ETV Bharat / state

बाढ़ का असर: परवल की खेती पर मंडरा रहे संकट के बादल, नई फसल लगाने के लिए नहीं मिल रही लताएं

author img

By

Published : Dec 9, 2020, 7:14 PM IST

गंडक और बूढ़ी गंडक में आई बाढ़ की वजह से मुजफ्फरपुर के किसानों की परवल की फसल नष्ट हो गई थी. इसके चलते किसानों के सामने नई फसल लगाने के लिए लताएं जुटाने की चुनौती है. किसान दूसरी जगह से लताएं खरीदकर ला रहे हैं. नए पौधे सूख रहे हैं और इन्हें बीमारी भी अधिक लग रही है.

muzaffarpur farmer
परवल की खेती

मुजफ्फरपुर: बारिश के दिनों में बूढ़ी गंडक और गंडक नदी में आई भयावह बाढ़ का दुष्प्रभाव अभी तक जिले के किसानों को झेलना पड़ रहा है. बाढ़ के चलते परवल की लताएं नष्ट हो गईं थी. अब नई फसल लगाने के लिए किसानों को लताएं नहीं मिल रहीं हैं, जिससे परवल की खेती पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

बाढ़ के चलते जिले के मीनापुर, मोतीपुर और मुशहरी प्रखंड के किसानों की धान की फसल नष्ट हो गई थी. इस इलाके के किसान नगदी फसल के रूप में सब्जी की खेती करते हैं. अधिकतर किसानों की आमदनी का मुख्य जरिया परवल की खेती है. पहले यहां परवल की लताएं बहुतायत में उपलब्ध थी, लेकिन इस साल बाढ़ ने परवल की फसल को नष्ट कर दिया, जिससे लताएं नहीं बच पाईं.

Parwal crop
परवल के खेत में काम करते किसान.

मीनापुर के घुसैट, सांईपुर, बहादुरपुर, रगई और मधुबन गांव में परवल की सबसे अधिक खेती होती थी. यहां के किसानों के अधिकतर पौधे पूरी तरह नष्ट हो गए हैं. जिन किसानों के पौधे बचे भी हैं वे भी अच्छी हालात में नहीं हैं.

देखें रिपोर्ट

सूख रहे हैं पौधे
"इस साल बाढ़ की वजह से परवल के पौधे नष्ट हो गए थे. अब नई फसल लगाने के लिए परवल की लत्ती (लताएं) दूसरी जगह से खरीदकर लाया हूं. नए पौधों का विकास ठीक से नहीं हो रहा है. पौधे सूख रहे हैं. समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें? कैसे इन्हें बचाएं?"- मोती भगत, किसान

Farmer moti bhagat
परवल की खेती करने वाले किसान मोती भगत.

"इस साल परवल के पौधों में बीमारी बहुत लग रही है. लगातार मेहनत कर रहे हैं, लेकिन पौधों को बचाना मुश्किल लग रहा है."- सुंदर राम, किसान

लता से लगती है परवल की नई फसल
गौरतलब है कि परवल के नए पौधे बीज की जगह लता ले लगते हैं. इसके लिए किसान पिछले साल लगाए गए पौधों की लता को टुकड़ों में काटकर नई फसल के लिए तैयार किए गए खेत में लगाते हैं.

मुजफ्फरपुर: बारिश के दिनों में बूढ़ी गंडक और गंडक नदी में आई भयावह बाढ़ का दुष्प्रभाव अभी तक जिले के किसानों को झेलना पड़ रहा है. बाढ़ के चलते परवल की लताएं नष्ट हो गईं थी. अब नई फसल लगाने के लिए किसानों को लताएं नहीं मिल रहीं हैं, जिससे परवल की खेती पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

बाढ़ के चलते जिले के मीनापुर, मोतीपुर और मुशहरी प्रखंड के किसानों की धान की फसल नष्ट हो गई थी. इस इलाके के किसान नगदी फसल के रूप में सब्जी की खेती करते हैं. अधिकतर किसानों की आमदनी का मुख्य जरिया परवल की खेती है. पहले यहां परवल की लताएं बहुतायत में उपलब्ध थी, लेकिन इस साल बाढ़ ने परवल की फसल को नष्ट कर दिया, जिससे लताएं नहीं बच पाईं.

Parwal crop
परवल के खेत में काम करते किसान.

मीनापुर के घुसैट, सांईपुर, बहादुरपुर, रगई और मधुबन गांव में परवल की सबसे अधिक खेती होती थी. यहां के किसानों के अधिकतर पौधे पूरी तरह नष्ट हो गए हैं. जिन किसानों के पौधे बचे भी हैं वे भी अच्छी हालात में नहीं हैं.

देखें रिपोर्ट

सूख रहे हैं पौधे
"इस साल बाढ़ की वजह से परवल के पौधे नष्ट हो गए थे. अब नई फसल लगाने के लिए परवल की लत्ती (लताएं) दूसरी जगह से खरीदकर लाया हूं. नए पौधों का विकास ठीक से नहीं हो रहा है. पौधे सूख रहे हैं. समझ नहीं आ रहा है कि क्या करें? कैसे इन्हें बचाएं?"- मोती भगत, किसान

Farmer moti bhagat
परवल की खेती करने वाले किसान मोती भगत.

"इस साल परवल के पौधों में बीमारी बहुत लग रही है. लगातार मेहनत कर रहे हैं, लेकिन पौधों को बचाना मुश्किल लग रहा है."- सुंदर राम, किसान

लता से लगती है परवल की नई फसल
गौरतलब है कि परवल के नए पौधे बीज की जगह लता ले लगते हैं. इसके लिए किसान पिछले साल लगाए गए पौधों की लता को टुकड़ों में काटकर नई फसल के लिए तैयार किए गए खेत में लगाते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.