नालंदा: बिहार के नालंदा में वीरायतन (Veerayatan in Nalanda) की प्रमुख आचार्य चंदना श्री को उनके 86वें जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है. चंदना श्री पिछले 53 सालों से लोगों की सेवा कर रही हैं. हर साल उनके जन्मदिन पर वीरायतन में शिविर लगाकर सैकड़ों लोगों की आंखों का मुफ्त ऑपरेशन किया जाता है. इसमें जिला ही नहीं बल्कि आसपास के कई जगहों से लोग आते हैं. आचार्य श्री स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ-साथ कई क्षेत्रों में काम कर लोगों की सेवा निस्वार्थ भाव से कर रही हैं.
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पद्मश्री आचार्य चंदना श्री (Padma Shri Acharya Chandana Shri) का जन्म 26 जनवरी 1937 को महाराष्ट्र में कटारिया परिवार में हुआ था. उनकी मां प्रेम कुंवर और पिता मानिकचंद ने इनका नाम शकुंतला रखा था. इन्होंने तीसरी कक्षा तक औपचारिक शिक्षा ग्रहण की. इनके नाना ने उन्हें जैन साध्वी सुमति कुंवर के अधीन दीक्षा लेने के लिए मना लिया. 14 साल की आयु में ही इन्होंने जैन दीक्षा ली और साध्वी चंदना बन गईं. बिहार को अपनी कर्मभूमि मानकर मानव सेवा में दिन रात जुटी रहती हैं. बिहार में चंदना श्री ने 1974 में जैन धर्म के सिद्धांतों पर आधारित एक धार्मिक संगठन वीरायतन की स्थापना की थी. यह एक अंतरराष्ट्रीय धर्मार्थ संगठन है, जो आध्यात्मिक विकास, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और जाति, पंथ, नस्ल या लिंग के भेदभाव के बिना दूसरों की सेवा करता है. चंदना श्री 1987 में आचार्य की उपाधि प्राप्त करने वाली पहली जैन महिला बनी थीं.
चंदना श्री ने अब तक 27,65,164 लोगों की निःशुल्क नेत्र चिकित्सा और 3,40,198 नेत्र रोगियों की आंखों का निःशुल्क ऑपरेशन किया है. अनेकों पिछड़े इलाकों में स्कूल कॉलेज की स्थापना की है. व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से हजारों को स्किल्ड कर स्वरोजगारी बनाया है. इतना ही नहीं उन्होंने भूकंप ग्रस्त कच्छ गुजरात में बच्चों के लिए 10 हजार अस्थाई स्कूल, कच्छ में पहले फार्मेसी डिग्री कॉलेज की स्थापना, पर्यावरण जागरूकता, अमेरिका में सर्वोदय तीर्थ की स्थापना की हैं. देश विदेश में अनेकों आध्यात्मिक केंद्र की स्थापना भी की है. चंदना श्री ने अपनी इच्छाशक्ति से कई ऐसे कार्य किए, जिनसे इतिहास के पन्नों में उनका नाम दर्ज हो गया है. आज भी मानवता की सेवा ही आचार्य जी की एकमात्र साधना बन गयी है.
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