मुंगेर: पूरे देश में कोरोना का कहर जारी है. इसका असर व्रत त्यौहारों पर भी देखने को मिल रहा है. राज्य के विभिन्न जिलों में आज सुबह-सुबह महिलाओं ने वट सावित्री की पूजा कर पति की लंबी आयु की कामना की. हर साल की अपेक्षा इस साल कम महिला श्रद्धालु ही पूजा स्थलों तक पहुंची.
वट सावित्री की कथा
कथाओं के अनुसार वट वृक्ष के नीचे व्रत के प्रभाव से सावित्री ने अपने मृत पड़े पति सत्यवान को फिर से जीवित किया था. तभी से इस व्रत को वट सावित्री के नाम से जाना जाता है. महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए यह व्रत करती हैं. पुराणों में ये स्पष्ट किया गया है कि वट में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों का वास होता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है.
पूजा की विधि
महिलाएं इस दिन सुहागिन परिधान में वट वृक्ष की पूजा करती हैं. केला, नारियल ,खीरा, सेब इत्यादि फलों को वट वृक्ष को अर्पण करके वट वृक्ष के साथ कच्चे धागों को बांधते हुए सात फेरे की परिक्रमा लेती हैं. अंत में महिलाएं वट वृक्ष से उनके (वट वृक्ष) उम्र की तरह ही अपने पति के लिए 100 साल आयु की कामना करती हैं. फिर महिलाएं घर आकर पति की पूजा करने के बाद साथ में प्रसाद ग्रहण करती हैं.
वहीं, मुंगेर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अविनाश कुमार शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष वैश्विक महामारी का रूप ले चुके कोरोना संक्रमण के बीच यह व्रत मनाया जा रहा है. सुहागिन महिलाएं पूजा के साथ-साथ महामृत्युंजय मंत्र का भी 11 बार जप करें. इस मंत्र के जाप से उनके पति परिवार ,समाज देश और विश्व का कल्याण होगा.
वट वृक्ष की परिक्रमा का विधान
वट वृक्ष की पूजा कर रही महिलाओं ने बताया कि आज के दिन हम 24 घंटे का उपवास करते हैं. जिसमें सिर्फ फल शाम के समय खाते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि यह व्रत अपने पति के साथ पूरे परिवार की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. इसमें बांस की टोकरी में सात तरह का अनाज और सुहाग की सामग्री रखकर महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं. इस व्रत में वट वृक्ष की परिक्रमा का विधान है.