नवादा: कोरोना संकट को झेल रहा देश अब टिड्डी की मार से परेशान है. बिहार में भी टिड्डी दल ने दस्तक दे दी है. जिसको लेकर सरकार और किसान काफी चिंतित हैं. इन्हीं चिंताओं को अपने हुनर से दूर करने का प्रयास किया है नवादा के रामनगर मुहल्ले में रहने वाले ऑटो मैकेनिक ने. इनका नाम अवधेश कुमार उर्फ जुम्मन मिस्त्री है. जुम्मन ने एक ऐसा यंत्र बनाया है, जो टिड्डी को भगाने के लिए मददगार साबित होगा.
जुम्मन मिस्त्री ने अपनी दुकान में कबाड़ से टिड्डी भगाने का यंत्र बनाया है. इस बाबत, जुम्मन कहते हैं कि टिड्डी भगाने का यंत्र बनाने की प्रेरणा उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 'मन की बात' कार्यक्रम को सुनकर आया. उन्होंने अपने मन की बात कार्यक्रम में कहा था कि इस वक्त देश तीन-तीन संकटों से लड़ा रहा है. ये संकट कोरोना, आतंकवाद और टिड्डी हैं. जिसके बाद मैंने सोचा कि क्यों न सरकार और किसान की समस्याओं के समाधान हेतु एक छोटा सा प्रयास करें, ताकि इन समस्याओं से किसानों के हो रहे टिड्डी से नुकसान पर लगाम लगाया जा सके.
कबाड़ से बनाया टिड्डी यंत्र
जुम्मन ने बताया कि उसने अपनी दुकान में रखे पुराने बैरल पिस्टल, रेगुलेटर, बैटरी, स्टार्टर पुल्ली, टोन रिले, एयर रेगुलेटर जाली, एग्जॉस्ट फैन, एंबुलेंस में लगाने वाला साइरन, लाउडस्पीकर, माइक और पेट्रोल आदि का उपयोग किया है. इसे बनाने में 15 से 16 दिन लगे हैं और करीब 10-12 हजार रुपए का खर्च आया है.
पशु पक्षियों को न पहुंचे कोई ठेस
जुम्मन मिस्त्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि टिड्डी भगाने के इस यंत्र को बनाने का उनका मकसद सिर्फ किसान के फसलों की सुरक्षा देना है. न की किसी पशु पक्षी या जानवरों को ठेस पहुंचाना है. इसका इस्तेमाल नीलगाय, वन सूअर और सियार आदि को भी भगाने में भी किया जा सकता है. सभी के लिए अलग-अलग साइरन सेट कर भगाया जा सकता है. फिलहाल, यह अभी टड्डियों को भगान के लिए बनाया गया है.
भारतीय रेलवे ने किया था सम्मानित
इससे पहले भी जुम्मन ने अपना हुनर का प्रदर्शन करते हुए कई यंत्र बना चुके हैं. जिसमें, 1995 में डीजल से चलने वाली मोटरसाइकिल, 2001 में खेत में चलने वाले डीजल इंजन से थ्री व्हीलर, 2014 में वाटर सुरक्षा कवच और 2017 में ऑटोमेटिक मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग फाटक का मॉडल भी बनाया. इनके ऑटोमेटिक मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग फाटक के लिए डीआरएम दानापुर ने सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया था. जीएम ने अपने हाथों से पुरस्कार स्वरूप 2000 रुपए की राशि पुरस्कार और प्रशस्ति प्रमाण पत्र भी दिया.