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कई सालों से अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है किशनगंज का ये उप स्वास्थ्य केंद्र

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Published : May 20, 2020, 8:11 PM IST

अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा उप स्वास्थ्य केंद्र का महीनों से ताला नहीं खुला है. जिसके कारण ग्रामीण इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित यह उप स्वास्थ्य केंद्र की नींव करीब एक करोड़ की लागत से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराए जाने के उद्देश्य से बनाया गया था.

किशनगंज
किशनगंज

किशनगंज: कोरोना महामारी ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है. इसी क्रम में बिहार में भी दिन-प्रतिदिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ती जा रही है. ऐसे संकटकालीन समय में अस्पतालों की महत्ता काफी बढ़ गई है. वहीं, ऐसे समय में भी टेढागाछ प्रखंड के झुनकी पंचायत में बना अस्पताल पिछले कई वर्षों से बंद पड़ा है. स्थानीय लोगों की मांग है कि इसे जल्द से जल्द चालू कराया जाय. इसके विपरीत आलम ये है कि किसी ने इसकी सुध नहीं ली और अस्पताल खंडहर में तब्दील होने लगा है.

अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा उप स्वास्थ्य केंद्र का महीनों से ताला नहीं खुला है. जिसके कारण ग्रामीण इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित इस उप स्वास्थ्य केंद्र की नींव करीब एक करोड़ की लागत से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराए जाने के उद्देश्य से बनाया गया था. इसके बाद विभागीय उपेक्षा के चलते जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड के झुमकी मुशायरा पंचायत में बना उप स्वास्थ्य केंद्र मात्र शोपीस बनकर रह गया है.

किशनगंज
सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन

'निर्माण के बाद से कागजों पर संचालित अस्पताल'
गौरतलब है कि ग्राम पंचायत झुनकी में गर्भवती महिलाओं के प्रसव करवाने के उद्देश्य से लाखों रुपए खर्च करके कई वर्ष पहले उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण किया गया था. लेकिन उप स्वास्थ्य केंद्र के आस-पास निकले झाड़ियों को देख कर ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य केंद्र पिछले कई महीनों से नहीं खुला है. ग्रामीणों का कहना है कि उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कई सालों पहले हुआ था. निर्माण के बाद से यह अस्पताल आज तक सिर्फ कागजों पर ही चल रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'जिले में डॉक्टरों की भारी कमी'
स्थानीय ग्रामीणों के अुनसार यहां पर आज तक कोई भी डॉक्टर या विभाग सुध लेने नहीं आए हैं. उन्हें आज भी अपना इलाज करवाने दूसरे जिले अररिया या पूर्णिया जाना पड़ता है. क्योंकि, किशनगंज जिला मुख्यालय जाने का रास्ता दुर्लभ है. और काफी दूर भी. यहां की महिलाओं का प्रसव भगवान भरोसे ही रहता है. वहीं, किशनगंज सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने डॉक्टरों की कमी का हवाला देते हुए कहा कि जिले में डॉक्टरों की भारी कमी होने की वजह से डॉक्टर नहीं जा पाते हैं.

किशनगंज
मुस्तफा, स्थानीय

साथ ही डाक्टर श्री नंदन ने आश्वासन देते हुए कहा कि अस्पताल के जर्जर भवन को जल्द ही ठीक कराकर वहां पर डॉक्टर की नियुक्ति कर सुचारु रूप से स्वास्थ्य केंद्र चालू करने की बात कही है.

किशनगंज: कोरोना महामारी ने पूरे देश को अपनी चपेट में ले लिया है. इसी क्रम में बिहार में भी दिन-प्रतिदिन कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बढ़ती जा रही है. ऐसे संकटकालीन समय में अस्पतालों की महत्ता काफी बढ़ गई है. वहीं, ऐसे समय में भी टेढागाछ प्रखंड के झुनकी पंचायत में बना अस्पताल पिछले कई वर्षों से बंद पड़ा है. स्थानीय लोगों की मांग है कि इसे जल्द से जल्द चालू कराया जाय. इसके विपरीत आलम ये है कि किसी ने इसकी सुध नहीं ली और अस्पताल खंडहर में तब्दील होने लगा है.

अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा उप स्वास्थ्य केंद्र का महीनों से ताला नहीं खुला है. जिसके कारण ग्रामीण इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित इस उप स्वास्थ्य केंद्र की नींव करीब एक करोड़ की लागत से लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराए जाने के उद्देश्य से बनाया गया था. इसके बाद विभागीय उपेक्षा के चलते जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड के झुमकी मुशायरा पंचायत में बना उप स्वास्थ्य केंद्र मात्र शोपीस बनकर रह गया है.

किशनगंज
सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन

'निर्माण के बाद से कागजों पर संचालित अस्पताल'
गौरतलब है कि ग्राम पंचायत झुनकी में गर्भवती महिलाओं के प्रसव करवाने के उद्देश्य से लाखों रुपए खर्च करके कई वर्ष पहले उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण किया गया था. लेकिन उप स्वास्थ्य केंद्र के आस-पास निकले झाड़ियों को देख कर ऐसा लगता है कि स्वास्थ्य केंद्र पिछले कई महीनों से नहीं खुला है. ग्रामीणों का कहना है कि उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण कई सालों पहले हुआ था. निर्माण के बाद से यह अस्पताल आज तक सिर्फ कागजों पर ही चल रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'जिले में डॉक्टरों की भारी कमी'
स्थानीय ग्रामीणों के अुनसार यहां पर आज तक कोई भी डॉक्टर या विभाग सुध लेने नहीं आए हैं. उन्हें आज भी अपना इलाज करवाने दूसरे जिले अररिया या पूर्णिया जाना पड़ता है. क्योंकि, किशनगंज जिला मुख्यालय जाने का रास्ता दुर्लभ है. और काफी दूर भी. यहां की महिलाओं का प्रसव भगवान भरोसे ही रहता है. वहीं, किशनगंज सदर अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने डॉक्टरों की कमी का हवाला देते हुए कहा कि जिले में डॉक्टरों की भारी कमी होने की वजह से डॉक्टर नहीं जा पाते हैं.

किशनगंज
मुस्तफा, स्थानीय

साथ ही डाक्टर श्री नंदन ने आश्वासन देते हुए कहा कि अस्पताल के जर्जर भवन को जल्द ही ठीक कराकर वहां पर डॉक्टर की नियुक्ति कर सुचारु रूप से स्वास्थ्य केंद्र चालू करने की बात कही है.

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