नवादा: जिला मुख्यालय से 38 किमी दूर पकड़ीबरावां-कौआकोल मार्ग पर स्थित देवनगढ़ अपने गौरवशाली इतिहास का गवाह है. यहां खुदाई के वक्त कई सारी प्राचीनकाल की मूर्तियां मिली हैं. देवनगढ़ में पुरातत्व विभाग की ओर से उत्खनन कराया गया था पर दुर्भग्यवश अब यह प्रक्रिया थम गई है.
देवनगढ़ में खुदाई के दौरान प्रथम शताब्दी में बनी बलराम, वासुदेव और कांसा की मूर्तियां प्राप्त हुई हैं जिसे पटना संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है. जब 1988 में पुरातत्व विभाग की ओर से उत्खन्न किया गया तो 11वीं शताब्दी की धातु निर्मित बौद्ध देवी मंजूश्री की प्रतिमाएं मिली थी. इसके अलावा कई प्रकार के पुरावशेष भी मिले थे.
2017-18 में फिर हुई खुदाई
करीब 20 साल बाद एकबार फिर पुरातत्व विभाग की ओर से 2017-18 में खुदाई की गई तब वहां से एक चौखट मिली. लोगों का कहना है कि खुदाई के वक्त यहां शिवलिंग मिला था. इलके अलावा भगवान शिव और गणेश की मूर्ति मिली थी. इससे यह साबित हो गया कि यहां कुछ न कुछ भारत के गौरवशाली इतिहास का पुरावशेष जरूर छिपा है. लेकिन जिस हिसाब से जिज्ञासा के साथ काम वहां होनी चाहिए वो नहीं हो सका. फिलहाल काम ठप्प पड़ा है.
क्या कहते हैं इतिहासकार
युवा इतिहासकार व विरासत बचाओ अभियान के संयोजक अशोक प्रियदर्शी बताते हैं कि देवनगढ़ नवादा के पुरातत्व के दृष्टिकोण से सबसे पुरानी जगह है. पहली शताब्दी का सबसे पहला अवशेष यहीं मिला है. उसके बाद प्रागैतिहासिक काल का भी अवशेष मिला है. पहली शताब्दी की बनी बलराम वासुदेव और कांसा की मूर्ति आज भी पटना म्यूजियम में संरक्षित है.