मधेपुरा: केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ मंगलवार को हजारों ट्रैक्टर और बाइक के साथ महागठबंधन के बैनर तले किसानों और नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन दिल्ली की सीमा पर कृषि कानूनों के खिलाफ धरना पर बैठे किसानों के समर्थन में किया गया.
प्रदर्शनकारियों ने घंटों समाहरणालय के गेट को जाम रखा. इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई. न्यू बस स्टैंड के पास से मधेपुरा सदर विधायक सह बिहार सरकार के पूर्व मंत्री चंद्रशेखर और सीपीआई के राष्ट्रीय परिषद के सदस्य प्रमोद प्रभाकर के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया. जुलूस मुख्य बाजार होते हुए समाहरणालय गेट पर पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया.
60 किसानों की मौत हुई, चुप हैं प्रधानमंत्री
"केंद्र सरकार जब तक किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लेगी तब तक देश में यह आंदोलन जारी रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारी खेती की जमीन को भी कॉरपोरेट के हाथों बेचना चाहते हैं. यह दुर्भाग्य है कि देश के अन्नदाता धरना पर बैठकर दम तोड़ रहे हैं. अब तक 60 किसानों की मौत हुई है और प्रधानमंत्री चुप हैं."-चंद्रशेखर, विधायक, मधेपुरा सदर
"दिल्ली के बॉडर पर धरने पर बैठे किसानों के समर्थन में प्रदर्शन यह साबित कर रहा है कि अब केंद्र की मोदी सरकार को जाने से कोई नहीं बचा सकता. देश बिक चुका है. अब किसान की जमीन बेचने की तैयारी है. इसलिए किसान तय कर चुके हैं कि जब तक किसान विरोधी कानून वापस नहीं होंगे तब तक आंदोलन नहीं रुकेगा."- प्रमोद प्रभाकर, राष्ट्रीय परिषद सदस्य, सीपीआई