किशनगंज: जिले के ठाकुरगंज और बहादुरगंज विधानसभा सीटों पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने के कयास लगाए जा रहे हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव में जिले में एआईएमआईएम की एंट्री हुई इसके बाद जिले की राजनीति में और परिवर्तन देखने को मिला है. यहां के मतदाताओं को ओवैसी में अपना भविष्य नजर आने लगा. 2015 के विधानसभा चुनाव में शिकस्त खा चुकी एआईएमआईएम ने बीते 5 वर्षों में जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत किया है. जिसका लाभ 2019 में एआईएमआईएम को मिला, जब उपचुनाव में किशनगंज सदर विधानसभा क्षेत्र से कमरुल हुदा ने जीत हासिल की. वहीं, लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार सह प्रदेश अध्यक्ष कुछ ही मतों से हारे थे.
किशनगंज का किला बचाए रखना कांग्रेस की चुनौती
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस की बड़ी चुनौती किशनगंज का किला बचाए रखना है. 2019 के चुनाव में महागठबंधन में कांंग्रेस ने सिर्फ एक सीट जीती थी और वो थी किशनगंज सीट. इस जिले में हैदराबाद सांसद ओवैसी लगातार सक्रिय रहे हैं, ऐसे में कांंग्रेस को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा किशनगंज से इजहार हुसैन को मौका दिया गया है.
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बवाल के बाद उस्मानी का टिकट कटने की चर्चा, सुरजेवाला बोले- जिन्ना की मजार पर माथा टेकने वाले कांग्रेस से पूछ रहे सवालhttps://t.co/kiZvN6t6XE
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एनडीए ने पुराने प्रत्याशियों पर जताया भरोसा
जिले के चारों सीट पर एनडीए ने जहां तीन पुराने योद्धओं को मैदान में उतारा है तो वहीं, महागठंधन ने तीन नए लोगों पर दांव लगाया है और कांग्रेस के सिटिंग विधायक तौसीफ आलम को फिर से मौका दिया है. वहीं, राजद के प्रत्याशी बनाए गए कोचाधामन से शाहिद आलम और ठाकुरगंज से सऊद असरार नदवी नए हैं. इधर, भाजपा ने किशनगंज से स्वीटी सिंह को लगातार चौथी बार मौका दिया है.
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युवाओं पर फोकस है महागठबंधन का मेनिफेस्टो, तेजस्वी बोले- 10 लाख नौकरी पर होगा पहला हस्ताक्षरhttps://t.co/0Q5iFx1Pzp
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AIMIM ने चारों सीट पर खड़े किए उम्मीदवार
जदयू के दोनों उम्मीदवार नौशाद आलम और मुजाहिद आलम सिटिंग विधायक हैं. वहीं, दूसरी तरफ इस बार एआईएमआईएम ने बहादुरगंज, कोचाधामन, ठाकुरगंज और किशनगंज सदर विधानसभा सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े कर रही है. एआईएमआईएम के साथ इस बार रालोसपा भी साथ में है. ऐसे में मुकाबला दिलचस्प हो सकता है.