नालंदा: आम एक मौसमी फल है जो गर्मियों के दिनों में होता है. आम की कई किस्में भी होती हैं, इनमें दशहरी, लंगड़ा, चौसा और अलफांसो आदि शामिल है. जो स्वाद और गुणों के कारण काफी मशहूर हैं. आम को फलों का राजा भी कहा जाता है. नालंदा में आम की कई किस्में उगाई जाती है लेकिन पिछले कुछ सालों से थाईलैंड में पाया जाने वाला 'ग्रीन मैंगों' के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो बहुत ही जल्द बिहार के लोगों को चखने को मिलेगा.
नालंदा में ग्रीन मैंगो की बागवानी: यह आम साल में दो से तीन बार फल देता है, जिसे बारोहमासी आम कहते हैं. जो स्वाद के साथ सेहत के लिए रामबाण है. यह आम आमतौर पर थाईलैंड में पाया जाता है. जो बॉल के तरह का होता है और पकने के बाद भी हरा रंग का रहता है. जिसे 250 से 300 ग्राम होने के बाद छूने पर पता चलता है कि पका है या नहीं. यह आम स्वाद के साथ सेहत के लिए काफी खास है. जिसकी बाजार में कीमत 20 से 25 हजार प्रति किलो है.
नवंबर में पकते हैं ये आम: पर्यावरण विद के पुत्र मुकेश सिंह बताते हैं कि ये वेस्ट बंगाल के मुर्शिदाबाद से एक नर्सरी से मंगाए गए हैं. इस आम के पेड़ में जुलाई के महीने में मांजर आता है और नवंबर में ये पक जाता है. ये शुगर में काम आता है. अभी इस चंदन वाटिका में इस आम के 5 पेड़ है और सभी में फल आ चुके है. एक पेड़ एक बार में 30 से 35 फल देता है.
कैसे की इसकी शुरुआत: बता दें कि नालंदा के चंडी प्रखंड अंतर्गत ढकनिया गांव निवासी सुरेंद्र सिंह पर्यावरण विद थे. वो हमेशा पर्यावरण संरक्षण के साथ फलदार पौधे एवं गुणकारी पौधे की खोज सोशल मीडिया के माध्यम से करते थे. अपने दो एकड़ में बने वृक्ष वाटिका की सभा के साथ गांव के लोगों व परिवार के संबंधित को पर्यावरण के प्रति जागरूक भी करते थे. आज वो अब इस दुनिया में नहीं रहे तो इसकी देखरेख उनके पुत्र मुकेश सिंह, नीतीश सिंह और राजकुमार सिंह करते हैं.
"वेस्ट बंगाल के मुर्शिदाबाद के एक नर्सरी से इसे लेकर आए थे. इस आम के 5 पेड़ है और सभी में फल आ चुके है. एक पेड़ एक बार में 30 से 35 फल देता है. जिसकी बाजार में कीमत 20 से 25 हजार प्रति किलो है."-मुकेश सिंह, किसान पुत्र