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देख लीजिए नीतीश जी.. आपके गृह जिले में ही 'ICU' पर है सिस्टम, कंधे पर बच्चे का शव लेकर घर जा रहे हैं पिता - नालंदा में पिता ने बेटे के शव को कंधे पर ढोया

बिहार के नालंदा से बेहद दर्दनाक तस्वीर सामने आई है. एंबुलेंस नहीं (Lack Of Ambulance In Nalanda) मिलने पर एक पिता अपने चार साल के बच्चे के शव को कंधों पर लेकर इधर-उधर भटकता दिखा. छत से गिरने के कारण 4 साल के मासूम की मौत हो गई थी. पढ़िए पूरी खबर..

Father Carried Son Body On His Shoulder In Nalanda
Father Carried Son Body On His Shoulder In Nalanda
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Published : Feb 12, 2022, 2:12 PM IST

नालंदा: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System In Bihar) का हाल बताने वाली एक और दर्दनाक तस्वीर नालंदा के बिहारशरीफ से सामने आई है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले में ही स्वास्थ्य महकमा संवेदनहीन बना हुआ है. दरअसल बिहारशरीफ सदर अस्पताल (Biharsharif Sadar Hospital) में एक मृत बच्चे का शव एम्बुलेंस की बजाय अपने कंधों पर ढोते मजबूर पिता (Father Carried Son Body On His Shoulder In Nalanda) दिखा. रोते बिलखते माता- पिता घंटों एंबुलेंस के लिए इधर-उधर भटकते रहे.

पढ़ें- नालंदा: एंबुलेंसकर्मियों की हड़ताल, ठेले पर शव ले जाने को मजबूर हुए परिजन

वाह रे सरकारी व्यवस्था और बेहतरीन स्वास्थ्य व्यवस्था होने का दावा करने वाले सरकारी नुमाइंदे, इन तस्वीरों ने सभी की पोल खोलकर रख दी है. सरकार की चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों की कलई खोलने के लिए ये तस्वीरें काफी हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले के बेहतर अस्पतालों में शुमार बिहारशरीफ सदर अस्पताल में लोगों को सुविधाएं कितनी मिलती है, इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं.

पढ़ें- अस्पताल में घंटों इंतजार के बाद भी नहीं मिला एंबुलेंस, शव को बाइक पर लादकर ले गए परिजन

बताया जाता है कि, छत से गिरे एक 4 साल के बच्चे को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली. करीब आधे घंटे तक परिजन कंधे पर शव को लेकर इधर-उधर घूमते रहे, मगर उन्हें एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई गई. परिजन 102 नंबर पर डायल करते रह गए मगर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया.

बेन थाना क्षेत्र के जुलुम रजक का 4 वर्षीय पुत्र आदित्य शुक्रवार को छत से गिर गया था. जिसका इलाज निजी क्लीनिक में कराया जा रहा था. बच्चे की हालत नाजुक होने पर उसे सदर अस्पताल लाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. यानी सीधे तौर पर यह कहा जा सकता है कि, बिहारशरीफ सदर अस्पताल महज दिखावा बनकर रह गई है.

इस घटना ने सरकारी स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर रख दी. बताया जा रहा है कि, परिजन अपने जिगर के टुकड़े की मौत के बाद सरकारी एंबुलेंस का इंतजार करने लगे, पर काफी देर तक जब अस्पताल प्रबंधन की तरफ से शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली तो, पिता ने शव को अपने कंधों पर ले लिया और घर की ओर रवाना हो गए.

"बच्चे की मौत हो गई है, लेकिन एंबुलेंस नहीं है. सदर अस्पताल में व्यवस्था के नाम पर ढकोसला हो रहा है. अस्पताल में नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. एंबुलेंस अस्पताल में लगा हुआ है लेकिन उसे चलाने वाला कोई नहीं है. सब कहीं निकले हुए हैं. 102 पर डायल किये पर कोई जवाब नहीं मिला."- मृतक बच्चे के परिजन

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नालंदा: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था (Health System In Bihar) का हाल बताने वाली एक और दर्दनाक तस्वीर नालंदा के बिहारशरीफ से सामने आई है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले में ही स्वास्थ्य महकमा संवेदनहीन बना हुआ है. दरअसल बिहारशरीफ सदर अस्पताल (Biharsharif Sadar Hospital) में एक मृत बच्चे का शव एम्बुलेंस की बजाय अपने कंधों पर ढोते मजबूर पिता (Father Carried Son Body On His Shoulder In Nalanda) दिखा. रोते बिलखते माता- पिता घंटों एंबुलेंस के लिए इधर-उधर भटकते रहे.

पढ़ें- नालंदा: एंबुलेंसकर्मियों की हड़ताल, ठेले पर शव ले जाने को मजबूर हुए परिजन

वाह रे सरकारी व्यवस्था और बेहतरीन स्वास्थ्य व्यवस्था होने का दावा करने वाले सरकारी नुमाइंदे, इन तस्वीरों ने सभी की पोल खोलकर रख दी है. सरकार की चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों की कलई खोलने के लिए ये तस्वीरें काफी हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले के बेहतर अस्पतालों में शुमार बिहारशरीफ सदर अस्पताल में लोगों को सुविधाएं कितनी मिलती है, इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं.

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बताया जाता है कि, छत से गिरे एक 4 साल के बच्चे को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली. करीब आधे घंटे तक परिजन कंधे पर शव को लेकर इधर-उधर घूमते रहे, मगर उन्हें एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई गई. परिजन 102 नंबर पर डायल करते रह गए मगर किसी ने कोई जवाब नहीं दिया.

बेन थाना क्षेत्र के जुलुम रजक का 4 वर्षीय पुत्र आदित्य शुक्रवार को छत से गिर गया था. जिसका इलाज निजी क्लीनिक में कराया जा रहा था. बच्चे की हालत नाजुक होने पर उसे सदर अस्पताल लाया गया जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. यानी सीधे तौर पर यह कहा जा सकता है कि, बिहारशरीफ सदर अस्पताल महज दिखावा बनकर रह गई है.

इस घटना ने सरकारी स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर रख दी. बताया जा रहा है कि, परिजन अपने जिगर के टुकड़े की मौत के बाद सरकारी एंबुलेंस का इंतजार करने लगे, पर काफी देर तक जब अस्पताल प्रबंधन की तरफ से शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली तो, पिता ने शव को अपने कंधों पर ले लिया और घर की ओर रवाना हो गए.

"बच्चे की मौत हो गई है, लेकिन एंबुलेंस नहीं है. सदर अस्पताल में व्यवस्था के नाम पर ढकोसला हो रहा है. अस्पताल में नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. एंबुलेंस अस्पताल में लगा हुआ है लेकिन उसे चलाने वाला कोई नहीं है. सब कहीं निकले हुए हैं. 102 पर डायल किये पर कोई जवाब नहीं मिला."- मृतक बच्चे के परिजन

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