STD या यौन संचारित रोग एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन सचेतता, सही इलाज और जरूरी सावधानियों को अपनाकर इसे रोका और नियंत्रित किया जा सकता है.
यौन संचारित रोग: जरूरी हैं जागरूकता और सही समय पर इलाज
STD (Sexually Transmitted Diseases ) या यौन संचारित रोग आज के दौर में भी ऐसे विषयों में से एक माने जाते हैं जिन्हे समाज शर्मनाक या घृणित मानता है और बहुत से लोग इनके बारे में बात करने से भी हिचकिचाते हैं. यौन संचारित रोग दरअसल वे बीमारियां हैं जो असुरक्षित यौन संबंधों तथा कुछ अन्य कारणों से होती तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलती हैं. यह समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित कर सकती है और यदि समय पर उनके संकेतों पर ध्यान ना दिया जाए और इलाज ना करवाया जाए तो यह गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं तथा कई बार जानलेवा स्थितियों का कारण भी बन सकती हैं.
STD क्या है?
नई दिल्ली के सेक्सोलोजिस्ट डॉ. विपिन कालरा बताते हैं एसटीडी एक रोग नहीं है बल्कि कई प्रकार के संक्रमण और बीमारियों का समूह है. बहुत से मामलों में यौन संचारित रोग यौन गतिविधि (जिसमें मौखिक सेक्स और अन्य प्रकार के यौन संपर्क शामिल हैं) के दौरान वीर्य, रक्त तथा अन्य शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क से फैलते हैं. वहीं असुरक्षित यौन संपर्क के अलावा संक्रमित रक्त के उपयोग से ,संक्रमित सुई के उपयोग से या कभी कभी संक्रमित माता से बच्चे में भी यह रोग फैल सकते हैं.
वह बताते हैं कि यौन संचारित रोगों की श्रेणी में कई प्रकार के रोग आते हैं जैसे क्लैमाइडिया, गोनोरिया, एचआईवी एड्स, जेनिटल हर्पीज, सिफलिस, प्यूबिक लाइस,एचपीवी तथा ट्राइकोमोनिएसिस आदि. इन रोगों के लिए आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट्स जिम्मेदार होते है. जैसे एचआईवी के लिए रेट्रोवायरस तथा गोनोरिया और क्लैमाइडिया के लिए बैक्टीरिया आदि.
लक्षण
डॉ. विपिन कालरा बताते हैं कि हालांकि संक्रमण के आधार पर लोगों में उनके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. लेकिन ज्यादातर यौन संचारित रोगों में कुछ लक्षण आमतौर पर नजर आते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- यौन अंगों में दर्द, जलन या खुजली
- योनि या लिंग से अस्वस्थ स्राव
- यौन अंगों पर घाव, मस्से, फुंसी या रैश
- गुदा क्षेत्र में खुजली, दर्द और लालिमा
- जननांग क्षेत्र में खुजली और लालिमा
- पेशाब करते समय दर्द या जलन
- महिलाओं में असामान्य योनि गंध
- बुखार या थकान
- मुंह के आस-पास छाले या घाव
- पेल्विक एरिया में दर्द,आदि.
इलाज और सावधानियां
वह बताते हैं कि बहुत जरूरी हैं इस तरह के लक्षणों को अनदेखा ना किया जाए क्योंकि संक्रमण या रोग की गंभीरता बढ़ने पर कई बार इलाज में जाटिलताएं हो सकती हैं और कभी कभी स्थिति जानलेवा भी हो सकती हैं. सामान्यतः संक्रमण की पुष्टि तथा उसके प्रकार की जांच के लिए रक्त परीक्षण, यूरीन टेस्ट, या स्वैब टेस्ट करवाया जाता हैं. जिसके बाद रोग के कारण के आधार पर पीड़ित को एंटीबायोटिक्स या एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं. लेकिन कुछ गंभीर संक्रमण ऐसे होते हैं जिनके लिए लंबे समय तक और यहां तक की कई बार उम्र भर इलाज व सावधानियों की जरूरत पड़ सकती हैं . वहीं यदि इस प्रकार के संक्रमण के प्रभाव में आने पर समय पर तथा पूरा इलाज ना करवाया जाए तो महिलाओं व पुरुषों दोनों में इसके गंभीर और कई बार जानलेवा प्रभाव भी नजर आ सकते हैं.
वह बताते हैं कि ऐसे लोग जो यौन गतिविधियों में ज्यादा सक्रिय रहते है या मल्टीपल पार्टनर रखते हैं उन्हे इस प्रकार के संक्रमण को लेकर ज्यादा सचेत रहने की जरूरत होती हैं. ऐसे लोगों को नियमित STD स्क्रीनिंग करानी चाहिए तथा सुरक्षित सेक्स यानी संभोग के दौरान कॉन्डम का उपयोग करना चाहिए. वहीं यदि कोई महिला या पुरुष गंभीर संक्रमण से पीड़ित है और उनका इलाज चल रहा है तो उन्हे किसी भी प्रकार की यौन गतिविधि से परहेज करना चाहिए.
इसके अलावा इस तरह के संक्रमण से बचने के लिए बहुत जरूरी है कि कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाए जैसे कभी भी अस्पताल में या कही भी रक्त जांच करते समय , खून चढ़ाते समय, या ड्रिप के माध्यम से किसी दवा को चढ़वाने के दौरान यह सुनिश्चित करना चाहिए की हमेशा नई सुई का उपयोग किया जा रहा हो. वहीं यदि किसी व्यक्ति को रक्त चढ़ाया जा रहा है तो यह सुनिश्चित करना भी जरूरी हैं कि कही रक्त संक्रमित तो नहीं है या जिस व्यक्ति ने रक्तदान किया है वह कही संक्रमित तो नहीं था.
हालांकि सही इलाज व कुछ जरूरी सावधानियों का पालन करके इन संक्रमणों के प्रभावों को कम किया जा सकता है लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी हैं कि कई बार इलाज में लापरवाही के चलते या कुछ विशेष अवस्थाओं में कुछ विशेष प्रकार के संक्रमण लाइलाज भी हो सकते हैं. वहीं कुछ मामलों में इनका इलाज कई महीनों तक भी चल सकता है.इसलिए बहुत जरूरी हैं कि सही समय पर चिकित्सक की सलाह लेकर सही जांच व इलाज करवाया जाए तथा तमाम जरूरी सावधानियों व परहेज का भी विशेष ध्यान रखा जाए जिससे रोगी तो ठीक हो ही सके वहीं उसके कारण कोई अन्य व्यक्ति भी इस संक्रमण के प्रभाव में ना आए.
(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सुझाव केवल आपके समझने के लिए हैं. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. इनका पालन करने से पहले अपने निजी डॉक्टर की सलाह लेना सबसे अच्छा है.)