मुजफ्फरपुर: कोरोना महामारी के दौर में भोजपुरी गीत रिलीज हो रहे हैं. ऐसे में कई गानें कोरोना को लेकर बनाए गए हैं. इन गानों में अश्लीलता भी परोसी जा रही है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने लोकगायिका और साहित्यकारों से बात की है.
कोरोना बीमारी की कहर से कोई क्षेत्र अछूता नहीं है, लेकिन भोजपुरी इंडस्ट्री की बात ही कुछ अलग है. जिसमें कोरोना संक्रमण जैसी गंभीर और वैश्विक बीमारी को भी मजाक की विषय वस्तु बना दिया है. जहां धड़ल्ले से भोजपुरी गायक कोरोना की ऐसी तैसी करते हुए अपने अश्लील द्विअर्थी गीतों से भोजपुरी में सामाजिक संक्रमण फैला रहे हैं. जिससे कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी की गंभीरता खत्म हो रही है. वहीं, भोजपुरी समाज का भी मखौल उड़ रहा है.
'लोगों को गुमराह न करें साथी गायक'
भोजपुरी के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले कलाकार खुद को आहत एव अपमानित महसूस कर रहे हैं. प्रख्यात लोकगायिका पुष्पा प्रसाद ने इस बाबत कहा कि कोरोना काल के दौरान अपने साथी गायकों से कहूंगी कि वो ऐसे गीत गाएं, जो लोगों को जागरूक करें. अफवाह न फैलाएं. लोगों तक जिम्मेदारी के साथ अच्छी साहित्य और कला पहुंचाएं, ऐसे गीत न पहुंचाएं, जिससे लोग जागृत हो, सजग हो न कि गुमराह हों.
अश्लील गानों को परोसने वालों पर हो कानूनी कार्रवाई- डॉ. संजय
वहीं, साहित्यकार डॉ. संजय पंकज ने कहा कि सोशल साइट्स में कोरोना के बारे सर्च करने पर भोजपुरी के अश्लील गानों की भरमार पड़ी हुई है. उन्होंने कहा कि ऐसे गानों को परोसने वालों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. डॉ. संजय ने कहा कि भोजपुरी संस्कृति है. ऐसे गानों को सार्वजनिक कर इस संस्कृति को ठेस पहुंचाई जा रही है.
सस्ती लोकप्रियता के लिए लोग कुछ भी करने को तैयार हैं. ऐसे में उन्हें वो सबकुछ मिल तो रहा है लेकिन भोजपुरी को इससे नुकसान पहुंच रहा है. भोजपुरी समाज के लोग अश्लीलता भरे गानों को लेकर कई बार आपत्ति जता चुके हैं. ऐसे में एक बार फिर कोरोना जैसी महामारी के दौर में इसे रोकने की कवायद शुरू की जानी चाहिए.