मुजफ्फरपुर: देश की जानी-मानी हिंदी साहित्यकार और बिहार की बेटी अनामिका को उनकी हिंदी कविता संग्रह 'टोकरी में दिगन्त, थेरीगाथा' के लिए साल 2020 के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है. इसके साथ ही हिंदी कविता संग्रह के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार पाने वाली वे देश की पहली महिला साहित्यकार बन गईं हैं. अनामिका के इस पुरस्कार की घोषणा के बाद से सुस्ता गांव मे खुशी की लहर दौड़ गई है.
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बचपन से मेघावी
सुस्ता गांव के श्यामनंदन किशोर और आशा किशोर के घर जन्मी डॉक्टर अनामिका बचपन से ही काफी मेघावी रही हैं. बचपन से ही कई पत्र-पत्रिकाओं में इनके आलेख छपते रहे है. डॉक्टर अनामिका के पिता श्यामनंदन किशोर बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं. वहीं मां आशा किशोर भी बिहार की जानी-मानी लेखिका है.
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दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर
ग्रामीणों ने बताया कि सुस्ता गांव के लिए यह गौरव की बात है कि गांव की बेटी को साहित्य के क्षेत्र में इतना बड़ा सम्मान मिला है. डॉक्टर अनामिका बचपन से ही पढ़ने में काफी कुशाग्र और तेज थी. उनकी पढ़ाई मुजफ्फरपुर के चैपमैन हाई स्कूल और एमडीडीएम कॉलेज से हुई थी. बाद में वह उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चली गयी. अभी डॉ अनामिका दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी की प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं.