लखीसराय: बिहार में शिक्षा की दशा किसी से छुपी नहीं है. शिक्षा स्तर में सुधार के लिए सरकार कितने ही दावे क्यों ना कर ले लेकिन, उनकी कोशिश के विपरीत ही परिणाम नजर आता है. लखीसराय के नया बाजार दाल पट्टी स्थित श्री दुर्गा बालिका उच्च विद्यालय एवं मध्य विद्यालय की स्थिति बहुत ही लचर है.
आलम यह है कि छत कभी भी गिर सकती है. यहां बेंच के होने के बावजूद भी बच्चियां जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. महज दो तल्लों में बने दो कमरों में 2000 बच्चियों का पूरा स्कूल सिमट गया है. निचले तल्ले में मध्य विद्यालय की 900 और पहले तल्ले में चल रहे उच्च विद्यालय में 1100 छात्राएं पढ़ रही हैं.
चंदा इक्ट्ठा कर बनाया गया था विद्यालय
जिले के लोगों ने कड़ी मशक्कत कर चंदा इक्ट्ठा करके साल 1968 में श्री दुर्गा बालिका उच्च विद्यालय एवं मध्य विद्यालय का निर्माण कराया था. कुछ दिनों बाद ही इन दोनों स्कूलों को सरकार ने अपने अधीन ले लिया. लेकिन, आज इस विद्यालय की स्थिति अत्यंत दयनीय है. सरकार इसके रख-रखाव में पूरी तरह से फेल साबित हुई है.
2017 में नगर परिषद ने लगाया था अनफिट का तमगा
शिक्षा विभाग के अधीन होने के बावजूद भी विकास योजनाओं के लिए मिलने वाले पैसों को विकास कार्य में नहीं लगाया गया. नतीजतन यह स्कूल खंडर हो चुका है. विद्यालय की रंगाई-पुताई, रख-रखाव पर शिक्षा विभाग ने कभी ध्यान नहीं दिया. हैरानी वाली बात यह है कि साल 2017 के अक्टूबर माह में नगर परिषद ने इस स्कूल को अनफिट घोषित किया था. इसके बाद भी धड़ल्ले से बच्चियों को पढ़ाया जा रहा है.
जान जोखिम में डाल कर पढ़ रही बच्चियां
यहां पढ़ने वाली छात्राओं का कहना है कि बरसात के दिनों में मुश्किलें दोगुनी हो जाती हैं. विद्यालय भवन की छत से पानी टपकता रहता है. पढ़ाई बहुत बाधित होती है. लेकिन, वह मजबूर हैं. इसके अलावा भवन में उन्हें जान जाने का भी डर सताता रहता है.
शिकायत के बावजूद नहीं निकला समाधान
इस संदर्भ में जब स्कूल प्रचार्या गायत्री यादव से पूछा गया तो उन्होंने विभागीय अधिकारियों को लिखित शिकायत करने की बात कही. उन्होंने कहा कि 2 साल पहले उन्होंने पत्र लिखा था. लेकिन, कोई सुध नहीं ली गई. पत्र में उन्होंने पठन -पाठन कार्य को सुदृढ़ करने के लिए किसी दूसरे संस्थान भवन में शिफ्ट किए जाने की भी मांग की थी. इस मसले पर डीईओ सुनयना कुमारी ने बताया कि लखीसराय के श्री दुर्गा बालिका उच्च विद्यालय और मध्य विद्यालय का भवन परित्यक्त घोषित हो जाने के बाद उन्होंने डीएम को पत्र लिखकर किसी दूसरे स्कूल के खाली भावन में शिफ्ट करने की बात कही है.