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खगड़िया स्टेशन पर सिर्फ 5 रुपये में लोगों का पेट भर रही है 'साई की रसोई'

साई की रसोई शुरु करने वाले प्रिंस विजेता का कहना है कि वैसे गरीब लोगों के लिए ये व्यवस्था की गई है जिनके पास होटल में या घर मे खाने के लिए पैसे नही होते. सुशील खंडेलवाल भी कहते है कि वे सिर्फ जनसहयोग की भावना से यह काम कर रहे हैं, इसमें कोई लालच या कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है.

sai ki rasoi
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Published : Jan 6, 2020, 11:12 PM IST

खगड़िया: इन दिनों दो लोगों के सेवा भाव की खबरें सुर्खियां बन रही हैं. खगड़िया स्टेशन पर प्रिंस विजेता और सुशील खंडेलवाल नाम के ये दो शख्स हर शाम 'साई की रसोई' नाम से खाने का स्टॉल लगाते हैं. इस स्टॉल पर वे असहाय लोगों को सिर्फ 5 रुपये में भरपेट खाना खिलाते हैं.

स्टेशन परिसर में कोई भी इस स्टॉल से खा सकता है भरपेट खाना
हर शाम 7 बजे से ले रात 9 बजे तक खगड़िया स्टेशन पर 2 घण्टे खाने के स्टॉल लगाते है. कई बार ऐसा भी मौका आता है कि किसी के पास 5 रुपये भी नहीं हो, उसे ये लोग मुफ्त में भी खाना देते हैं. इस साहसी कदम से खगड़िया में इनकी हर तरफ तारीफ हो रही है और लोग इनके काम की सराहना कर रहे है.स्टेशन परिसर में कोई भी इस स्टॉल से भरपेट खाना खा सकता है. एक शख्स का कहना है कि ये किसी परमात्मा से कम नहीं है. इन्हें दिल से धन्यवाद. वहीं खाने के स्वाद की तारिफ करते भी वे नहीं थकते.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जनसहयोग की भावना से कर रहे हैं यह काम
साई की रसोई शुरु करने वाले प्रिंस विजेता का कहना है कि वैसे गरीब लोगों के लिए ये व्यवस्था की गई है जिनके पास होटल में या घर मे खाने के लिए पैसे नही होते है. इस वजह से 5 रुपया में खाने की व्यव्स्था की है. सुशील खंडेलवाल भी कहते है कि वे सिर्फ जनसहयोग की भावना से यह काम कर रहे हैं, इसमें कोई लालच या कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है.

खगड़िया: इन दिनों दो लोगों के सेवा भाव की खबरें सुर्खियां बन रही हैं. खगड़िया स्टेशन पर प्रिंस विजेता और सुशील खंडेलवाल नाम के ये दो शख्स हर शाम 'साई की रसोई' नाम से खाने का स्टॉल लगाते हैं. इस स्टॉल पर वे असहाय लोगों को सिर्फ 5 रुपये में भरपेट खाना खिलाते हैं.

स्टेशन परिसर में कोई भी इस स्टॉल से खा सकता है भरपेट खाना
हर शाम 7 बजे से ले रात 9 बजे तक खगड़िया स्टेशन पर 2 घण्टे खाने के स्टॉल लगाते है. कई बार ऐसा भी मौका आता है कि किसी के पास 5 रुपये भी नहीं हो, उसे ये लोग मुफ्त में भी खाना देते हैं. इस साहसी कदम से खगड़िया में इनकी हर तरफ तारीफ हो रही है और लोग इनके काम की सराहना कर रहे है.स्टेशन परिसर में कोई भी इस स्टॉल से भरपेट खाना खा सकता है. एक शख्स का कहना है कि ये किसी परमात्मा से कम नहीं है. इन्हें दिल से धन्यवाद. वहीं खाने के स्वाद की तारिफ करते भी वे नहीं थकते.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

जनसहयोग की भावना से कर रहे हैं यह काम
साई की रसोई शुरु करने वाले प्रिंस विजेता का कहना है कि वैसे गरीब लोगों के लिए ये व्यवस्था की गई है जिनके पास होटल में या घर मे खाने के लिए पैसे नही होते है. इस वजह से 5 रुपया में खाने की व्यव्स्था की है. सुशील खंडेलवाल भी कहते है कि वे सिर्फ जनसहयोग की भावना से यह काम कर रहे हैं, इसमें कोई लालच या कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है.

Intro:खगड़िया स्टेशन पर हर शाम दो युवक खाना का स्टॉल लगाते है और गरीब असहाय लोगो को मात्र 5 रुपया में लजीज खाना देते है। इस स्टॉल को साई की रसोई नाम दिए हुआ है। गरीब,भिखारी, रिक्शाचालक हर शाम अपनी पेट यंहा भर रहे है।


Body:खगड़िया स्टेशन पर हर शाम दो युवक खाना का स्टॉल लगाते है और गरीब असहाय लोगो को मात्र 5 रुपया में लजीज खाना देते है। इस स्टॉल को साई की रसोई नाम दिए हुआ है। गरीब,भिखारी, रिक्शाचालक हर शाम अपनी पेट यंहा भर रहे है।

जो काम आज तक सरकार भी करने में असमर्थ रही वो काम आज खगड़िया में दो साहसी युवक कर रहे है। सरकार का ये चुनावी फार्मूला बन कर रह गया है कि हर गरीब को मुफ्त भोजन मिलेगा लेकिन इस काम को खगड़िया के दो युवक निस्वार्थ भाव से कर रहे है। हर शाम 7 बजे से ले कर 9 बजे तक खगड़िया स्टेशन पर 2 घण्टे खाना का स्टॉल लगाते है और 5 रुपया में खाना वितरण करते है। अगर कोई ऐसा इंसान भी आ जाय जिसके पास 5 रुपया भी नही हो उसके ये लोग मुफ्त में भी खाना देते है। इस साहसी कदम से खगड़िया में इनकी हर तरफ तारीफ हो रही है और लोग इनके काम की सराहना कर रहे है।

कैसे लोगो को हो रहा फायदा
स्टेशन पर आम तौर पर देखा जाता है कि भिखारी रहते है वैसे भिखारी, रिक्शाचालक हो परीक्षा देने जाने आने वाले छात्र हो ऐसे लोगो को इस कदम से काफी लाभ मिल रहा है। खगडिय़ा स्टेटशन पर आज के समय मे शायद ही कोई ऐसा हो जो बिना खाना खाय सो रहा हो।

लोग करते है इंतेजार
7 बजने के पहले ही लोग खाना का इंतेजार करने लगते है। रिक्शाचालक, ठेलाचलक, भिखारी,गरीब लोगो की अब इन्ही के पास हर शाम खाना होता है,लोग 7 बजते ही टकटकी लगा कर इंतेजार करते है।

विओ 1
प्रशांत ब्रह्मचारी एक छात्र है जो इस 5 रुपया का खाना खा कर अपना पेट भरे है इनका कहना है कि ये किसी परमात्मा से कम नही है जो काम सरकार को करना चाहिए वो काम ये कर रहे है। वो भी बिना किसी लालच के, हम इनको दिल से धन्यवाद करते है।

विओ 2
प्रभाकर यादव साई की रसोई के स्टाल पर खाना खा रहे थे हमने उनकी राय और खाना के टेस्ट के बारे में पूछा तो उन्होंने ने बताया कि ये एक साहसी कदम है इस से गरीब वर्ग के लोगो को बहुत राहत मिल रही है।

विओ 3
प्रिंस विजेता ये एक नौजवान युवक है और साई की रसोई का आइडिया इन्ही का है इनकी पहल पर आज खगड़िया के सैकड़ो भूखे अपनी पेट भर पा रहे है। प्रिंस विजेता का कहना है कि वैसे गरीब लोगों के लिए ये व्यवस्था की गई है जिनके पास होटल में या घर मे खाने के लिए पैसे नही होते है। इस वजह से 5 रुपया में हम खाना दे रहे है।

विओ 4
सुशील खंडेलवाल साई की रसोई के दूसरे पिल्लर है इनका कहना है कि हम ये जनसहयोग कर रहे है इसमें कोई लालच या कोई राजनीति एजेंडा नही है। हमारी इक्छा थी कि लोगो को हम पेट भर सके सिर्फ इसलिए ये काम कर रहे है। कोई इंसान अपनी इक्छा से राशन दे देता है तो हमलोग ले लेते है। सुशील खंडेलवाल बता रहे है कि पहले ये स्टाल खगड़िया सदर अस्पताल में लगाते थे लेकिन ठंड बढ़ जाने के वजह से वंहा लोग कम आ रहे है उसके बाद हम यंहा स्टाल लगाना शुरू किए।



Conclusion:ये एक बहुत अच्छी पहल है इसकी जितनी सरहाना की जाय वो कम है। अब इसमें प्रसाशन ये सरकार को हाथ आगे बढ़ाना चाहिए और इस छोटे से सहयोग को एक बड़ा रूप देना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा गरीब अपनी पेट के आग को मिटा पाय।
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