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अब मुजफ्फरपुर में नजर आएगी मधुबनी पेंटिंग की छटा, निगम की देख-रेख में शुरू हुआ काम

बिहार के विश्व प्रसिद्ध पारंपरिक कला मधुबनी पेंटिंग से मुजफ्फरपुर शहर की दीवारों को गुलजार किया जा रहा है. इससे मिथिलांचल की कला सस्कृति से लोग रू-ब-रू भी होंगे.

मुजफ्फरपुर
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Published : Mar 25, 2021, 3:42 PM IST

Updated : Mar 25, 2021, 5:22 PM IST

मुजफ्फरपुर: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट शामिल मुजफ्फरपुर शहर की दीवारों को सजाया जा रहा है. शहर के कुछ प्रमुख इलाकों की सड़कें और प्रमुख सरकारी इमारतो की दीवारें अब खूबसूरत मधुबनी पैंटिंग से पटी नजर आएंगी. इसको लेकर शहर में नगर निगम की तरफ कई प्रमुख सड़कों का चयन किया गया है. फिलहाल मुजफ्फरपुर के प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के बाहरी दीवार पर मधुबनी पेंटिंग से सजाने की कवायद शुरू भी हो चुकी है. जहां मधुबनी पेंटिंग के कलाकार मधुबनी पेंटिंग के जरिए मुजफ्फरपुर को खूबसूरत रंग देते नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- पटनावासियों के लिए खुशखबरी, R Block से GPO को जोड़ने वाले पुल का CM नीतीश करेंगे लोकार्पण

शहर की बदलेगी सूरत
शहर की सूरत संवारने की इस नई पहल पहल को लेकर शहर के नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय खुद दिलचस्पी ले रहे हैं. निगम ने अपनी तरफ से गंभीरता दिखाई है, जिसके बाद शहर को मधुबनी पेटिंग से सजाने की यह पहल शुरू हुई है. उन्होंने कहा कि यहां से पहले राजधानी पटना में भी इस तरह की पहल हो चुकी है. जहां शहर के कई इलाकों में सड़कों के दोनों तरफ की दीवारों और प्रमुख इमारतों को मधुबनी पेंटिंग से सजाया जा चुका है. उम्मीद है कि अब यहां भी पटना के तर्ज पर मधुबनी पेंटिंग से सजा हुआ नजर आएगा, जो शहर में बाहर से आने वाले लोगों को आकर्षित करेगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मधुबनी पेंटिंग है प्रसिद्ध
भारत रचनात्मकता, कला और संस्कृति का देश है. मधुबनी पेंटिंग भारत और विदेशों में सबसे प्रसिद्ध कलाओं में से एक है. इस चित्रकला की शैली को आज भी बिहार के कुछ हिस्सों में प्रयोग किया जाता है, खासकर मिथिला चूंकि मिथिला क्षेत्र में इस पेंटिंग की शैली की उत्पत्ति हुई है, इसलिए इसे मिथिला चित्रों के रूप में भी जाना जाता है. समृद्धि और शांति के रूप में भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इन कलाओं की इस अनूठी शैली का इस्तेमाल महिलाएं अपने घरों और दरवाजों को सजाने के लिए किया करती थी.

ये भी पढ़ें- मधुबनी पेंटिंग कल्स्टर क्राफ्ट मेला में प्रदर्शित हुईं 300 कलाकारों की पेंटिंग

मिथिला पेंटिंग की शुरुआत
मधुबनी पेंटिंग यानी मिथिला पेंटिंग की शुरुआत सातवीं-आठवीं सदी में हुई. तिब्बत के थंका आर्ट से प्रभावित चित्रकारी की यह लोककला विकसित हुई. फिर 13वीं सदी में पत्थरों पर मिथिला पेंटिंग होने लगी. धीरे-धीरे आमजनों में मधुबनी पेंटिंग लोकप्रिय होने लगी. मिथिलांचल की यह लोककला आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है. यह पेंटिंग देशभर में मशहूर है.

मुजफ्फरपुर: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट शामिल मुजफ्फरपुर शहर की दीवारों को सजाया जा रहा है. शहर के कुछ प्रमुख इलाकों की सड़कें और प्रमुख सरकारी इमारतो की दीवारें अब खूबसूरत मधुबनी पैंटिंग से पटी नजर आएंगी. इसको लेकर शहर में नगर निगम की तरफ कई प्रमुख सड़कों का चयन किया गया है. फिलहाल मुजफ्फरपुर के प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के बाहरी दीवार पर मधुबनी पेंटिंग से सजाने की कवायद शुरू भी हो चुकी है. जहां मधुबनी पेंटिंग के कलाकार मधुबनी पेंटिंग के जरिए मुजफ्फरपुर को खूबसूरत रंग देते नजर आ रहे हैं.

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शहर की बदलेगी सूरत
शहर की सूरत संवारने की इस नई पहल पहल को लेकर शहर के नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय खुद दिलचस्पी ले रहे हैं. निगम ने अपनी तरफ से गंभीरता दिखाई है, जिसके बाद शहर को मधुबनी पेटिंग से सजाने की यह पहल शुरू हुई है. उन्होंने कहा कि यहां से पहले राजधानी पटना में भी इस तरह की पहल हो चुकी है. जहां शहर के कई इलाकों में सड़कों के दोनों तरफ की दीवारों और प्रमुख इमारतों को मधुबनी पेंटिंग से सजाया जा चुका है. उम्मीद है कि अब यहां भी पटना के तर्ज पर मधुबनी पेंटिंग से सजा हुआ नजर आएगा, जो शहर में बाहर से आने वाले लोगों को आकर्षित करेगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

मधुबनी पेंटिंग है प्रसिद्ध
भारत रचनात्मकता, कला और संस्कृति का देश है. मधुबनी पेंटिंग भारत और विदेशों में सबसे प्रसिद्ध कलाओं में से एक है. इस चित्रकला की शैली को आज भी बिहार के कुछ हिस्सों में प्रयोग किया जाता है, खासकर मिथिला चूंकि मिथिला क्षेत्र में इस पेंटिंग की शैली की उत्पत्ति हुई है, इसलिए इसे मिथिला चित्रों के रूप में भी जाना जाता है. समृद्धि और शांति के रूप में भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इन कलाओं की इस अनूठी शैली का इस्तेमाल महिलाएं अपने घरों और दरवाजों को सजाने के लिए किया करती थी.

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मिथिला पेंटिंग की शुरुआत
मधुबनी पेंटिंग यानी मिथिला पेंटिंग की शुरुआत सातवीं-आठवीं सदी में हुई. तिब्बत के थंका आर्ट से प्रभावित चित्रकारी की यह लोककला विकसित हुई. फिर 13वीं सदी में पत्थरों पर मिथिला पेंटिंग होने लगी. धीरे-धीरे आमजनों में मधुबनी पेंटिंग लोकप्रिय होने लगी. मिथिलांचल की यह लोककला आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है. यह पेंटिंग देशभर में मशहूर है.

Last Updated : Mar 25, 2021, 5:22 PM IST
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