किशनगंज: कोरोना वायरस से जंग जीतने को लेकर बिहार सरकार पुख्ता इंतजाम के दावे कर रही है. लेकिन किशनगंज सदर अस्पताल सरकार के इन्हीं दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है. ईटीवी भारत ने जब अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था की तस्दीक की. तो व्यवस्थाएं उतनी नहीं दिखीं, जितनी इस महामारी के दौरान होनी चाहिए थी.
किशनगंज सदर अस्पताल में मरीज डॉक्टर के इंतजार में कतार में लग रहते हैं और डॉक्टर नदारद रहते हैं. लोग इंतजार करते-करते बिना इलाज करवाए वापस घर को लौट जाते हैं या फिर उन्हे बोला जाता है कि किसी निजी नर्सिंग होम मे जाकर अपना इलाज करवा लें.
डॉक्टरों की कमी
किशनगंज का सदर अस्पताल सिर्फ 10 डॉक्टरों के भरोसे हैं. इनमें सिर्फ दो महिला डॉक्टर है और एक डॉक्टर डीएस के पद पर नियुक्त है. इसके चलते वो हमेशा अस्पताल के बाहर ही रहते हैं. जिले की आबादी 18 लाख के करीब है. पूरे जिले में सिर्फ 33 डॉक्टर हैं, जिनमें ज्यादातर आयुष डॉक्टर हैं.
उप स्वास्थ्य केंद्रों पर लटका रहता है ताला
दूसरी ओर जिले के उप स्वास्थ्य केन्द्रों की बात करें, तो ज्यादातर में ताला केंद्रों पर ताला लटका हुआ है. बात साफ है, जब डॉक्टर ही नहीं होंगे तो ये केंद्र क्या खुलेंगे.
कोरोना से जंग, कैसे जीतेगा किशनगंज
कोरोना से लड़ने के लिए भी अस्पताल परिसर में कोई इन्तजाम नहीं है. प्रवासी मजदूर जब किशनगंज पहुंचते हैं, तो उन्हें जांच के लिए पंचयात के अस्पताल जाने की सलाह दी जा रही है.
की गई है डॉक्टरों की मांग
किशनगंज के सिविल सर्जन डॉ. श्रीनन्दन ने बताया कि अभी जिले में डॉक्टरों की बहुत किल्लत है. इस वजह से परेशानी हो रही है. विभाग से डॉक्टरों की नियुक्ति की मांग की गई है. एमजीएम मेडिकल कॉलेज (जो एक निजी अस्पताल है) के भरोसे अभी किशनगंज के कोरोना मरीजो का इलाज हो रहा है.