मुंगेर: कोरोना महामारी (Corona Virus) के कारण बंद पड़े स्कूल फिर से खुल चुके हैं. इसे लेकर बच्चे, अभिभावक और शिक्षकों में खुशी भी देखी जा रही है. लेकिन इन दिनों वायरल फीवर (Viral Fever In Bihar) ने अभिभावकों की चिंताएं बढ़ा दी है. वायरल फीवर से संक्रमितों के आंकड़े डराने वाले आ रहे हैं. वहीं तीसरी लहर (Third Wave Of Corona Virus) की आशंका को देखते हुए बच्चों को ज्यादा से ज्यादा एतिहात बरतने की सलाह दी जा रही है. लेकिन बिहार के मुंगेर (Munger) जिले के बासुदेवपुर राजकीय प्राथमिक विद्यालय (Basudevpur Rajkiya Primary School) में बच्चे बिल्कुल सुरक्षित नहीं दिख रहे हैं. बच्चों को बगैर मास्क के ही स्कूल में प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही है.
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मुंगेर में अमूमन 200 से 300 बच्चे वायरल फीवर की चपेट में आ चुके हैं. ऐसे बच्चों में सर्दी, खांसी, बुखार के साथ-साथ ऑक्सीजन की कमी होने लगती है. चिकित्सकों का मानना है कि यह वायरल फीवर संक्रमितों के संपर्क में आने से तेजी से फैल रहा है. लेकिन विद्यालय में बच्चे बदस्तूर आ-जा रहे हैं.
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विद्यालय में 60% फीसदी से अधिक उपस्थिति के निर्देश भी दे दिए गए हैं. लेकिन विद्यालय प्रबंधन के माध्यम से कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है. जी हां हम बात कर रहे हैं कोतवाली थाना क्षेत्र अंतर्गत बासुदेवपुर राजकीय प्राथमिक विद्यालय की. इस विद्यालय में जब ईटीवी भारत (ETV Bharat) की टीम जांच पड़ताल के लिए पहुंची, तो स्थिति चिंताजनक पाई गई.
इस विद्यालय में न तो बच्चों के शरीर की तापमान की जांच की जा रही है और न ही हाथ सैनिटाइज किया जा रहा है. ऐसे में विद्यालय कोरोना की नई चेन बना सकता है. इस विद्यालय में अधिक से अधिक बच्चों ने आना शुरू कर दिया है. लंबे समय के बाद स्कूल खुले जाने पर बच्चों के अंदर भी स्कूल आने की उत्सुकता देखी जा रही है. जिसके कारण अधिक संख्या में बच्चे स्कूल पहुंच रहे हैं.
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका और वायरल फीवर के बढ़ते मामले को देखते हुए बच्चों का मास्क न लगाकर स्कूल जाना किसी खतरे को न्योता देने के बराबर है. बच्चे बगैर मास्क के ही विद्यालय पहुंचते देखें जा रहे हैं. वहीं, विद्यालय प्रबंधन के माध्यम से प्रवेश द्वार पर बच्चों के शरीर का तापमान इंफ्रारेड थर्मामीटर से मापा भी नहीं जा रहा है.
हद तो तब हो गई जब 72 बच्चों को मात्र 2 कमरे में बैठाया गया. यानी कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं किया जा रहा है. इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाध्यापक मुरारी रजक ने बताया कि इस विद्यालय में वर्ग प्रथम से पंचम तक की पढ़ाई होती है. सुबह 9:30 बजे विद्यालय में पढ़ाई आरंभ होती है. विद्यालय में 72 बच्चे नामांकित है. 9:30 बजे से प्रारंभ होकर 3:00 बजे तक स्कूल चलता है.
स्कूल में 12:30 बजे मध्यान भोजन के बाद क्लास 1:30 बजे से प्रारंभ होती है. उन्होंने कहा कि हम लोग मास्क लगाते है साथ ही बच्चों कोभी मास्क लगाने बोलते है. लेकिन मास्क लगाने को तैयार नहीं होते है. कुछ देर के लिए लगाते भी है लेकिन थोड़ी देर के बाद निकाल देते हैं.
'इस विद्यालय में 72 बच्चे नामांकित हैं. इन सभी बच्चों को 2 कमरों में एक हाथ की दूरी पर बैठाया जाता है. अभी फिलहाल न हाथ सैनिटाइज किया गया है और न ही शरीर के तापमान की जांच की गई है.' -मुरारी रजक, प्राचार्य
कुछ इसी तरह का नजारा राजकीय मध्य विद्यालय बासुदेवपुर में देखने को मिला. जहां 320 नामांकित बच्चों के लिए मात्र 10 कमरे ही हैं. ऐसे में यहां भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है. स्कूल के प्रवेश द्वार पर किसी भी बच्चे के तापमान की जांच नहीं की जा रही है. इसके अलावा विद्यालय प्रबंधन के द्वारा हाथों को सैनिटाइज भी नहीं किया जाता है. स्कूल में ऐसी स्थिति को देखते हुए अभिभावक भी मानते हैं कि बच्चों को स्कूल भेजना खतरे से खाली नहीं है.
'बच्चों को स्कूल भेजने में बहुत कठिनाईयां है. इससे कोरोना की तीसरी लहर की चेन बन रही है. जिस तरीके से वायरल फीवर बच्चों को संक्रमित कर रहा है, वह डराने वाला है. बच्चों को स्कूल भेजना खतरे से खाली नहीं है.' -चंद्र कुमार, अभिभावक
'पिछले 15 दिनों से जिले में वायरल फीवर के मामले अचानक से बढ़े हैं. इसमें सबसे अधिक बच्चे संक्रमित हो रहे है. इसका चेन संक्रमित के संपर्क में आने से ही बन रहा है. बच्चों को किसी भी सूरत में सार्वजनिक स्थान पर नहीं भेजना चाहिए. विद्यालय से संक्रमण का चेन बन सकता है. ऐसे कई मरीज के परिजन आए जिन्होंने कहा कि हम अपने बच्चों को कल विद्यालय भेजे थे. बच्चा जब शाम में घर लौटा, तो सर्दी-खांसी बुखार से पीड़ित है.' -डॉ अभिजीत, शिशु रोग विशेषज्ञ