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1 KM के दायरे में 3 दर्जन से अधिक चौक-चौराहे, बिहार के इस शहर से आप वाकिफ हैं क्या?

बिहार का एक ऐसा शहर जहां 1 किलोमीटर की परिधि में 3 दर्जन से अधिक चौक-चौराहे हैं. इस शहर का पुनर्निर्माण अंग्रेजों ने कराया था. ब्रिटिश राज के वक्त कुछ समय के लिए मुंगेर बिहार, बंगाल और उड़ीसा (ओडिशा) की संयुक्त राजधानी थी. पढ़ें पूरी खबर...

Munger town
मुंगेर शहर
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Published : Sep 9, 2021, 7:27 AM IST

Updated : Sep 9, 2021, 1:15 PM IST

मुंगेर: बिहार का मुंगेर (Munger) शहर 1934 के भूकंप (Earthquake) में पूरी तरह नेस्तनाबूद हो गया था. मकान मलबे में तब्दील हो गए थे. उस समय महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी मुंगेर आए थे और भूकंप पीड़ितों की मदद की थी. इन लोगों ने खुद कुदाल और फावड़ा लेकर मलबा हटाया था. भूकंप के बाद अंग्रेजों ने इस शहर को दोबारा बसाया था.

यह भी पढ़ें- इस नेत्रहीन को है रंगों की अच्छी पहचान, 20 साल से चला रहे जूते-चप्पल की दुकान

1934 का भूकंप मुंगेर के लिए काल साबित हुआ था. मुंगेर शहर पूरी तरह मलबे में तब्दील हो गया था. बाजार के इलाके में ना कोई दुकान बचा था ना कोई मकान. हर तरफ मलबा ही मलबा पसरा था. शहर की जिंदगी दोबारा पटरी पर लौटाने के लिए अंग्रेजों ने मास्टर प्लान तैयार किया था. 100-500 मीटर के क्षेत्र का एक ब्लॉक बनाया गया था. सभी ब्लॉक सड़क और चौराहों से एक-दूसरे से जुड़े थे.

देखें रिपोर्ट

वर्तमान समय में कोतवाली थाना क्षेत्र के 1 किलोमीटर की परिधि में ही 35 से 40 चौक चौराहे हैं. कई चौक चौराहे भारत के महापुरुषों के नाम पर हैं तो कई देवी देवताओं के नाम पर भी हैं. मुंगेर नगर निगम क्षेत्र में 45 वार्ड हैं, जिसमें 5 वार्ड बाजार इलाके में आते हैं. कोतवाली थाना क्षेत्र के चारों ओर चौराहों का जाल बिछा हुआ है. सड़क भी 18 फीट से कम चौड़ी नहीं है. इसके कारण बड़े से बड़े वाहन भी यहां आराम से निकल जाते हैं. बाजार इलाके में कभी जाम नहीं लगता.

कोतवाली थाना से नीलम चौक तक पहुंचे तो कोतवाली चौक, शीतला मंदिर चौक, इंदिरा गांधी चौक, फल मंडी चौक, गुलजार पोखर चौक, शहीद अब्दुल हमीद खां चौक और हमीद खां चौक मिलते हैं. यहां से अगर आगे बढ़ते हैं तो गांधी चौक है. पूरब सराय इलाके की ओर चलते हैं तो मीर गयास चौक, दुर्गा स्थान चौक, शाह चौक, दिलीप महल चौक, पूरब सराय रेलवे स्टेशन चौक और ब्रह्म स्थान चौक हैं. यहां से पूर्वी किला तक पहुंचते हैं तो महात्मा गांधी चौक, दीनदयाल चौक, बाटा चौक, वैशाली चौक, राजीव गांधी चौक, सरदार वल्लभभाई पटेल चौक और किला चौक हैं.

पटेल चौक से अगर बैजनाथ गर्ल स्कूल तक पहुंचे हैं तो श्रीकृष्ण चौक, टाउन हॉल चौक, सितारिया चौक, नगर निगम चौक, भगत सिंह चौक, कस्तूरबा वाटर चौक और कौड़ा मैदान चौक हैं. इससे आगे बढ़ें तो अंबे चौक, शादीपुर चौक, नेहरू चौक, दिलावरपुर चौक, अटल बिहारी वाजपेयी चौक, मयूर चौक, राजेंद्र प्रसाद सिंह चौक, शिवाजी चौक, विजय चौक, मुरारी चौक, भगत सिंह चौक, शास्त्री चौक और अनुराग चौक जैसे कई चौक-चौराहे हैं जो मात्र 1 किलोमीटर की परिधि में आते हैं.

चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व जिला अध्यक्ष सह भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश जैन ने कहा, 'मुंगेर शहर का पुनर्निर्माण अंग्रेजों ने किया था. मास्टर प्लान इस तरह बनाया गया कि एक चौक से दूसरे चौक की दूरी मात्र 100-500 मीटर है. सड़कें भी 18 फीट से कम चौड़ी नहीं हैं.'

"मुंगेर में इतने चौक-चौराहे होने के कारण कभी जाम नहीं लगता. अतिक्रमण के कारण कुछ इलाके में ट्रैफिक अधिक होती है तो लोग शॉर्टकट से अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं. हजारों की संख्या में रोज गाड़ियां गुजरती हैं, लेकिन मुख्य सड़कों पर जाम नगण्य रहता है."- राजेश जैन, पूर्व जिला अध्यक्ष, चेंबर ऑफ कॉमर्स सह भाजपा जिलाध्यक्ष

यह भी पढ़ें- UP में मुकेश सहनी की जान को खतरा, सुरक्षा को लेकर PM-CM और गृहमंत्री को पत्र लिखेगी VIP

मुंगेर: बिहार का मुंगेर (Munger) शहर 1934 के भूकंप (Earthquake) में पूरी तरह नेस्तनाबूद हो गया था. मकान मलबे में तब्दील हो गए थे. उस समय महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी मुंगेर आए थे और भूकंप पीड़ितों की मदद की थी. इन लोगों ने खुद कुदाल और फावड़ा लेकर मलबा हटाया था. भूकंप के बाद अंग्रेजों ने इस शहर को दोबारा बसाया था.

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1934 का भूकंप मुंगेर के लिए काल साबित हुआ था. मुंगेर शहर पूरी तरह मलबे में तब्दील हो गया था. बाजार के इलाके में ना कोई दुकान बचा था ना कोई मकान. हर तरफ मलबा ही मलबा पसरा था. शहर की जिंदगी दोबारा पटरी पर लौटाने के लिए अंग्रेजों ने मास्टर प्लान तैयार किया था. 100-500 मीटर के क्षेत्र का एक ब्लॉक बनाया गया था. सभी ब्लॉक सड़क और चौराहों से एक-दूसरे से जुड़े थे.

देखें रिपोर्ट

वर्तमान समय में कोतवाली थाना क्षेत्र के 1 किलोमीटर की परिधि में ही 35 से 40 चौक चौराहे हैं. कई चौक चौराहे भारत के महापुरुषों के नाम पर हैं तो कई देवी देवताओं के नाम पर भी हैं. मुंगेर नगर निगम क्षेत्र में 45 वार्ड हैं, जिसमें 5 वार्ड बाजार इलाके में आते हैं. कोतवाली थाना क्षेत्र के चारों ओर चौराहों का जाल बिछा हुआ है. सड़क भी 18 फीट से कम चौड़ी नहीं है. इसके कारण बड़े से बड़े वाहन भी यहां आराम से निकल जाते हैं. बाजार इलाके में कभी जाम नहीं लगता.

कोतवाली थाना से नीलम चौक तक पहुंचे तो कोतवाली चौक, शीतला मंदिर चौक, इंदिरा गांधी चौक, फल मंडी चौक, गुलजार पोखर चौक, शहीद अब्दुल हमीद खां चौक और हमीद खां चौक मिलते हैं. यहां से अगर आगे बढ़ते हैं तो गांधी चौक है. पूरब सराय इलाके की ओर चलते हैं तो मीर गयास चौक, दुर्गा स्थान चौक, शाह चौक, दिलीप महल चौक, पूरब सराय रेलवे स्टेशन चौक और ब्रह्म स्थान चौक हैं. यहां से पूर्वी किला तक पहुंचते हैं तो महात्मा गांधी चौक, दीनदयाल चौक, बाटा चौक, वैशाली चौक, राजीव गांधी चौक, सरदार वल्लभभाई पटेल चौक और किला चौक हैं.

पटेल चौक से अगर बैजनाथ गर्ल स्कूल तक पहुंचे हैं तो श्रीकृष्ण चौक, टाउन हॉल चौक, सितारिया चौक, नगर निगम चौक, भगत सिंह चौक, कस्तूरबा वाटर चौक और कौड़ा मैदान चौक हैं. इससे आगे बढ़ें तो अंबे चौक, शादीपुर चौक, नेहरू चौक, दिलावरपुर चौक, अटल बिहारी वाजपेयी चौक, मयूर चौक, राजेंद्र प्रसाद सिंह चौक, शिवाजी चौक, विजय चौक, मुरारी चौक, भगत सिंह चौक, शास्त्री चौक और अनुराग चौक जैसे कई चौक-चौराहे हैं जो मात्र 1 किलोमीटर की परिधि में आते हैं.

चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व जिला अध्यक्ष सह भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश जैन ने कहा, 'मुंगेर शहर का पुनर्निर्माण अंग्रेजों ने किया था. मास्टर प्लान इस तरह बनाया गया कि एक चौक से दूसरे चौक की दूरी मात्र 100-500 मीटर है. सड़कें भी 18 फीट से कम चौड़ी नहीं हैं.'

"मुंगेर में इतने चौक-चौराहे होने के कारण कभी जाम नहीं लगता. अतिक्रमण के कारण कुछ इलाके में ट्रैफिक अधिक होती है तो लोग शॉर्टकट से अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं. हजारों की संख्या में रोज गाड़ियां गुजरती हैं, लेकिन मुख्य सड़कों पर जाम नगण्य रहता है."- राजेश जैन, पूर्व जिला अध्यक्ष, चेंबर ऑफ कॉमर्स सह भाजपा जिलाध्यक्ष

यह भी पढ़ें- UP में मुकेश सहनी की जान को खतरा, सुरक्षा को लेकर PM-CM और गृहमंत्री को पत्र लिखेगी VIP

Last Updated : Sep 9, 2021, 1:15 PM IST
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