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विपरीत जलवायु में भी मुंगेर में हो रही है हिमाचल के सेब की खेती - ईटीवी न्यूज

हिमाचल और कश्मीर के सेब तो पूरी दुनिया में मशहूर है. अगर बिहार में सेब की खेती होने लगे और वह भी मुंगेर (apple farming in munger) में तो कैसा रहेगा. सुनने में यह भले ही अटपटा लगे लेकिन मुंगेर के एक किसान ने इसकी खेती शुरू की है. यदि सब ठीकठाक रहा तो आप मुंगेर के सेब का स्वाद ले पायेंगे. पढ़ें पूरी खबर.

apple farming in munger
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Published : Jan 19, 2022, 8:10 PM IST

मुंगेर: ठंड प्रदेशों में उगने वाले सेब की खेती बिहार जैसे गर्म सूबे में भी अब संभव है. यह संभव कर दिखाया है मुंगेर जिले के छोटे से कस्बे जमालपुर प्रखंड अंतर्गत रामपुर गांव के किसान शंभू शरण सिंह ने. इन्होंने हिमाचल प्रदेश के हारमोन 99 प्रजाति के सेब का पौधा (Munger farmer doing apple cultivation) लगाया है. सेब मीठे होंगे और फल का आकार भी हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के सेब के जैसा होगा.




सोशल मीडिया से सेब की खेती की मिली प्रेरणा
पुरखों से चली आ रही खेती किसानी को शंभू शरण ने आधुनिकता के दौर में भी नहीं छोड़ा. आधुनिक संसाधनों को खेतीबारी में हथियार की तरह उपयोग कर मुनाफा कमाना शुरू कर दिया. किसान शंभू शरण सिंह ने बताया कि सेब की खेती मुंगेर जिले में कैसे हो? इसके लिए मैंने सोशल मीडिया का सहारा लिया. यूट्यूब, गूगल पर जाकर सेब की खेती के बारे में जाना. यहां की मिट्टी और तापमान के हिसाब से प्रजाति का चयन किया.

इसी दौरान हिमाचल के एक किसान वैज्ञानिक हरमन शर्मा से हमारी बात हुई. उन्होंने मुझे इस तापमान में भी सेब की खेती करने की सलाह दी. उनके द्वारा मुझे 16 पौधे उपलब्ध कराए गए. मैंने प्रयोग के तौर पर एक सेब के पौधे लगाये हैं. पौधे लहलहा रहे हैं. 1 साल के बाद इसमें फल भी लगेगा. उन्होंने बताया कि हार्मोन 99 हिमाचल प्रदेश के सेब की एक प्रजाति है जो 40 से 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी आराम से विकसित होती है. उन्होंने कहा कि एक बीघा में सेब की खेती में अमूमन प्रतिवर्ष 7 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है.


ये भी पढ़ें: आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस बनी मुसीबत, कोरोना जांच के अभाव में डायलिसिस प्रभावित
मिट्टी लेकर हिमाचल जाएंगे शंभू शरण सिंह
उन्होंने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान कहा कि 40 से 45 डिग्री सेल्सियस पर पौधे तो विकसित होंगे लेकिन मिट्टी की उर्वरा शक्ति कितनी है, अगर मिट्टी सही रही तो मैं बड़े पैमाने पर सेब की खेती इस इलाके में करूंगा. इसलिए मिट्टी जांच के लिए हिमाचल के कृषि वैज्ञानिक हरमन शर्मा ने हमें बुलाया है. जहां वे इस मिट्टी का लैब में परीक्षण कर जानेंगे की यह कितनी उपयुक्त है. फिलहाल उन्होंने कहा कि हमने जो पौधे लगाए हैं, वह जीवित हैं. उनमें ग्रोथ भी हो रहा है. शंभू शरण अपने खेत की मिट्टी लेकर 2 फरवरी को मुंगेर से हिमाचल जा रहे हैं.

मुंगेर में सेब की खेती

आकार रंग और स्वाद हिमाचल सेब जैसा
शंभू शरण सिंह ने कहा कि अभी मैंने लगभग 12 से 15 पौधे ही लगाये हैं. यह अगले साल 2023 में फल देना शुरू कर देगा. लगातार 10 वर्षों तक एक पौधे से फल ले सकते हैं. इसमें मेहनत और लागत कम तथा मुनाफा अधिक है. उन्होंने बताया कि एक पौधा से 10 साल तक फलन होता है. सेब का आकार भी हिमाचल प्रदेश एवं कश्मीरी सेब के तरह बड़ा, रंग भी लाल और स्वाद बेमिसाल मिलेगा. हमने यह प्रयोग के तौर पर खेती की है. आगे अगर मिट्टी बेहतर रही तो अपने 10 बीघा के खेत में इसे लगायेंगे.

ये भी पढ़ें: बड़ी लापरवाही..! कोरोना काल में जब सब कुछ बंद तो, क्यों खुले हैं आंगनबाड़ी केंद्र?
बोले कृषि वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मुकेश ने कहा कि बिहार में भी सेब की खेती होने लगी है. जमालपुर के शंभू शरण सिंह प्रयोग के तौर पर खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के मौसम, तापमान और जलवायु के अनुसार हिमाचल सेब की हारमोन 99 प्रजाति तैयार की गई है जो इस वातावरण में भी विकसित एवं फलन के लिए उपयुक्त है.

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मुंगेर: ठंड प्रदेशों में उगने वाले सेब की खेती बिहार जैसे गर्म सूबे में भी अब संभव है. यह संभव कर दिखाया है मुंगेर जिले के छोटे से कस्बे जमालपुर प्रखंड अंतर्गत रामपुर गांव के किसान शंभू शरण सिंह ने. इन्होंने हिमाचल प्रदेश के हारमोन 99 प्रजाति के सेब का पौधा (Munger farmer doing apple cultivation) लगाया है. सेब मीठे होंगे और फल का आकार भी हिमाचल प्रदेश और कश्मीर के सेब के जैसा होगा.




सोशल मीडिया से सेब की खेती की मिली प्रेरणा
पुरखों से चली आ रही खेती किसानी को शंभू शरण ने आधुनिकता के दौर में भी नहीं छोड़ा. आधुनिक संसाधनों को खेतीबारी में हथियार की तरह उपयोग कर मुनाफा कमाना शुरू कर दिया. किसान शंभू शरण सिंह ने बताया कि सेब की खेती मुंगेर जिले में कैसे हो? इसके लिए मैंने सोशल मीडिया का सहारा लिया. यूट्यूब, गूगल पर जाकर सेब की खेती के बारे में जाना. यहां की मिट्टी और तापमान के हिसाब से प्रजाति का चयन किया.

इसी दौरान हिमाचल के एक किसान वैज्ञानिक हरमन शर्मा से हमारी बात हुई. उन्होंने मुझे इस तापमान में भी सेब की खेती करने की सलाह दी. उनके द्वारा मुझे 16 पौधे उपलब्ध कराए गए. मैंने प्रयोग के तौर पर एक सेब के पौधे लगाये हैं. पौधे लहलहा रहे हैं. 1 साल के बाद इसमें फल भी लगेगा. उन्होंने बताया कि हार्मोन 99 हिमाचल प्रदेश के सेब की एक प्रजाति है जो 40 से 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी आराम से विकसित होती है. उन्होंने कहा कि एक बीघा में सेब की खेती में अमूमन प्रतिवर्ष 7 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है.


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मिट्टी लेकर हिमाचल जाएंगे शंभू शरण सिंह
उन्होंने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत के दौरान कहा कि 40 से 45 डिग्री सेल्सियस पर पौधे तो विकसित होंगे लेकिन मिट्टी की उर्वरा शक्ति कितनी है, अगर मिट्टी सही रही तो मैं बड़े पैमाने पर सेब की खेती इस इलाके में करूंगा. इसलिए मिट्टी जांच के लिए हिमाचल के कृषि वैज्ञानिक हरमन शर्मा ने हमें बुलाया है. जहां वे इस मिट्टी का लैब में परीक्षण कर जानेंगे की यह कितनी उपयुक्त है. फिलहाल उन्होंने कहा कि हमने जो पौधे लगाए हैं, वह जीवित हैं. उनमें ग्रोथ भी हो रहा है. शंभू शरण अपने खेत की मिट्टी लेकर 2 फरवरी को मुंगेर से हिमाचल जा रहे हैं.

मुंगेर में सेब की खेती

आकार रंग और स्वाद हिमाचल सेब जैसा
शंभू शरण सिंह ने कहा कि अभी मैंने लगभग 12 से 15 पौधे ही लगाये हैं. यह अगले साल 2023 में फल देना शुरू कर देगा. लगातार 10 वर्षों तक एक पौधे से फल ले सकते हैं. इसमें मेहनत और लागत कम तथा मुनाफा अधिक है. उन्होंने बताया कि एक पौधा से 10 साल तक फलन होता है. सेब का आकार भी हिमाचल प्रदेश एवं कश्मीरी सेब के तरह बड़ा, रंग भी लाल और स्वाद बेमिसाल मिलेगा. हमने यह प्रयोग के तौर पर खेती की है. आगे अगर मिट्टी बेहतर रही तो अपने 10 बीघा के खेत में इसे लगायेंगे.

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बोले कृषि वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. मुकेश ने कहा कि बिहार में भी सेब की खेती होने लगी है. जमालपुर के शंभू शरण सिंह प्रयोग के तौर पर खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के मौसम, तापमान और जलवायु के अनुसार हिमाचल सेब की हारमोन 99 प्रजाति तैयार की गई है जो इस वातावरण में भी विकसित एवं फलन के लिए उपयुक्त है.

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