मुंगेर: जिले के लालगढ़ के नाम से चर्चित धरहरा और हवेली खड़गपुर प्रखंड से नक्सलियों का गहरा रिश्ता रहा है. यहां के लोग नक्सलियों के खौफ के साए में अपनी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. इन इलाकों में नक्सली कई हत्याएं और जघन्य वारदातों को अंजाम देकर खुलेआम घूमते हैं. नक्सलियों की धरहरा के पहाड़ी इलाकों में नक्सलियों की चहल कदमी बढ़ी है. जिसे लेकर खुफिया विभाग ने गृह विभाग को रिपोर्ट भेजी है.
स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बलों के द्वारा इन इलाकों में लगातार छापेमारी की जाती है, लेकिन वांटेड नक्सली और उनके सहयोगी अभी भी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं. कई थानों में जेबी जोन के कमांडर अरविंद यादव और उनके सहयोगियों पर 5 दर्जन से अधिक संगीन मामले दर्ज हैं. जिसमें बहुचर्चित करेली नरसंहार कांड भी शामिल है.
''नक्सलियों के संभावित ठिकानों पर लगातार छापेमारी की जा रही है. बंगलवा सहित अन्य इलाकों पर भी पुलिस की पैनी नजर है. उनके जवान नक्सलियों के मंसूबे को विफल कर देगी''- राजकुमार राज, एएसपी, मुंगेर
सूत्रों से पता चला है कि लड़ैयाटाड़ थाना क्षेत्र के बंगलवा के भी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सलियों के लगातार आवाजाही की सूचना मिल रही है. अपने पुराने मित्रों के घर पहुंचकर नक्सली लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाने के बाद जंगलों में कूच कर जाते हैं. नक्सलियों की आवाजाही और खानपान करने की सूचना मिलते ही आसपास के ग्रामीण काफी भयभीत हैं. ग्रामीणों को ये डर सता रहा है कि कभी भी नक्सली किसी बड़ी अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते हैं.
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बता दें कि वर्ष 2006 में धरहरा प्रखंड के दशरथपुर रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक को बारूदी सुरंग से उड़ा देने के बाद अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने वाले नक्सली अब तक दर्जनभर से अधिक लोगों को पुलिस मुखबिर बताकर मौत के घाट उतार चुके हैं. नक्सलियों ने वर्ष 2011 की 2 जुलाई को करेली नरसंहार में 6 ग्रामीणों को गोलियों से भून डाला था. नक्सलियों ने धरहरा थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष राजीव चौधरी पर भी गोलियां बरसाई थी. हालांकि उसमें वह बाल-बाल बच गए थे.