नालंदाः बिहार के नालंदा में लक्ष्मी पूजा के अवसर पर गुप्तेश्वर धाम का गुफा बनाया गया है, जो काफी आकर्षक लग रहा है. माता लक्ष्मी की प्रतिमा गुफा में स्थापित की गई हैं. काफी संख्या में भक्त दर्शन के साथ साथ सेल्फी ले रहे हैं. यह आयोजन लहेरी थाना के पास मुरारपुर बिहारशरीफ में किया गया है. काफी दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए पहुंच रहे हैं.
नालंदा में बना गुप्तेश्वर धाम गुफाः खास बात यह है कि इस गुफा को युवाओं की टोली ने मिलकर बनाया है. इस संबंध में ऋतिक कुमार ने बताया कि इसे 15 दिनों में तैयार किया गया है. उसने बताया कि युवाओं की टोली बिहार के सासाराम घूमने के लिए गया था. सासाराम में गुप्तेश्वर धाम भी गया. छात्रों ने वहां की खूबसूरती को कैमरे में कैद किया. लौटने के बाद लक्ष्मी पूजा के अवसर पर गुफा बनाने का विचार रखा. इसके बाद सभी दोस्तों में मिलकर इसके लिए प्लान तैयार किया.
कचरे से बनाया पहाड़ और जंगलः पहले तो इसे बनाने में मुश्किल लगा, लेकिन हाईटेक जमाने में इसे बनाने में ज्यादा मुश्किलें नहीं आई. सोशल मीडिया के जरिए समान इकट्ठा किया गया. ऋतिक ने बताया कि पहाड़ और जंगल के लिए कचरे का इस्तेमाल किया गया है. इस गुफा की खासियत यह है कि इसे पहाड़ी रूप में दर्शाया गया है. पहाड़ और जंगल के साथ साथ जानवरों को भी दिखाया गया है.
"हमलोग घूमने के लिए साराराम गए थे. वहीं से इसे बनाने का मन हुआ. इसके बाद लक्ष्मी पूजा के अवसर पर गुप्तेश्वर धाम का गुफा बनाया गया. पहाड़ और जंगल के लिए कचरे का इस्तेमाल किया गया. सभी लोग मिलकर इसे 15 दिन में तैयार किए हैं." -ऋतिक कुमार
गुप्तेश्वर धाम कहां है ? बता दें कि बिहार के रोहतास सासाराम में गुप्तेश्वर धाम (Gupteshwar Dham Sasaram) स्थित है. इस गुफा में भगवान शिव विराजमान हैं. शिवलिंग पर हमेशा प्राकृतिक पवित्र जल टपकते रहता है. इस गुफा को लेकर कई मान्यताएं है. बिहार के अलावे विभिन्न राज्यों से यहां भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने के लिए श्रद्धालु पहुंचते हैं. यह गुफा काफी संकरी है, अंदर में हमेशा पानी रहता है, इसलिए इसे पाताल गंगा भी कहा जाता है.
क्या है मान्यताः मान्यता है कि भस्मासुर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया था. उसने वरदान में मांगा था कि जिसके सिर में हाथ रखे, वह भस्म हो जाए. उसने माता पार्वती को साथ रखने के लिए शिवजी के सिर पर हाथ रखने के लिए दौरा था. शिव ने खुद को बचाने के लिए इस गुफा में छिप गए थे. इसके बाद भगवान विष्णु ने मोहिनी के रूप में भस्मासुर के साथ नृत्य किया था. बड़ी चतुराई से भस्मासुर का हाथ उसी के सिर पर रखवा दिया था, जिससे वह भस्म हो गया था.
यह भी पढ़ेंः
बिहार के इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का पाञ्चजन्य शंख आज भी है मौजूद, आप जानते हैं क्या
300 साल पुराना है बिहार का ये महादेव मंदिर, यहां माता पार्वती के साथ 2101 शिवलिंग स्थापित