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टूटता दिख रहा है गिरिरिज सिंह का सपना, महिलाएं बोलीं- जो कहा था वैसा नहीं हो रहा

हरित खादी और सोलर चर्खा प्रशिक्षण केन्द्र के प्रोडक्शन मैनेजर का कहना है कि यहां ताला नहीं लगा है, कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं कि काम को रोकना पड़ा है.

काम करती महिलाएं
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Published : Jul 3, 2019, 11:43 AM IST

नवादा: जिले के पूर्व सांसद गिरिराज सिंह का हरित खादी और सोलर चरखा प्रशिक्षण केंन्द्र मिशन के सपने पर ग्रहण लगता दिख रहा है. यहां के खनवां गांव में सोलर चरखा प्रशिक्षण केन्द्र में काम कर रहे कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है. महिला आत्मनिर्भर होकर काम करती थी और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हुआ करती थी. अब उन सभी ने यहां से काम छोड़ दिया है. सभी लोग अपने वेतन के लिए ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं.

दरअसल, खनवां गांव में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत हरित खादी और सोलर चरखा प्रशिक्षण केंन्द्र में लोगों को रोजगार देने का काम चल रहा था. अब यहां लोगों को खाने के लाले पड़ रहे हैं. पिछले छह महीने से यहां काम कर रहे लोगों को उनका मेहनताना नहीं मिला है. सभी यूनिट में पिछले दो महीने से ताले लटक रहे हैं. हालांकि, इस प्रोजेक्ट को प्रबंधकों के द्वारा फिर से चालू करने की बात कही जा रही है.

nawada
ठप पड़ा सोलर चरखा एवं प्रशिक्षण केन्द्र

कर्मचारियों की परेशानी

यहां काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि किसी समस्या के कारण उन्हें दो महीने के लिए काम से हटाने की बात कही गई थी. फिर बाद में वापस बुला लेने का आश्वासन मिला. उन्होंने कहा कि जब बकाया वेतन की मांग की तो ऑफिसर इस पर बात करने से कतराने लगे. उन्होंने कहा कि वेतन नहीं मिलने से उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी.

महिला कर्मचारी ने बताया कि मंत्री जी ने काम के लिए सभी महिलाओं को आगे आने की बात कही थी. परिवार वालों की मदद से लोन पर चरखा भी ले लिया. लेकिन, जब से काम ठप पड़ा है. तब से न तो लोन चुकता हो रहा है और न ही काम मिल रहा है.

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रविन्द्र कुमार ठाकुर, प्रोडक्शन मैनेजर

क्या कहते हैं प्रोडक्शन मैनेजर

वहीं, प्रोडक्शन मैनेजर रविन्द्र कुमार ठाकुर का कहना है कि यहां ताला नहीं लगा है. कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं कि काम को रोकना पड़ा है. साल 2017 से यहां जो भी यार्ड का प्रोडक्शन हुआ वो पूरी तरह से वेस्टेज निकला. जिसमें कंपनी को काफी नुकसान हुआ है. जल्द ही इस समस्या से निबटारा कर फिर से काम को शुरू कर दिया जाएगा.

नवादा से राहुल राय की रिपोर्ट

2017 में सोलर चरखा एवं प्रशिक्षण हुआ शुरू

प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में खानवां को आदर्श गांव के रूप में गोद लिया गया. इसके बाद इसे डेवलप करने की जद्दोजहद शुरू हुई. 15 जनवरी 2017 को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग और भारतीय हरित खादी ग्रामोद्योग संस्थान की पहल से खानवां में सोलर चरखा प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र की औपचारिक रूप से शुरुआत की गई.

यह था मुख्य उद्देश्य

महिला को स्वावलंबन करना, खादी के उत्पादन में वृद्धि करना, युवाओं का कौशल विकास करना और रोजगार मुहैया करना इसका मुख्य उद्देश्य था. ऐसे दावे किए जा रहे थे कि करीब हजार महिलाएं इससे जुड़ी थी और अपना परिवार चला पा रही थी. लेकिन, अभी एक भी महिला यहां नजर नहीं आ रही है.

नवादा: जिले के पूर्व सांसद गिरिराज सिंह का हरित खादी और सोलर चरखा प्रशिक्षण केंन्द्र मिशन के सपने पर ग्रहण लगता दिख रहा है. यहां के खनवां गांव में सोलर चरखा प्रशिक्षण केन्द्र में काम कर रहे कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है. महिला आत्मनिर्भर होकर काम करती थी और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हुआ करती थी. अब उन सभी ने यहां से काम छोड़ दिया है. सभी लोग अपने वेतन के लिए ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं.

दरअसल, खनवां गांव में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत हरित खादी और सोलर चरखा प्रशिक्षण केंन्द्र में लोगों को रोजगार देने का काम चल रहा था. अब यहां लोगों को खाने के लाले पड़ रहे हैं. पिछले छह महीने से यहां काम कर रहे लोगों को उनका मेहनताना नहीं मिला है. सभी यूनिट में पिछले दो महीने से ताले लटक रहे हैं. हालांकि, इस प्रोजेक्ट को प्रबंधकों के द्वारा फिर से चालू करने की बात कही जा रही है.

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ठप पड़ा सोलर चरखा एवं प्रशिक्षण केन्द्र

कर्मचारियों की परेशानी

यहां काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि किसी समस्या के कारण उन्हें दो महीने के लिए काम से हटाने की बात कही गई थी. फिर बाद में वापस बुला लेने का आश्वासन मिला. उन्होंने कहा कि जब बकाया वेतन की मांग की तो ऑफिसर इस पर बात करने से कतराने लगे. उन्होंने कहा कि वेतन नहीं मिलने से उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी.

महिला कर्मचारी ने बताया कि मंत्री जी ने काम के लिए सभी महिलाओं को आगे आने की बात कही थी. परिवार वालों की मदद से लोन पर चरखा भी ले लिया. लेकिन, जब से काम ठप पड़ा है. तब से न तो लोन चुकता हो रहा है और न ही काम मिल रहा है.

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रविन्द्र कुमार ठाकुर, प्रोडक्शन मैनेजर

क्या कहते हैं प्रोडक्शन मैनेजर

वहीं, प्रोडक्शन मैनेजर रविन्द्र कुमार ठाकुर का कहना है कि यहां ताला नहीं लगा है. कुछ परिस्थितियां ऐसी हैं कि काम को रोकना पड़ा है. साल 2017 से यहां जो भी यार्ड का प्रोडक्शन हुआ वो पूरी तरह से वेस्टेज निकला. जिसमें कंपनी को काफी नुकसान हुआ है. जल्द ही इस समस्या से निबटारा कर फिर से काम को शुरू कर दिया जाएगा.

नवादा से राहुल राय की रिपोर्ट

2017 में सोलर चरखा एवं प्रशिक्षण हुआ शुरू

प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में खानवां को आदर्श गांव के रूप में गोद लिया गया. इसके बाद इसे डेवलप करने की जद्दोजहद शुरू हुई. 15 जनवरी 2017 को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग और भारतीय हरित खादी ग्रामोद्योग संस्थान की पहल से खानवां में सोलर चरखा प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र की औपचारिक रूप से शुरुआत की गई.

यह था मुख्य उद्देश्य

महिला को स्वावलंबन करना, खादी के उत्पादन में वृद्धि करना, युवाओं का कौशल विकास करना और रोजगार मुहैया करना इसका मुख्य उद्देश्य था. ऐसे दावे किए जा रहे थे कि करीब हजार महिलाएं इससे जुड़ी थी और अपना परिवार चला पा रही थी. लेकिन, अभी एक भी महिला यहां नजर नहीं आ रही है.

Intro:नवादा। जिले के पूर्व सांसद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का खनवां को हरित खादी और सोलर चरखा मिशन के जरिए विश्व पटल पर लाने के सपनों पर अब ग्रहण लगता दिख रहा है। गिरिराज सिंह अक्सर अपने संबोधन में कहा करते थे, मैं खनवां को एक प्रयोगशाला के रूप में स्थापित करूंगा लेकिन उनके इन सपनों पर ताला जड़ दिया गया है। जिस खनवां का नाम हरित खादी और सोलर चरखा के क्षेत्र में किए कार्यों से देश ही नहीं विश्वभर में चर्चा का विषय बना था आज उसी के बंद होने की चर्चें उठने लगी है। जबसे गिरिराज सिंह का नवादा से जाना तय हुआ तब से किसी को उसका मेहनतताना नहीं मिला है....कभी महिला स्वावलंबन के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी यहां की महिलाएं अब यहां काम करना छोड़ दी है...सारे यूनिट में पिछले दो महीने से ताले लटक रहे हैं...पिछले छह महीने से किसी को मेहनतताने नहीं मिले हैं यहां काम करनेवाले पुरूष हो या महिलाएं प्रत्येक दिन अपने मेहनतताने के लिए ऑफिस का चक्कर लगा रहे हैं तो कुछ अब भी आस लगाये बैठे हैं लेकिन जो हालात हैं इस प्रोजेक्ट की है उससे भावी परिस्थितियां आशंकित नज़र आ रही है। हालांकि, प्रबंधकों के द्वारा यूनिट पुनः चालू करने की बात कही जा रही है अब देखना यह होगा कि यह अपने पुराने रुतबे में वापिस आती है या फिर सदा के लिए बाय-बाय करती है।




Body:2017 में सोलर चरखा एवं प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र हुआ शुरू

प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल में खानवां को आदर्श गांव के रूप में गोद लेने के बाद से इसे डेवलप करने की जद्दोजहद शुरू हुई। 15 जनवरी 2017 को सूक्ष्म,लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग और भारतीय हरित खादी ग्रामोद्योग संस्थान की पहल से खानवां में सोलर चरखा प्रशिक्षण सह उत्पादन केंद्र की औपचारिक रूप से शुरुआत की गई। जिसमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकड़ी को आना था लेकिन किसी कारणवश नहीं आ सके।

ये थे मुख्य उद्देश्य

महिला को स्वावलंबन करना, खादी के उत्पादन में वृद्धि करना, युवाओं का कौशल विकास करना और रोजगार मुहैया करना। दावें किए जा रहे हैं कि करीब हजार महिलाएं इससे जुड़ी थी और अपना परिवार चला पा रही थी लेकिन अभी एक महिलाएं यहां नज़र नहीं आ रही है। एक जगह इतने सारे समस्याओं का समाधान हो सकता था लेकिन मौजूदा परिस्थिति अनुकूल नहीं दिख रहा है।

500 एकड़ में फैला है यह प्रॉजेक्ट, इसमें लगे हैं कई प्लांट

पांच सौ एकड़ में फैले इस प्रोजेक्ट में सोलर चरखा प्रशिक्षण सह उत्पादन से लेकर अन्य कई तरह के प्लांट लगाये गये हैं जिसमें ताड़ी से बननेवाले नीरा का प्लांट, गौ-मूत्र से बननेवाले जैविक एसिड का प्लांट और गोबर से बननेवाले मूर्तियों के प्लांट शामिल है लेकिन वर्तमान में सभी प्लांट ठप्प पड़े हुए हैं।


6 महीने से नहीं मिले सैलरी,2 महीने से लटके है यूनिट में ताले

इसमें काम करनेवाले कर्मी को छह महीने से सैलरी नहीं मिले हैं। कभी यहां के महिलाओं के बारे में कहा जाता था कि, यहां काम करनेवाली महिलाएं 6-10 हजार रुपये महीने में कमा लेती है लेकिन आज सभी बेरोजगार बने पड़े हैं।

क्या कहती हैं यहां काम करनेवाले कर्मी

महिला कर्मी मीना देवी का कहना है, इसे चलना चाहिए ताकि का दाल-रोटी चल सके। छह महीना से हमलोगों को पैसा नहीं मिला है और दो महीना से यह बंद पड़ा है। किसी तरह दाल रोटी चल है वहीं ....कहती है स्थिति हमलोगों की बहुत बुरी है मंत्री जी हमलोगों को रोड पर चढ़कर बेज्जती करवा दिए। पैरवी करके ले गए एखनी हमलोग पैरवी करते हैं तो मंत्री जी दर्शनों नहीं देते हैं। पैसा भी बंद है और पुली भी बंद है। मंत्री जी पैरवी करके चरखा दिला दिए। हमलोग तैयार नहीं थे फिर लोन पर चरखा लिए। अब लोन कैसे चुकाएंगे जब पुली ही बंद है। घर से कैसे चुकायेंगे उतना औक़ातवाला नहीं न है।

वहीं नीरा प्लांट में काम करनेवाले परशुराम सिंह का कहना है , दो महीना पहले पैसे के लिए बोले थे तो बोले कि दो-चार महीना स्थिर रहो तो हम रिजाइन मार दिए थे फिर बोले दो महीने तुम घर बैठो हम तुमको बुला लेंगें। हम बोले हमारा दो महीने का हिसाब कर दीजिए हम सदा के लिए चले जायेंगे। वहीं यहां काम करनेवला माली रामअवतार को भी छह महीने से पैसा नहीं मिला है।


क्या कहते हैं प्रोडक्शन मैनेजर

प्रोडक्शन मैनेजर रविन्द्र कुमार ठाकुर का कहना है कि, यहां ताला नहीं लगा है जिसके बारे में आप कह रहे हैं। कुछ परिस्थितियां ऐसी है। 2017 से हमारे यहां जो भी यार्ड का प्रोडक्शन हुआ वो पूरा का पूरा वेस्टेज निकला। जिसमें कंपनी का पूंजी लगता रहा। उसी वेस्टेज को रोकने के लिए ताला लगा है लेकिन वहीं इन्हीं के टीम के कुछ लोग इसे डीएम के आदेश का हवाला दे रहे हैं। फिलहाल दोनों की बातों में विरोधाभास एक नया आशंका पैदा कर दिया है।




Conclusion:अब क्या होगा उस महिलाएं की जिसके स्वावलबन की गाथाएं गिरिराज सिंह गाते रहते थे? अब देखनेवाली बात यह होगी कि उनकी स्वावलबन की ओर वापसी होती है या फिर अपनी चूल्हा चौका सम्हालती है?
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