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मुजफ्फरपुर: नगर निगम में राजनीति हावी, पूर्व मेयर ने अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को बताया गैरकानूनी

मुजफ्फरपुर नगर निगम मे फिर राजनीति गरमा गई है, पूर्व मेयर ने अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हुई बैठक और वोटिंग कराने को अवैध और गैरकानूनी करार दिया है. पढ़ि पूरी खबर

पूर्व मेयर ने अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को बताया गैरकानूनी
पूर्व मेयर ने अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को बताया गैरकानूनी
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Published : Jul 29, 2021, 2:26 PM IST

मुजफ्फरपुर: नगर निगम (Muzaffarpur Municipal Corporation) की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आता दिख रहा है. जहां पूर्व मेयर सुरेश कुमार (Former Mayor Suresh Kumar) ने डिप्टी मेयर मानमर्दन शुक्ला द्वारा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (Motion Of No-Confidence) पर हुई बैठक और वोटिंग कराने को अवैध और गैरकानूनी बताया है. उन्होंने नगर आयुक्त पर भी मिलीभगत का आरोप लगाया है.

ये भी पढ़ें- पटना नगर निगमः मीरा देवी की अग्निपरीक्षा शुरू, अविश्वास प्रस्ताव का कर सकती हैं सामना

पूर्व मेयर सुरेश कुमार ने कहा कि कानूनी तौर पर डिप्टी मेयर के पद से मानमर्दन शुक्ला हट चुके थे. इसके बावजूद उनकी अध्यक्षता में बैठक बुलाई गई और वोटिंग भी कराया गया. जो गैर कानूनी है और मैं इसके खिलाफ हाईकोर्ट भी जाऊंगा.

देखें रिपोर्ट.

'23 जुलाई को डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बैठक बुलाई गई थी इसमें अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में आठ मत पड़े थे और विपक्ष में दो मत वहीं एक मत रद्द हो गया था. इस प्रकार कुल 11 मत पड़े इस आधार पर वे डिप्टी मेयर की कुर्सी से उसी समय हट गए थे जिसके बावजूद उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की जो बैठक बुलाई गई उसमें डिप्टी मेयर से अध्यक्षता कराई गई. यह कैसे सम्भव हो सकता है.' : सुरेश कुमार, पूर्व मेयर

ये भी पढ़ें- अविश्वास प्रस्ताव: खतरे में पटना की डिप्टी मेयर की कुर्सी, 30 जुलाई को अग्निपरीक्षा

इतना ही नहीं सुरेश कुमार ने कहा है कि वे मेयर थे और वर्तमान में भी हैं, क्योंकि, गैरकानूनी तरीके से बुलाई गई बैठक का वे विरोध करते हैं और इसके खिलाफ हाईकोर्ट भी जाएंगे. इससे नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को भी अवगत कराया जा रहा है. साथ ही उनसे उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया जाएगा. सुरेश कुमार के इस बयान के बाद से ही निगम की राजनीति फिर गरमा गई है. अब देखने वाली बात ये होगी कि डिप्टी मेयर और अन्य पार्षदों का अगला कदम क्या होगा.

बताते चलें कि बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 की धारा 25(4) व नगरपालिका एक्ट 2010 की धारा दो के तहत दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद विरोधी वार्ड पार्षद, मेयर व डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. इसके बाद हर साल लाया जा सकता है. विपक्ष को एक तिहाई पार्षदों के हस्ताक्षर के साथ आवेदन मेयर को देना पड़ता है.

सात दिनों में विशेष बैठक बुलाने की अनुशंसा नगर आयुक्त को करने का प्रावधान है. इसके बाद नगर आयुक्त 15 दिनों में विशेष बैठक में विपक्ष 38 पार्षदों को एकजुट कर लेते हैं, तो डिप्टी मेयर चुनाव के लिए नगर विकास विभाग को प्रस्ताव भेजने का प्रावधान है.

ये भी पढ़ें- सुरेश कुमार फिर बने मुजफ्फरपुर के मेयर, अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग में राकेश कुमार को हराया

ये भी पढ़ें- बिहार के नगर निगमों को आवंटित धनराशि नहीं देने पर हाई कोर्ट सख्त, केंद्र से मांगा जवाब

मुजफ्फरपुर: नगर निगम (Muzaffarpur Municipal Corporation) की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आता दिख रहा है. जहां पूर्व मेयर सुरेश कुमार (Former Mayor Suresh Kumar) ने डिप्टी मेयर मानमर्दन शुक्ला द्वारा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (Motion Of No-Confidence) पर हुई बैठक और वोटिंग कराने को अवैध और गैरकानूनी बताया है. उन्होंने नगर आयुक्त पर भी मिलीभगत का आरोप लगाया है.

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पूर्व मेयर सुरेश कुमार ने कहा कि कानूनी तौर पर डिप्टी मेयर के पद से मानमर्दन शुक्ला हट चुके थे. इसके बावजूद उनकी अध्यक्षता में बैठक बुलाई गई और वोटिंग भी कराया गया. जो गैर कानूनी है और मैं इसके खिलाफ हाईकोर्ट भी जाऊंगा.

देखें रिपोर्ट.

'23 जुलाई को डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बैठक बुलाई गई थी इसमें अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में आठ मत पड़े थे और विपक्ष में दो मत वहीं एक मत रद्द हो गया था. इस प्रकार कुल 11 मत पड़े इस आधार पर वे डिप्टी मेयर की कुर्सी से उसी समय हट गए थे जिसके बावजूद उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की जो बैठक बुलाई गई उसमें डिप्टी मेयर से अध्यक्षता कराई गई. यह कैसे सम्भव हो सकता है.' : सुरेश कुमार, पूर्व मेयर

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इतना ही नहीं सुरेश कुमार ने कहा है कि वे मेयर थे और वर्तमान में भी हैं, क्योंकि, गैरकानूनी तरीके से बुलाई गई बैठक का वे विरोध करते हैं और इसके खिलाफ हाईकोर्ट भी जाएंगे. इससे नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव को भी अवगत कराया जा रहा है. साथ ही उनसे उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया जाएगा. सुरेश कुमार के इस बयान के बाद से ही निगम की राजनीति फिर गरमा गई है. अब देखने वाली बात ये होगी कि डिप्टी मेयर और अन्य पार्षदों का अगला कदम क्या होगा.

बताते चलें कि बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 की धारा 25(4) व नगरपालिका एक्ट 2010 की धारा दो के तहत दो वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद विरोधी वार्ड पार्षद, मेयर व डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. इसके बाद हर साल लाया जा सकता है. विपक्ष को एक तिहाई पार्षदों के हस्ताक्षर के साथ आवेदन मेयर को देना पड़ता है.

सात दिनों में विशेष बैठक बुलाने की अनुशंसा नगर आयुक्त को करने का प्रावधान है. इसके बाद नगर आयुक्त 15 दिनों में विशेष बैठक में विपक्ष 38 पार्षदों को एकजुट कर लेते हैं, तो डिप्टी मेयर चुनाव के लिए नगर विकास विभाग को प्रस्ताव भेजने का प्रावधान है.

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