मुजफ्फरपुर(खरौना): अब जल्द ही बिहार के खेतों में परंपरागत गेंदा फूल के बजाय सबसे बड़े आकार वाले अफ्रीकन गेंदा के फूल लहलहाते नजर आएंगे. मुजफ्फरपुर के खरौना में एक निजी टिशू कल्चर लैब में ना सिर्फ इस किस्म के पौधे तैयार हो रहे हैं, बल्कि प्रयोग के तौर इसकी सफलतापूर्वक खेती भी हो रही है.
अफ्रीकन गेंदा फूल
खेतों में खिले बड़े आकार के गेंदा के फूल आकर्षण का केंद्र बने हुये हैं. इस प्रजाति की सबसे बड़ी खसियत यह है कि इस प्रजाति की खेती से प्रति हेक्टेयर गेंदा के फूल का उत्पादन सामान्य फूलों की तुलना में अधिक होती है.
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टिशू कल्चर के सहयोग से खेती
बिहार में फूल की खेती का दायरा बढ़ता जा रहा है. इसे देखते हुए अब इसको और आगे ले जाने के लिए नई कृषि तकनीक का सहयोग लेने की कवायद राज्य में शुरू हो गई है. पहले गेंदा के इस प्रजाति के पौधे बिहार में नही मिलते थे. कोलकाता में इसकी खेती होती थी. लेकिन अब टिशू कल्चर के सहयोग से स्थानीय स्तर पर इसके पौधे तैयार हो रहे हैं. जिसे जल्द ही किसानों को उपलब्ध कराने की दिशा में पहल शुरू की जाएगी.
नकदी फसल को प्राथमिकता
बिहार में बदलते जलवायु के मद्देनजर अब किसान परंपरागत खेती की बजाय नकदी फसल की खेती को प्राथमिकता देने लगे है. यही वजह है कि बिहार में गेंदा के फूल की खेती की तरफ किसान बढ़ने लगे हैं. फूलों की बढ़ती मांग के बीच जिले में कई जगह किसान गेंदा फूल की खेती कर रहे हैं. ऐसे में मुजफ्फरपुर के निजी टिशू कल्चर की यह पहल बिहार के किसानों की सफलता में मील का पत्थर साबित होगा. फिलहाल इस टिशू कल्चर लैब में गन्ना, केला और नींबू के उन्नत पौधों को तैयार करने की दिशा में काफी प्रसिद्धि मिल चुकी है.