मुजफ्फरपुरः बाढ़ में जीने के साथ-साथ खुशियां मनाने की कला भी उत्तर बिहार के लोग खूब जानते हैं. इसका जीता जागता नजारा मुजफ्फरपुर के सकरा प्रखंड में देखने को मिला, जहां अपनी दुल्हन को लाने की बेताबी में दूल्हे ने बाढ़ की भी परवाह नहीं की और बारातियों के साथ ब्याह रचाने पहुंच गया.
इस अनोखी शादी के साक्षी बनने के लिए ग्रामीणों का हुजूम सड़क पर जुट गया. बारात समस्तीपुर के ताजपुर थाने के मूसापुर गांव से सकरा के भठंडी गांव आई थी.
तिरहुत नहर का बांध टूटने से आई बाढ़
दरअसल, मूसापुर के मो. एकबाल के पुत्र मो. हसन रजा और सकरा के भठंडी गांव के मरहूम मो. शहीद की पुत्री माजदा खातून का निकाह पहले से तय था. इस बीच मुरौल के महमदपुर कोठी में तिरहुत नहर का बांध टूटने से गांव बाढ़ के पानी में घिर गया.
लड़के पक्ष की जिद, नहीं टली शादी
इसके बाद निकाह की तारीख बदलने के लिए दोनों पक्षों ने विचार-विमर्श किया. लेकिन बात नहीं बनी और निकाह तय तारीख पर ही करने की ठान ली गई. चारों तरफ बाढ़ के पानी से घिरे भठंडी गांव में शादी की तैयारी के लिए सामान कई बार लाए और लौटाए गए.
बारात आने से पहले लोगों ने स्थिति का मुआयना किया. फिर दुल्हन के घर वालों ने आने जाने में आ रही दिक्कतों के बारे में बताया. लेकिन लड़का पक्ष की जिद के आगे लड़की वालों को झुकना पड़ा.
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घुटने भर पानी में से होते गए बाराती
बहरहाल शादी की तारीख के अनुसार दूल्हे की गाड़ी भठंडी गांव की सीमा पर पहुंची. पहले तो पानी देखकर दूल्हे और बाराती ठिठक गए, लेकिन फिर दूल्हे ने अपनी गाड़ी को छोड़ दिया और बारातियों संग बाढ़ को पारकर दुल्हन के घर पहुंचा. कई जगह घुटने से भी ऊपर पानी था.
इस दौरान स्थानीय युवकों ने दूल्हे और बारातियों को सुरक्षित ले जाने में मदद की. इसके बाद पूरे रस्मों-रिवाज के साथ निकाह हुआ और फिर विदाई भी हुई. बता दें कि इस शादी की इलाके में खूब चर्चा रही.