मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में गंडक (Gandak), बूढ़ी गंडक (Budhi Gandak) और बागमती (Bagmati) नदी ने ऐसा जल तांडव मचाया है कि मुजफ्फरपुर के 10 प्रखंडों की तीन लाख से अधिक की आबादी इस वक्त बाढ़ का दंश झेलने को मजबूर है. जिले में आई भयावह बाढ़ में घर डूब गए, खेतों में लगी फसल नष्ट हो गई है. वहीं, सड़कों ने जलसमाधि ले ली है.
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हर साल की तरह इस साल भी एक बार फिर अभिशाप की तरह लाखों लोग बाढ़ की चुनौती से निपटने की जद्दोज़हद में लगी हुई है. लेकिन, अब नदियों के जलस्तर में तेजी से हो रहे गिरावट के बाद हालात सुधरने लगे हैं. जिससे बाढ़ राहत कैम्प में शरण लिए हुए लोग अब सुरक्षित अपने घर लौटने लगे हैं.
मुजफ्फरपुर में पिछले 20 दिनों से जारी बाढ़ के कहर के बीच अब खतरे के निशान से ऊपर बह रही नदियों के जलस्तर में कमी आ रही है. बूढ़ी गंडक, बागमती और गंडक नदी के जलस्तर में कमी दर्ज हो रही है. जिसके कारण लोगों ने राहत की सांस ली है. लेकिन अभी भी बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों की स्थिति दयनीय बनी हुई है.
वहीं, मुजफ्फरपुर जिले में आई बाढ़ की विभीषिका से जुड़े सरकारी आंकड़ों पर गौर करें, तो इस बार जिले के 10 प्रखंड के 97 पंचायत बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जिसमें 11 पंचायत का सड़क संपर्क प्रखंड और जिला मुख्यालय से पूर्ण रूप से भंग रहा है. इस वजह से तीन लाख से ज्यादा की आबादी इस साल बाढ़ से प्रभावित हुई है. लोग बेघर हो होकर ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं.
इस दौरान जिला प्रशासन की ओर से आपदा में फंसे लोगों के राहत और बचाव के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने का दावा किया गया, लेकिन कई जगह पर अव्यवस्था भी साफ नजर आई. हालांकि, जिला प्रशासन ने दावा किया है कि बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद पहुंचाई जा रही है. वहीं, बाढ़ की विभीषका में फंसे ग्रामीण अभी भी किसी तरह की सरकारी मदद या सुविधा मिलने की बात को सिरे से खारिज कर रहे हैं.
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बाढ़ में बेघर हुए लोग काफी परेशान हैं. कई लोगों की जमा पूंजी को बाढ़ ने डूबा दिया. खेत खलियान पूरी तरह डूब गए हैं. जिले में आई भयावह बाढ़ से सब्जी की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान हुआ है, जिनके पूरे खेत और फसल बर्बाद हो गई है. वहीं, कई परिवार ऐसे हैं जिनमें पुरुष सदस्य नहीं हैं, वहां महिलाएं मायूस है महिलाएं रो रही हैं कि उनका दर्द भला कौन समझेगा.