किशनगंजः सूबे में ऑक्सीजन के अभाव में कोरोना मरीजों के दम तो़ड़ने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. महेश बथना कोविड केयर सेंटर के बाहर 65 वर्षीय कोरोना संक्रमित मरीज देवी शंकर तिवारी घंटो तड़पते रहे. डीएम से पैरवी करने पर मरीज को किसी तरह अस्पताल में भर्ती तो कर किया गया लेकिन वेंटिलेटर की सुविधा नहीं होने की वजह से उन्होंने दम तोड़ दिया.
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पहले जांच निगेटिव फिर पॉजिटिव
दरअसल, गुरुवार सुबह देवी शंकर तिवारी की तबीयत बिगड़ने के बाद सदर अस्पताल किशनगंज में कोविड जांच कराया गया. जिसमें जांच रिपोर्ट निगेटिव आई. लेकिन कोरोना के लक्षण और सांस लेने में तकलीफ होने के बाद मरीज के बेटे संतोष तिवारी ने किशनगंज के जैन मैटरनिटी एंड डाइग्नोस्टिक सेंटर में अपने पिता का सिटी स्कैन कराया. जिसमें रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई.
'दर-दर भटकता रहा बेटा'
लंग्स में ज्यादा इंफेक्शन होने के बाद मरीज को तुरंत एडमिट करवाने की सलाह के बाद बेटे ने अपने संक्रमित पिता को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल, जैन मैटरनिटी एंड डाइग्नोस्टिक सेंटर में एडमिट करवाने की काफी कोशिश की. लेकिन वहां डॉक्टरों ने भर्ती करने से इंकार कर दिया. अंत में मरीज को महेशबथना कोविड केयर सेंटर लाया गया. जहां डॉक्टरों ने कोविड रिपोर्ट निगेटिव का हवाला देते हुए भर्ती लेने से इंकार कर दिया.
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डीएम से मांगी मदद
संतोष ने इसके बाद जिलाधिकारी से मदद की गुहार लगाई. जिसके बाद मरीज को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टरों ने मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट दिया, लेकिन मरीज को वेंटिलेकर की आवश्यकता थी. काफी मशक्त के बाद वेंटिलेटर की भी व्यवस्था हो गई, लेकिन कुशल ऑपरेटरों के अभाव में मरीज की मौत हो गई.
पीएम केयर फंड से अस्पताल को मिले 6 वेंटिलेटर
बता दें कि 8 महीने पहले किशनगंज सदर अस्पताल को पीएम केयर फंड से 6 वेंटिलेटर आवंटित हुए थे. लेकिन आज तक उन वेंटिलेटरों को चलाने के लिए कुशल ऑपरेटरों की बहाली नहीं की गई. वहीं इस मामले में सिविल सर्जन ने जांच के बाद कार्रवाई की बात कही है.