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Diploma Pass Tea Seller: नालंदा में मैट्रिक फेल के बाद डिप्लोमा पास चाय वाला, खूब सुर्खियां बटोर रहा है..., देखें VIDEO

नालंदा में डिप्लोमा पास चाय वाला (Diploma Pass Tea Seller) की चाय पीने दूर-दूर से लोग आ रहे हैं. मैट्रिक फेल के बाद डिप्लोमा पास चाय वाला जिले में खूब सुर्खियां बटोर रहा है. मुकेश कुमार राय शेखपुरा जिला के शेखूपुरसराय गांव के रहने वाले हैं और डिप्लोमा पास चाय वाले के नाम से चाय की दुकान खोले हैं. जिनके यहां चाय पीने वालो की हमेशा भीड़ लगी रहती है. पढ़ें पूरी खबर...

नालंदा में डिप्लोमा पास चाय वाला
नालंदा में डिप्लोमा पास चाय वाला
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Published : Jan 26, 2023, 11:06 PM IST

नालंदा: बिहार में इन दिनों शिक्षित बेरोजगार युवा (Educated Unemployed Youth) हो या फिर प्यार में धोखा खाए युवा, खुद की पहचान के साथ सफल बनाने या फिर ग्राहक को इकट्ठा करने के लिए नया तरीका अपना रहे है. जो काफी सुर्खियों में रह रहा है. अभी तक सूबे में एमबीए, ग्रेजुएट, मैट्रिक फेल, कैदी और बेवफा चाय का स्टॉल देखा या सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसे चाय वाले से मिला रहे हैं जो डिप्लोमा इंजीनियरिंग कर नौकरी नहीं लगने की वजह से आत्मनिर्भर बनने के लिए डिप्लोमा पास चाय वाला स्टॉल खोलकर काफी सुर्खिया बटोर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- अब पटना में 'रग्बी चाय वाला' : नेशनल खेल ग्राउंड से टी स्टॉल तक का सफर

नालंदा में डिप्लोमा पास चाय वाला : आपको बता दें कि मुकेश कुमार राय शेखपुरा जिला के शेखूपुरसराय गांव का रहने वाले हैं और 2019 में पंजाब यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की डिग्री प्राप्त कर जॉब की तलाश में वर्षों इधर-उधर भटके. जब मन लायक नौकरी नहीं मिली तो वो वापस अपने घर शेखपुरा लौट आए और छोटे बच्चों को शिक्षा देना शुरू किया. फिर कोरोना काल की वजह से गांव में बच्चों को होम ट्यूशन पढ़ाने लगे. लेकिन परिवार में 8 लोगों का भार संभालना बहुत मुश्किल हो गया था. जिसके बाद वह नालंदा जिला का रुख किए.

चाय पीकर लोग कहते हैं वाह : नालंदा आने के बाद अपने सहयोगी मित्र के साथ नए साल की शुरूआत में डिप्लोमा चाय वाला के नाम से स्टॉल खोला लेकिन स्थाई जगह नहीं मिल पाने की वजह से वह इधर-उधर घूमकर स्टॉल चलाना शुरू किया. मगर अंततः उन्हें एक स्थाई जगह मिल गई और वो बिहार शरीफ मुख्यालय के रजिस्ट्री कचहरी के समीप खोलकर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. सुबह से देर रात तक चाय पीने वालों की भीड़ लगी रहती हैं. वो सुबह से शाम तक 250 से 300 कप में चाय बेचते है. जिसकी कीमत 8 रुपए से लेकर ₹25 तक है. अभी सिर्फ तीन फ्लेवर की ही चाय है और 5 नए फ्लेवर के चाय के लिए आर्डर दिया गया है.


घर चलाने के लिए लगाता है स्टॉलः मुकेश कुमार रॉय के पिता सेवक रावत घर शेखपुरा जिला के शेखुपुरसराय गांव के रहने वाले है. जो एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं और खेती कर परिवार का जीविकोपार्जन चलाते थे. लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और लाचार वृद्ध मां-पिता के उपर बच्चों की परवरिश के लिए मुश्किल आम पड़ी. जिनके सहयोग के लिए पुत्र ने कंपटीशन की तैयारी के साथ यह चाय का स्टॉल चला रहे है. जिससे छोटे भाई की पढ़ाई, घर का खर्च और अपना मेंटेन कर रहे हैं.

पंजाब से डिप्लोमा की पढ़ाई की है : मुकेश ने यह भी बताया कि वह जब पंजाब से डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहा थे तब उनके रूममेट उसकी चाय की काफी तारीफ़ करते थे. जिसके बाद मुकेश ने सोशल मीडिया पर टी स्टॉल चलाकर आत्मनिर्भर बनने वाले युवकों को देख इसकी शुरुआत की है.

'फिल्हाल यहां पर बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है और आगे भी ऐसा ही रहा तो इसका दूसरे जगह पर अन्य बेरोजगार युवाओं को जोड़कर टी स्टॉल चलाएंगे.' मुकेश कुमार रॉय, संचालक, डिप्लोमा पास चाय स्टॉल


नालंदा: बिहार में इन दिनों शिक्षित बेरोजगार युवा (Educated Unemployed Youth) हो या फिर प्यार में धोखा खाए युवा, खुद की पहचान के साथ सफल बनाने या फिर ग्राहक को इकट्ठा करने के लिए नया तरीका अपना रहे है. जो काफी सुर्खियों में रह रहा है. अभी तक सूबे में एमबीए, ग्रेजुएट, मैट्रिक फेल, कैदी और बेवफा चाय का स्टॉल देखा या सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसे चाय वाले से मिला रहे हैं जो डिप्लोमा इंजीनियरिंग कर नौकरी नहीं लगने की वजह से आत्मनिर्भर बनने के लिए डिप्लोमा पास चाय वाला स्टॉल खोलकर काफी सुर्खिया बटोर रहे हैं.

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नालंदा में डिप्लोमा पास चाय वाला : आपको बता दें कि मुकेश कुमार राय शेखपुरा जिला के शेखूपुरसराय गांव का रहने वाले हैं और 2019 में पंजाब यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की डिग्री प्राप्त कर जॉब की तलाश में वर्षों इधर-उधर भटके. जब मन लायक नौकरी नहीं मिली तो वो वापस अपने घर शेखपुरा लौट आए और छोटे बच्चों को शिक्षा देना शुरू किया. फिर कोरोना काल की वजह से गांव में बच्चों को होम ट्यूशन पढ़ाने लगे. लेकिन परिवार में 8 लोगों का भार संभालना बहुत मुश्किल हो गया था. जिसके बाद वह नालंदा जिला का रुख किए.

चाय पीकर लोग कहते हैं वाह : नालंदा आने के बाद अपने सहयोगी मित्र के साथ नए साल की शुरूआत में डिप्लोमा चाय वाला के नाम से स्टॉल खोला लेकिन स्थाई जगह नहीं मिल पाने की वजह से वह इधर-उधर घूमकर स्टॉल चलाना शुरू किया. मगर अंततः उन्हें एक स्थाई जगह मिल गई और वो बिहार शरीफ मुख्यालय के रजिस्ट्री कचहरी के समीप खोलकर खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. सुबह से देर रात तक चाय पीने वालों की भीड़ लगी रहती हैं. वो सुबह से शाम तक 250 से 300 कप में चाय बेचते है. जिसकी कीमत 8 रुपए से लेकर ₹25 तक है. अभी सिर्फ तीन फ्लेवर की ही चाय है और 5 नए फ्लेवर के चाय के लिए आर्डर दिया गया है.


घर चलाने के लिए लगाता है स्टॉलः मुकेश कुमार रॉय के पिता सेवक रावत घर शेखपुरा जिला के शेखुपुरसराय गांव के रहने वाले है. जो एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं और खेती कर परिवार का जीविकोपार्जन चलाते थे. लेकिन लॉकडाउन होने की वजह से आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और लाचार वृद्ध मां-पिता के उपर बच्चों की परवरिश के लिए मुश्किल आम पड़ी. जिनके सहयोग के लिए पुत्र ने कंपटीशन की तैयारी के साथ यह चाय का स्टॉल चला रहे है. जिससे छोटे भाई की पढ़ाई, घर का खर्च और अपना मेंटेन कर रहे हैं.

पंजाब से डिप्लोमा की पढ़ाई की है : मुकेश ने यह भी बताया कि वह जब पंजाब से डिप्लोमा की पढ़ाई कर रहा थे तब उनके रूममेट उसकी चाय की काफी तारीफ़ करते थे. जिसके बाद मुकेश ने सोशल मीडिया पर टी स्टॉल चलाकर आत्मनिर्भर बनने वाले युवकों को देख इसकी शुरुआत की है.

'फिल्हाल यहां पर बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है और आगे भी ऐसा ही रहा तो इसका दूसरे जगह पर अन्य बेरोजगार युवाओं को जोड़कर टी स्टॉल चलाएंगे.' मुकेश कुमार रॉय, संचालक, डिप्लोमा पास चाय स्टॉल


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