाने का निश्चय तो कर लिए लेकिन पेंटिंग करनी आती नहीं थी। फिर पत्नी से पेंटिंग का हुनर सीखे और लग गए विद्यालय को सजाने और सँवारने में। बात दें कि, इसकी पत्नी भी सरकारी स्कूल में नियोजित शिक्षिका हैं और चित्रकारी की अच्छी कला जानती है।

चित्रकारी को देखने आते हैं लोग

एक ऐसा विद्यायल जहां बच्चे पढ़ने जाने से हिचकते थे वहां गुरु जी की चित्रकारी से विद्यालय का कोना-कोना गुलजार होने लगा है जो वहां एकबार मुँह उठाकर विद्यालय की ओर देखना नहीं पसंद करते थे आज वही लोग विद्यालय की बढ़ती सुंदरता निहारने आ रहे हैं।

पिछले डेढ़ महीने से चल रहा यह सिलसिला


विद्यालय को आकर्षण का केंद्र बनाने में पिछले डेढ़ महीने से लगातार लगे हुए हैं। धन भी अपना और श्रम भी अपना लगाकर विद्यालय को आगे बढ़ाने में लगे हैं। और अभी न जाने कितने दिन लगेंगे।

क्या कहते है अभिभावक और उनके बच्चें

पहले स्कूल जाने से हिचकता था। जबसे सर जी चित्राकारी करने लगे हैं तब से स्कूल जाने में बच्चे को मन लगने लगा है। वहीं, बच्चे का कहना है पढ़ाई के साथ साथ हमलोग चित्रकारी भी सीख रहे हैं इसके दिमाग भी बढ़ रहा है।







Conclusion:कहते हैं शिक्षक देश के भविष्य का निर्माता होते हैं उन्हें बच्चों को शिक्षित करने और पढ़ाई की ओर आकर्षित करने के हुनर होते हैं। चाहे माध्यम अलग क्यों न हो। इन शिक्षकों का बच्चों को विद्यालय की ओर आकर्षित करने का यह नायाब तरीका आसपास के लोगों को काफी भा रहा है।
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