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मधुबनी: कमला बलान नदी में कई गांव समाए, स्थिति भयावह

मधुबनी के औझौल गांव में बाढ़ से सब कुछ खत्म हो चुका है. यहां बने कमला बलान नदी पर बांध 14 जुलाई को टूट गया. इससे कई गांव ही पानी में डूब गया है. यहां अब कुछ नहीं बचा है.

मधुबनी
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Published : Jul 29, 2019, 11:20 PM IST

मधुबनी: पूरे उत्तर बिहार में प्रलयंकारी बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है. इससे सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. जिले में कमला बलान नदी लोगों पर कहर बरसा रही है. यह यहां के कई गांवों पूरी तरह से तबाह कर चुकी है. यहां के लोगों की जनजीवन को पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुका है.

मामला जिले के औझौल गांव का है. बताया जा रहा है कि यहां बने कमला बलान नदी पर बांध 14 जुलाई को टूट गया. इससे पूरा गांव हा पानी में डूब गया. यहां बने दर्जनों पक्का घर भी पानी में बह गए. फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गया. कई लोग अब तक लापता हैं. यहां अब कुछ नहीं बचा है.

प्रशासन की कोई मदद नहीं
लोगों का कहना है कि यहां न कुछ खाने को बचा है और न पीने को पानी मिल रहा है. प्रशासन के तरफ सामुदायिक रसोई की व्यवस्था किया गया है. लेकिन यहां तक भोजन नहीं पहुंच पाता. कई संस्था के तरफ से राहत सामग्री के सहारे लोग जी रहे हैं. ऐसी स्थिति के बाद भी प्रशासन लोगों की सुध तक नहीं ले रहा है.

ग्रामीणों का बयान

अबतक 38 लोगों की मौत
नेपाल में हुई बारिश के कारण बिहार में स्थिति एक बार फिर भयावह हो गई हैं. पटरी पर लौटती बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी एक बार फिर बुनियादी जरूरतों को मोहताज हो गई हैं. बाढ़ की चपेट में आने से मधुबनी के 38 लोगों की मौत हो गई है. साथ ही 385 गांव बुरी तरह प्रभावित हैं.

मधुबनी: पूरे उत्तर बिहार में प्रलयंकारी बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है. इससे सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. जिले में कमला बलान नदी लोगों पर कहर बरसा रही है. यह यहां के कई गांवों पूरी तरह से तबाह कर चुकी है. यहां के लोगों की जनजीवन को पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो चुका है.

मामला जिले के औझौल गांव का है. बताया जा रहा है कि यहां बने कमला बलान नदी पर बांध 14 जुलाई को टूट गया. इससे पूरा गांव हा पानी में डूब गया. यहां बने दर्जनों पक्का घर भी पानी में बह गए. फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गया. कई लोग अब तक लापता हैं. यहां अब कुछ नहीं बचा है.

प्रशासन की कोई मदद नहीं
लोगों का कहना है कि यहां न कुछ खाने को बचा है और न पीने को पानी मिल रहा है. प्रशासन के तरफ सामुदायिक रसोई की व्यवस्था किया गया है. लेकिन यहां तक भोजन नहीं पहुंच पाता. कई संस्था के तरफ से राहत सामग्री के सहारे लोग जी रहे हैं. ऐसी स्थिति के बाद भी प्रशासन लोगों की सुध तक नहीं ले रहा है.

ग्रामीणों का बयान

अबतक 38 लोगों की मौत
नेपाल में हुई बारिश के कारण बिहार में स्थिति एक बार फिर भयावह हो गई हैं. पटरी पर लौटती बाढ़ पीड़ितों की जिंदगी एक बार फिर बुनियादी जरूरतों को मोहताज हो गई हैं. बाढ़ की चपेट में आने से मधुबनी के 38 लोगों की मौत हो गई है. साथ ही 385 गांव बुरी तरह प्रभावित हैं.

Intro:प्रलयंकारी बाढ़ से 60 घर हुआ जमींदोज़ हा हा हा कार कर रहे हैं बाढ़ पीड़ित,मधुबनी


Body:मधुबनी। ( ग्राउंड रिपोर्ट)
कमला बलान नदी में आई प्रलयंकारी बाढ़ के पानी का तांडव मधुबनी जिले को नस नाबूत कर दिया है ।बाढ़ के तबाही में 38 लोगो की मौत हो चुकी हैं।वही बाढ़ ने जिले के औझौल गांव को तहस-नहस कर दिया ।औझाल बस्ती लोगो के आंख से सामने ही ओझल हो गया है ।यह बस्ती कुम्हार का बस्ती है। पैसे पैसे जुटा कर लोगों ने अपने रहने के लिए घर बनाया था जो घर लोगों के आंख के सामने में ही औझल हो गया। वह घर लोगों का सपना बनकर रह गया है लोग के सामने अब कोई विकल्प नहीं है। इस बस्ती के 60 मकान इस बाढ़ के पानी में ध्वस्त हो गया है जबकि 13 जुलाई तक यह बस्ती काफी गुलजार हुआ करती थी लेकिन 14 जुलाई की सुबह बस्ती के सामने कमला बलान का पश्चिमी तटबंध के टूटते ही दर्जनों पक्के मकान बाढ़ के पानी में जमींदोज हो गया।जहाँ घर हुआ करता था अभी तालाब,से नजारा देखने को मिल रही हैं।सिर्फ और सिर्फ घरों का मलवा ही नजर आती हैं। लोगों ने घर द्वार को छोड़ किसी तरह से बांध पर जाकरकमला बलान बांध पर अपनी जान बचाई। घर में रखा सारा सामान साइकिल बर्तन बीआईपी ट्रंक बक्सा सब बाढ़ की विनाश लीला में लोगों के आँखों के सामने बहता चला गया लोग मुख दर्शक बने रहे। पीड़ित लोगों ने बताया कि आज तक लोग हमलोग बेघर होकर बांध पर शरण लिया हुआ है। प्लास्टिक टाँग कर जिंदगी काट रहे है।हमलोगों का दर्जनों मकान ध्वस्त हो गया ।कई मकान झुक गया है कई मकान के पीछे से सारा मिट्टी बह गया है। और वो कुआं,तालाब की तरह दिखाई दे रहा है। लोग उस घर में रहना भी छोड़ चुके हैं जो कब यह घर गिर ना जाए बस्ती के सारे चापाकल नदी में बह गए ।सिर्फ चापाकल के पाइप दिखाई दे रहा है लोगों को पानी पीने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है । बस्ती पर एक भी चापाकल नही बचा है।लेकिनइन लोगो को सरकार द्वारा राहत सामग्री के नाम पर हवा हवाई दी जा रही है वहीं बाढ़ पीड़ितों के बीच अभी तक नहीं पहुंच पाई है ।संस्था के लोग जो कुछ राहत देता है उसी से गुजारा करना पड़ता है।जिला प्रशासन द्वारा सामुदायिक रसोई भोजन की व्यवस्था किया गया है लेकिन वह भोजन भी इस बस्ती बालों को नहीं मिल पा रही है इन लोगों को उसका भी कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है ।लोग मुख्य दर्शक बने हुए हैं संस्था बालों के द्वारा जो कुछ राहत सामग्री इन्हें मिल जाती है उसी के भरोसे इनका जीवन यापन हो रहा है इतने समय गुजर जाने के बाद भी शासन प्रशासन द्वारा इन लोगों को सुध लेने वाला कोई नहीं है ।कई लोग मिल नही रहे है अंदेशा जताया जा रहा है कि बाढ़ के पानी मे बह गया।भगवान भरोसे है लोग अपनी जिंदगी जीने को विवश हो रहे हैं। बच्चे का भविष्य अंधकारमय हो चुका है क्योंकि बच्चे की किताब भी बाढ़ के पानी में बह गया है लोग त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहे हैं ।
बाइट बाढ़ पीड़ित
बाइट बाढ़ पीड़ित
राज कुमार झा,मधुबनी



Conclusion:
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