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कैसे काम करता है गूगल मैप? इस पर आंख बंद कर भरोसा करना कितना ठीक? जानें - GOOGLE MAPS

गूगल मैप तीन तरह से काम करता है. यह सैटेलाइट इमेजरी, यूजर जनरेटेड डेटा और मशीन लर्निंग के जरिए लोगों का रास्ता बताता है.

कैसे काम करता है गूगल मैप?
कैसे काम करता है गूगल मैप? (फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 26, 2024, 8:09 PM IST

नई दिल्ली: पिछले कुछ साल से लोग सड़क पर वाहनों को सरपट दौड़ाने के लिए गूगल मैप का इस्तेमाल करते आ रहे हैं. हाईस्पीड इंटरनेट के चलते दुनिया भर में गूगल मैप के भरोसे लोग दुर्गम जगहों पर पहुंच रहे हैं. इसके अलावा कई ई कॉमर्स बिजनस और कैब सर्विस पूरी तरह से गूगल मैप पर निर्भर हैं. हालांकि, गूगल मैप कई बार गलत भी साबित हो जाता है. इसकी वजह से मुफ्त में मिलने वाली यह सर्विस लोगों को ऐसी जगह पर फंसा देती है, जहां से आगे रास्ते बंद हो जाते हैं.

हाल ही में उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के फरीदपुर थाना क्षेत्र में हुआ सड़क हादसा इसका सबूत है, जहां गूगल मैप ने कार सवारों को एक निर्माणाधीन पुल के ऊपर पहुंचा दिया, जबकि बाढ़ के चलते पुल का अगला हिस्सा नदी में बह गया था, लेकिन जीपीएस नेविगेशन में यह जानकारी अपडेट नहीं की गई थी. इस वजह से पुल से गुजर रहे कार सवार नीचे नदी में गिर गए और तीन लोगों की जान चली गई.

इस घटना ने लोगों को हैरान कर दिया है और अब उनके मन में गूगल मैप को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. जैसे कि इस पर भरोसा करना कितना ठीक है और यह टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है? बता दें कि गूगल मैप तीन तरह से काम करता है. यह सैटेलाइट इमेजरी, यूजर जनरेटेड डेटा और मशीन लर्निंग के जरिए लोगों का रास्ता बताता है.

सैटेलाइट इमेजरी कैसे यूज करता है गूगल मैप?
गीक्सफॉरगीक्स के मुताबिक गूगल मैप दुनिया की तस्वीरें लेने के लिए सेटेलाइट का इस्तेमाल करता है. ये इमेज बेहद हाई रिजॉल्यूशन वाली होती हैं. इन तस्वीरों से धरती पर किसी भी जगह को बेहद करीब से देखा जा सकता है. जब आप अपने स्मार्टफोन में गूगल मैप इस्तेमाल करते हैं, तो आपके फोन में मौजूद जीपीएस आपकी लोकेशन को ट्रैक करता है और इस डेटा को गूगल मैप को भेजता है. इसी डेटा की मदद से गूगल मैप आपको अपनी लोकेशन दिखाता है.

यूजर जनरेटेड डेटा
इसके अलावा जब कोई यूजर गूगल मैप का इस्तेमाल करता है तो वह अपना डेटा भी जनरेट करता है. जैसे ही कोई यूजर्स किसी जगह की रेटिंग देता है या कोई फोटो अपलोड करता है. गूगल इस डेटा को गूगल मैप को और बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल करने लगता है.

मशीन लर्निंग
इसके अलावा गूगल मैप मशीन लर्निंग का भी इस्तेमाल करता है. इसके जरिए गूगप मैप डेटा का विश्लेषण करता है और पैटर्न को पहचानता है. उदाहरण के लिए, यह ट्रैफिक पैटर्न का विश्लेषण करके आपको सबसे अच्छा रास्ता बताता है. हालांकि, मशीन लर्निंग में कई समस्या हैं. इस वजह से यह कई बार यह गलत रास्ता भी बता देता है.

गूगल मैप पर कितना भरोसा करें?
बेशक गूगल मैप एक बेहद उपयोगी टूल है, लेकिन इस पर हमेशा भरोसा नहीं करना चाहिए. गूगल मैप समय-समय पर अपडेट होता रहता है. इसके बावजूद इसमें गलतियां हो सकती हैं. खासकर छोटी सड़कों या नए बने इलाकों में गूगल मैप का यूज करना परेशानी भरा हो सकता है.

गूगल मैप ट्रैफिक स्टेट्स को भी दिखाता है, लेकिन यह हमेशा सटीक नहीं होता. गूगल मैप जीपीएस सिग्नल और आपके स्मार्टफोन के इंटरनेट स्पीड से भी प्रभावित हो सकता है. इतना ही नहीं कभी-कभी गूगल मैप अधूरे पुल या खतरनाक रास्तों को भी दिखा सकता है. इसलिए अगर आप भी गूगल मैप का इस्तेमाल करते हैं तो आपको हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए.

यह भी पढ़ें- आंध्र प्रदेश: सोशल मीडिया पर अश्लील फोटो, वीडियो पोस्ट करने वालों की अब खैर नहीं, एक्ट तैयार

नई दिल्ली: पिछले कुछ साल से लोग सड़क पर वाहनों को सरपट दौड़ाने के लिए गूगल मैप का इस्तेमाल करते आ रहे हैं. हाईस्पीड इंटरनेट के चलते दुनिया भर में गूगल मैप के भरोसे लोग दुर्गम जगहों पर पहुंच रहे हैं. इसके अलावा कई ई कॉमर्स बिजनस और कैब सर्विस पूरी तरह से गूगल मैप पर निर्भर हैं. हालांकि, गूगल मैप कई बार गलत भी साबित हो जाता है. इसकी वजह से मुफ्त में मिलने वाली यह सर्विस लोगों को ऐसी जगह पर फंसा देती है, जहां से आगे रास्ते बंद हो जाते हैं.

हाल ही में उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के फरीदपुर थाना क्षेत्र में हुआ सड़क हादसा इसका सबूत है, जहां गूगल मैप ने कार सवारों को एक निर्माणाधीन पुल के ऊपर पहुंचा दिया, जबकि बाढ़ के चलते पुल का अगला हिस्सा नदी में बह गया था, लेकिन जीपीएस नेविगेशन में यह जानकारी अपडेट नहीं की गई थी. इस वजह से पुल से गुजर रहे कार सवार नीचे नदी में गिर गए और तीन लोगों की जान चली गई.

इस घटना ने लोगों को हैरान कर दिया है और अब उनके मन में गूगल मैप को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. जैसे कि इस पर भरोसा करना कितना ठीक है और यह टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है? बता दें कि गूगल मैप तीन तरह से काम करता है. यह सैटेलाइट इमेजरी, यूजर जनरेटेड डेटा और मशीन लर्निंग के जरिए लोगों का रास्ता बताता है.

सैटेलाइट इमेजरी कैसे यूज करता है गूगल मैप?
गीक्सफॉरगीक्स के मुताबिक गूगल मैप दुनिया की तस्वीरें लेने के लिए सेटेलाइट का इस्तेमाल करता है. ये इमेज बेहद हाई रिजॉल्यूशन वाली होती हैं. इन तस्वीरों से धरती पर किसी भी जगह को बेहद करीब से देखा जा सकता है. जब आप अपने स्मार्टफोन में गूगल मैप इस्तेमाल करते हैं, तो आपके फोन में मौजूद जीपीएस आपकी लोकेशन को ट्रैक करता है और इस डेटा को गूगल मैप को भेजता है. इसी डेटा की मदद से गूगल मैप आपको अपनी लोकेशन दिखाता है.

यूजर जनरेटेड डेटा
इसके अलावा जब कोई यूजर गूगल मैप का इस्तेमाल करता है तो वह अपना डेटा भी जनरेट करता है. जैसे ही कोई यूजर्स किसी जगह की रेटिंग देता है या कोई फोटो अपलोड करता है. गूगल इस डेटा को गूगल मैप को और बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल करने लगता है.

मशीन लर्निंग
इसके अलावा गूगल मैप मशीन लर्निंग का भी इस्तेमाल करता है. इसके जरिए गूगप मैप डेटा का विश्लेषण करता है और पैटर्न को पहचानता है. उदाहरण के लिए, यह ट्रैफिक पैटर्न का विश्लेषण करके आपको सबसे अच्छा रास्ता बताता है. हालांकि, मशीन लर्निंग में कई समस्या हैं. इस वजह से यह कई बार यह गलत रास्ता भी बता देता है.

गूगल मैप पर कितना भरोसा करें?
बेशक गूगल मैप एक बेहद उपयोगी टूल है, लेकिन इस पर हमेशा भरोसा नहीं करना चाहिए. गूगल मैप समय-समय पर अपडेट होता रहता है. इसके बावजूद इसमें गलतियां हो सकती हैं. खासकर छोटी सड़कों या नए बने इलाकों में गूगल मैप का यूज करना परेशानी भरा हो सकता है.

गूगल मैप ट्रैफिक स्टेट्स को भी दिखाता है, लेकिन यह हमेशा सटीक नहीं होता. गूगल मैप जीपीएस सिग्नल और आपके स्मार्टफोन के इंटरनेट स्पीड से भी प्रभावित हो सकता है. इतना ही नहीं कभी-कभी गूगल मैप अधूरे पुल या खतरनाक रास्तों को भी दिखा सकता है. इसलिए अगर आप भी गूगल मैप का इस्तेमाल करते हैं तो आपको हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए.

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