मधेपुरा: एक तरफ जहां मुख्यमंत्री बेहतर शिक्षा की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ शिक्षकों के भविष्य से ही खिलवाड़ किया जा रहा है. हालात ये हैं कि डीएलएड छात्रों के पास पाठ्यपुस्तक तक नहीं है, जिसकी वजह से उन्हें अपनी गुणवत्ता का डर सताने लगा है.
डीएलएड छात्रों को सता रहा डर
बिहार की शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की गुणवत्ता पर कई सवाल उठते रहे हैं. लेकिन सरकार अभी भी इन मामलों में असंवेदनशील दिखाई दे रही है. दरअसल, ताजा मामला मधेपुरा जिले के डायट प्रशिक्षण कर रहे डीएलएड 2019-21 सत्र के सैकड़ो छात्रों से जुड़ा है, जिन्हें पाठ्यपुस्तक उपलब्ध नहीं होने की वजह से अपनी शैक्षणिक गुणवत्ता का डर सताने लगा है. आपको बता दें कि बिहार बोर्ड की तरफ से सिलेबस उपलब्ध करा दिया गया. लेकिन पाठ्यपुस्तक अब तक छात्रों तक नहीं पहुंच पाई है. इसकी वजह से उन्हें पढ़ाई करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
पढ़ने के लिए नहीं है पाठ्यपुस्तक-छात्र
छात्र सोनू कुमार ने बताया कि हमारे पास पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं है. बिना पाठ्यपुस्तक के हम कैसे अपनी तैयारी कर पाएंगे और कैसे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाएंगे. आला अधिकारियों ने भी पूरे मामले में असंवेदनशील रवैया अपनाया हुआ है. वहीं, छात्र राम प्रकाश कुमार ने कहा कि बिहार बोर्ड हमें जल्द से जल्द पाठ्यपुस्तक उपलब्ध करवाएं ताकि हम बेहतर शिक्षा हासिल कर सकें.
बिहार बोर्ड बना मूकदर्शक
वहीं, इस पूरे मामले पर डायट के प्राचार्य अरविंद कुमार भारती ने कहा कि पाठ्यक्रम हमें प्राप्त हुआ है लेकिन उसके हिसाब से अब तक पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है. अगर पुस्तक उपलब्ध हो जाती, तो छात्रों को काफी सहूलियत मिल सकती थी.
- बहरहाल, सरकार शिक्षा व्यवस्था के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने के लाख दावे करती हो, लेकिन जमीनी स्तर पर आज भी सरकार के दावे फिसड्डी साबित हो रहे हैं.