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नवादाः जीर्णोद्धार का इंतजार कर रहा जिले का सबसे बड़ा तालाब

लोगों का कहना है कि जिले में इतना बड़ा तालाब कहीं नहीं है. सबसे पहले तो इसकी खुदाई होनी चाहिए. खुदाई हो जाती तो हमारे गांव का विकास होता. पटवन में सुविधा होती. लेकिन अभी तक इसके विकास के लिए सरकार की तरफ से कोई फंड नहीं आया है.

कोण तालाब
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Published : Jul 24, 2019, 2:31 PM IST

नवादाः जिले के वारसलीगंज प्रखंड के अपसढ़ गांव स्थित कोण तालाब गुप्तकाल में बना लगभग 360 एकड़ में फैला हुआ तालाब था. जो आज सिकुड़ कर डेढ़ सौ से दो सौ एकड़ तक रह गया है. सालों से खुदाई नहीं होने के कारण उसमें जल संचयन सही से नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण तालाब लगभग सूख चुका है. तालाब सूखने से आसपास के कई गांवों का जलस्तर नीचे चला गया है. किसान को पटवन के लिए पर्याप्त पानी भी नहीं मिल पा रहा है. अगर इस ऐतिहासिक तालाब को पर्यटन के दृष्टि से फिर से नया और सुंदर बना दिया जाए तो यहां के लोगों के लिए यह काफी लाभदायक होगा.

नवादा
नवादा का अपसढ़ गांव जहां कोण तालाब स्थित है

गुप्तकाल में हुआ था तालाब का निर्माण
गुप्तकाल में आदित्य सेन की पत्नी कोण देवी ने इस तालाब का निर्माण कराया था. जो करीब 360 एकड़ में फैला हुआ था. कहा जाता है कि कोण देवी उस तालाब में प्रत्येक दिन स्नान करने आती थी.

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कोई काम नहीं
पार्वती विरासत संरक्षण समिति के अध्यक्ष प्रो. जुगल किशोर सिंह का कहना है कि यह तालाब काफी सुख चुका है. इसको नया बनाने के लिए 12 करोड़ देने की बात 2017-18 में ही कही गई थी. लेकिन वो अभी तक नहीं हुआ है. जबकि 2017 में पटना हाईकोर्ट ने 2-3 महीने के अंदर कार्य करने का आदेश दिया था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है.

अपसढ़ गांव स्थित कोण तालाब

क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिले में इतना बड़ा तालाब कहीं नहीं है. सबसे पहले तो इसकी खुदाई होनी चाहिए. खुदाई हो जाती तो हमारे गांव का विकास होता. पटवन में सुविधा होती. लेकिन अभी तक इसके विकास के लिए सरकार की तरफ से कोई फंड नहीं आया है. पप्पू सिंह कहते हैं गर्मी में यह तालाब सूख जाता है. इसको फिर से नया बनाने की जरूरत है. हमारे गांव के 75 प्रतिशत चापाकल का लेयर नीचे गिर चुका है. अगर खुदाई होगी तो जल का संचय होगा, जल स्तर भी बढेंगें और सिंचाई में भी मदद मिलेगी.

नवादाः जिले के वारसलीगंज प्रखंड के अपसढ़ गांव स्थित कोण तालाब गुप्तकाल में बना लगभग 360 एकड़ में फैला हुआ तालाब था. जो आज सिकुड़ कर डेढ़ सौ से दो सौ एकड़ तक रह गया है. सालों से खुदाई नहीं होने के कारण उसमें जल संचयन सही से नहीं हो पा रहा है, जिसके कारण तालाब लगभग सूख चुका है. तालाब सूखने से आसपास के कई गांवों का जलस्तर नीचे चला गया है. किसान को पटवन के लिए पर्याप्त पानी भी नहीं मिल पा रहा है. अगर इस ऐतिहासिक तालाब को पर्यटन के दृष्टि से फिर से नया और सुंदर बना दिया जाए तो यहां के लोगों के लिए यह काफी लाभदायक होगा.

नवादा
नवादा का अपसढ़ गांव जहां कोण तालाब स्थित है

गुप्तकाल में हुआ था तालाब का निर्माण
गुप्तकाल में आदित्य सेन की पत्नी कोण देवी ने इस तालाब का निर्माण कराया था. जो करीब 360 एकड़ में फैला हुआ था. कहा जाता है कि कोण देवी उस तालाब में प्रत्येक दिन स्नान करने आती थी.

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कोई काम नहीं
पार्वती विरासत संरक्षण समिति के अध्यक्ष प्रो. जुगल किशोर सिंह का कहना है कि यह तालाब काफी सुख चुका है. इसको नया बनाने के लिए 12 करोड़ देने की बात 2017-18 में ही कही गई थी. लेकिन वो अभी तक नहीं हुआ है. जबकि 2017 में पटना हाईकोर्ट ने 2-3 महीने के अंदर कार्य करने का आदेश दिया था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है.

अपसढ़ गांव स्थित कोण तालाब

क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
स्थानीय लोगों का कहना है कि जिले में इतना बड़ा तालाब कहीं नहीं है. सबसे पहले तो इसकी खुदाई होनी चाहिए. खुदाई हो जाती तो हमारे गांव का विकास होता. पटवन में सुविधा होती. लेकिन अभी तक इसके विकास के लिए सरकार की तरफ से कोई फंड नहीं आया है. पप्पू सिंह कहते हैं गर्मी में यह तालाब सूख जाता है. इसको फिर से नया बनाने की जरूरत है. हमारे गांव के 75 प्रतिशत चापाकल का लेयर नीचे गिर चुका है. अगर खुदाई होगी तो जल का संचय होगा, जल स्तर भी बढेंगें और सिंचाई में भी मदद मिलेगी.

Intro:नवादा। केंद्र हो या राज्य की सरकारें जल संरक्षण के लिए नये तालाब का निर्माण तो कर रही है लेकिन जिले के वारसलीगंज प्रखंड के अपसढ़ गांव स्थित कोण तालाब जिले के सबसे बड़े और ऐतिहासिक तालाब होने के बावजूद आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। गुप्तकाल में बने यह तालाब लगभग 360 एकड़ में फैली हुई थी जो आज सिकुड़कर डेढ़ सौ से दो सौ एकड़ तक रह गई है। वर्षों से खुदाई नहीं होने के कारण जल संचयन सही से नहीं हो पाती है जिसके कारण तालाब के बड़े हिस्से सूख चुके हैं। तालाब सूखने से इसके आसपास के कई गांवों में जलस्तर नीचे चला गया है। किसान को पटवन के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है अगर इस ऐतिहासिक तालाब को पर्यटन के दृष्टि से जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण कर दिया जाए तो यहां के लोगों के लिए काफी लाभदायक होगा।




Body:गुप्तकाल में हुआ था तालाब का निर्माण

गुप्तकाल में आदित्य सेन की पत्नी कोण देवी इस तालाब का निर्माण कराया था जो करीब 360 एकड़ में फैली हुई है। कहा जाता है कि कोण देवी उस तालाब में प्रत्येक दिन स्नान करने आती थी।


क्या कहते हैं स्थानीय लोग

रमाकांत सिंह कहते हैं जिले में इतना बड़ा तालाब कहीं नहीं है सबसे पहले तो इसकी खुदाई होनी चाहिए। खुदाई हो जाता तो
तो हमारे गांव का विकास होता। पटवन में सुविधा होता लेकिन अभी तक इसके विकास के लिए कोई फंड नहीं आया है।

पप्पू सिंह कहते हैं गर्मी में सूख जाता है इसकी खुदाई व जीर्णोद्धार होना चाहिए। क्योंकि हमारे गांव के 75 प्रतिशत चापाकल का लेयर गिर चुका है अगर खुदाई होती है तो जल का संचय होगा और जल स्तर भी बढेंगें। सिंचाई में भी मदद मिलेगी।

इतिहास के जानकर

पार्वती विरासत संरक्षण समिति के अध्यक्ष प्रो. जुगल किशोर सिंह का कहना है कि, यह तालाब काफी जर्जर हो चुका है। इसके जीर्णोद्धार के लिए 12 करोड़ देने की बात 2017-18 में ही कही गई थी वो अभी तक कहाँ है नहीं है कोई पता नहीं है। जबकि 2017 में ही माननीय हाई कोर्ट ने 2-3 महीने के अंदर कार्य करने के आदेश दिए थे लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है।



Conclusion:जिले के सबसे बड़े तालाब आखिर कब तक धरोहरें उपेक्षित रहेगी ? सरकार इसे जल्द से जल्द जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण करे।
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