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मधुबनी: खुले में सोने को विवश हैं प्रवासी मजदूर, जिला प्रशासन कर रहा नजरअंदाज

प्रवासी मजदूरों ने कहा कि उन्हें रात से ही बुखार और सांस लेने में परेशानी हो रही है. लेकिन कोई हमारी सुध लेने वाला नहीं है. कोई मेडिकल टीम मदद करने को अभी तक नहीं आया है.

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Published : May 14, 2020, 6:57 PM IST

Updated : May 14, 2020, 11:56 PM IST

मधुबनी
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मधुबनी: कोरोना संक्रमण के कारण देश भर में लॉकडाउन लागू है. ऐसे में जब दूसरे प्रदेशों में काम करने गए प्रवासी मजदूरों के सामने जब रोजी-रोटी का संकट आया, तो उन्हें बिहार याद आया. अपने आशियाने की ओर लौटने की चाह में मजदूर किसी तरह यहां पहुंच तो गए लेकिन परेशानियों ने उनका दामन यहां भी नहीं छोड़ा. दरअसल, जिले के बेनीपट्टी प्रखंड अंतर्गत ब्रह्मपुरा पंचायत में सैकड़ों प्रवासी मजदूर वापस आए हुए हैं. लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण वे यहां पर खुले आसमान में रात और दिन बिताने को मजबूर हैं.

पेड़ के निचे रह रहे प्रवासी
दिल्ली, मुंबई और कोलकता जैसे बड़े महानगरों से वापस आए प्रवासियों को किसी प्रकर की कोई राहत नहीं मिल पा रही है. प्रवासी मजदूर मदद की आस में परेशान दिख रहें हैं. जानकारी के अनुसार पिछले एक सप्ताह से सैकड़ों प्रवासी मजदूर आकर ब्रह्मपुरा पंचायत के एक पेड़ के निचे खुले आसमान के नीचे अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'कई दिनों से तबीयत है खराब'
ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए प्रवासी मजदूरों ने कहा कि उन्हें रात से ही बुखार और सांस लेने में परेशानी हो रही है. लेकिन कोई हमारी सुध लेने वाला नहीं है. कोई मेडिकल टीम मदद करने को अभी तक नहीं आया है. इस मामले पर जब ईटीवी भारत संवाददाता ने बेनीपट्टी पीएचसी अस्पताल के प्रभारी से शिकायत कि तो एक आयुष डॉक्टर ने आकर जांच किया और वापस निकल पड़े. हालांकि, कोई अन्य विशेष व्यवस्था नहीं की गई.

ग्रामीण कर रहे मदद
इस मामले पर पंचायत के उप मुखिया रामानंद ठाकुर ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के लिये कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई है. ग्रामीण आपस में मिलकर चंदा जमा कर प्रवासियों की मदद कर रहे हैं. वहीं, बिमार प्रवासी की इलाज करने के लिए आयुष डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि एक प्रवासी मजदूर की बुखार लगा हुआ था. संक्रमण के लक्षण नहीं पाए गए हैं. सिजनेबल बुखार हो सकता है. दवाई दे दिया गया है. कोरोना के लक्षण मिलने के बाद आइसलोसन सेंटर में भर्ती कराया जाएगा.

मधुबनी: कोरोना संक्रमण के कारण देश भर में लॉकडाउन लागू है. ऐसे में जब दूसरे प्रदेशों में काम करने गए प्रवासी मजदूरों के सामने जब रोजी-रोटी का संकट आया, तो उन्हें बिहार याद आया. अपने आशियाने की ओर लौटने की चाह में मजदूर किसी तरह यहां पहुंच तो गए लेकिन परेशानियों ने उनका दामन यहां भी नहीं छोड़ा. दरअसल, जिले के बेनीपट्टी प्रखंड अंतर्गत ब्रह्मपुरा पंचायत में सैकड़ों प्रवासी मजदूर वापस आए हुए हैं. लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही के कारण वे यहां पर खुले आसमान में रात और दिन बिताने को मजबूर हैं.

पेड़ के निचे रह रहे प्रवासी
दिल्ली, मुंबई और कोलकता जैसे बड़े महानगरों से वापस आए प्रवासियों को किसी प्रकर की कोई राहत नहीं मिल पा रही है. प्रवासी मजदूर मदद की आस में परेशान दिख रहें हैं. जानकारी के अनुसार पिछले एक सप्ताह से सैकड़ों प्रवासी मजदूर आकर ब्रह्मपुरा पंचायत के एक पेड़ के निचे खुले आसमान के नीचे अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'कई दिनों से तबीयत है खराब'
ईटीवी भारत की टीम से बात करते हुए प्रवासी मजदूरों ने कहा कि उन्हें रात से ही बुखार और सांस लेने में परेशानी हो रही है. लेकिन कोई हमारी सुध लेने वाला नहीं है. कोई मेडिकल टीम मदद करने को अभी तक नहीं आया है. इस मामले पर जब ईटीवी भारत संवाददाता ने बेनीपट्टी पीएचसी अस्पताल के प्रभारी से शिकायत कि तो एक आयुष डॉक्टर ने आकर जांच किया और वापस निकल पड़े. हालांकि, कोई अन्य विशेष व्यवस्था नहीं की गई.

ग्रामीण कर रहे मदद
इस मामले पर पंचायत के उप मुखिया रामानंद ठाकुर ने बताया कि प्रवासी मजदूरों के लिये कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई है. ग्रामीण आपस में मिलकर चंदा जमा कर प्रवासियों की मदद कर रहे हैं. वहीं, बिमार प्रवासी की इलाज करने के लिए आयुष डॉक्टर संतोष कुमार ने बताया कि एक प्रवासी मजदूर की बुखार लगा हुआ था. संक्रमण के लक्षण नहीं पाए गए हैं. सिजनेबल बुखार हो सकता है. दवाई दे दिया गया है. कोरोना के लक्षण मिलने के बाद आइसलोसन सेंटर में भर्ती कराया जाएगा.

Last Updated : May 14, 2020, 11:56 PM IST
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