मधुबनी: आंगनबाड़ी केंद्रों पर मिल रही सुविधाओं को पारदर्शी करने के लिए समाज कल्याण विभाग की ओर से एक नई पहल की शुरुआत की गई है. इसके तहत अब पोषाहार वितरण में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होगी. इसके लिए समाज कल्याण विभाग ने पोषाहार टोकन प्रणाली सिस्टम लागू किया है. टोकन प्रणाली सिस्टम के तहत ही लाभार्थियों के बीच पोषाहार का वितरण किया जाएगा. इसके लिए सभी आंगनबाड़ी सेविकाओं महिला सुपरवाइजर और सीडीपीओ को ऑनलाइन प्रशिक्षित भी किया जाएगा.
आंगनबाड़ी केंद्रों पर पोषाहार का वितरण
वहीं, इसको लेकर आईसीडीएस के निदेशक ने सभी डीपीओ और सीडीपीओ को पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया है. जारी पत्र में सभी जिलों में पोषाहार टोकन प्रणाली लागू किया जाना है. इसके अंतर्गत सेविका की ओर से सत्यापित लाभुकों के बीच ही पोषाहार वितरण किया जाना है. आंगनबाड़ी केंद्रों के वास्तविक लाभुकों के मोबाइल पर पोषाहार प्राप्ति के ओटीपी मैसेज की व्यवस्था की जाएगी. आईसीडीएस के निदेशक ने निर्देश दिया है कि कई माह के बाद आंगनबाड़ी केन्द्रों पर अब फिर से बच्चे, गर्भवती महिलाओं को पोषाहार मिल सकेगा. यह पोषाहार टेक होम राशन दिवस के दिन उन्हें मिलेगा. कोरोना के संक्रमण से बचाव को लेकर जून से टेक होम राशन और गर्म खाना के बदले राशि सीधे लाभुकों के खाते में भेजी जा रही थी. फिर से आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार देने का विभाग ने निर्णय लिया है.
खाते में भेजी जा रही थी राशि
डीपीओ रश्मि वर्मा ने बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम और बचाव के मद्देनजर टेक होम राशन का वितरण आंगनबाड़ी केन्द्रों पर चार महीने पहले बंद कर दिया था. इसके स्थान पर लाभुकों के खाते में पोषाहार के समतुल्य राशि डीबीटी के माध्यम से हस्तांतरित किया जा रहा था. लेकिन अब आईसीडीएस विभाग के निदेशक ने पुराने आदेश को निरस्त कर अक्टूबर महीने से टेक होम राशन आंगनबाड़ी केन्द्रों पर शुरु की जाएगी.
बच्चों को मिलेगा दूध
डीपीओ ने बताया कि कुपोषण की दर में कमी लाने के लिए 3 से 6 साल के बच्चों को 150 ग्राम दूध पिलाने का प्रावधान किया गया है. कॉम्फेड की ओर से सुधा दुग्ध पाउडर की आपूर्ति की जा रही है. उन्होंने बताया कि बच्चों में प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की जा रही है. हर बच्चे को 18 ग्राम दूध पाउडर 150 मिलीलीटर शुद्ध पेयजल में घोलकर पिलाने का प्रावधान किया गया है. अब देखना है कि कब तक सेविका इसे सही तरीके से उपयोग कर पाती हैं.