खगड़िया: जिले में सरकार का उदासीन रवैया एक बार फिर देखने को मिला है. कई सालों से खगड़िया में रह रहे मुनि (मारकण्डे) जाति के लोगों को रहने के लिए घर भी नसीब नहीं है. झुग्गी झोपड़ी लगाकर ये लोग जैसे-तैसे अपना गुजर बसर कर रहे हैं. इनका कहना है कि सरकार की ओर से इन्हें कोई भी मदद नहीं दी जा रही है.
कई सालों से ये लोग खगड़िया के निवासी हैं. लेकिन आज तक इस समाज को न तो घर, खेत और ना ही रोजगार नसीब हुआ है. ये समाज खुद को मुनि(मारकण्डे) जाति के बताते हैं. इनका कहीं कोई पक्का ठिकाना नहीं है. जिस गांव में ये सालों पहले रहते थे, वह अब नदी में कट कर बह गया है. तब से ये लोग एक रेफ्यूजी की तरह इस गांव से उस गांव भकटते रहते हैं.
खानाबदोश की जिंदगी जी रहे मुनि जाति के लोग
इनकी आबादी करीब 300 से 350 के बीच है. फिलहाल ये लोग खगड़िया के बेलदौर प्रखंड के बरेठा पंयाचत के पचौता गांव में रह रहे हैं. लेकिन यहां इनकी हालात बद से बदतर है. इनका कहना है कि जहां ये लोग रह रहे हैं, वो जमींदार की जमीन है. इसके ठीक पीछे ग्रामीणों का खेत है. हालांकि खेत से इनका कोई लेना देना नहीं है. फिर भी स्थानीय जमींदार इनपर जोर जबरदस्ती करते हैं. अगर कोई जमींदार की बात न मानें तो उसके साथ मारपीट करते हैं. इनलोगों को हमेशा ये डर सताता रहता है कि कब जमींदार इन्हें बेघर कर दे, ये कोई नहीं जानता.
सरकार से नहीं मिली मदद
बरेठा पंयाचत के स्थानीय जनप्रतिनिधि चंदन सिंह का कहना है कि खानाबदोश की जिंदगी जी रहे इन लोगों ने कई बार प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया. बरेठा पंचायत से ये लोग हमेशा वोट भी देते हैं, बावजूद इसके इन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. लिहाजा कोसी किनारे जान हथेली पर रखकर ये लोग गुजर बसर कर रहे हैं.
जिलाधिकारी ने दिया आश्वासन
जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने मामले को गंभीरता से लिया है. इनका कहना है कि सालों से सड़क के किनारे रह रहे ये लोग पर्चे की मांग कर रहे हैं. हालांकि जिस जमीन पर ये रह रहे हैं वो किसी का निजी जमीन है. ऐसे में पर्चा देना संभव नहीं है. उन्होंने भरोसा दिया कि जल्द ही बिहार सरकार की जमीन बंदोबस्त कर इन्हें शिफ्ट किया जाएगा.