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खगड़िया: आज खानाबदोश की जिंदगी जी रहा है ये समाज, प्राकृतिक आपदा ने छीन लिया आशियाना

इनकी आबादी करीब 300 से 350 के बीच है. फिलहाल ये लोग खगड़िया के बेलदौर प्रखंड के बरेठा पंयाचत के पचौता गांव में रह रहे हैं. लेकिन यहां इनकी हालात बद से बदतर है.

सालों बाद भी नहीं मिली मदद
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Published : Jul 25, 2019, 10:15 AM IST

Updated : Jan 28, 2020, 12:27 PM IST

खगड़िया: जिले में सरकार का उदासीन रवैया एक बार फिर देखने को मिला है. कई सालों से खगड़िया में रह रहे मुनि (मारकण्डे) जाति के लोगों को रहने के लिए घर भी नसीब नहीं है. झुग्गी झोपड़ी लगाकर ये लोग जैसे-तैसे अपना गुजर बसर कर रहे हैं. इनका कहना है कि सरकार की ओर से इन्हें कोई भी मदद नहीं दी जा रही है.

कई सालों से ये लोग खगड़िया के निवासी हैं. लेकिन आज तक इस समाज को न तो घर, खेत और ना ही रोजगार नसीब हुआ है. ये समाज खुद को मुनि(मारकण्डे) जाति के बताते हैं. इनका कहीं कोई पक्का ठिकाना नहीं है. जिस गांव में ये सालों पहले रहते थे, वह अब नदी में कट कर बह गया है. तब से ये लोग एक रेफ्यूजी की तरह इस गांव से उस गांव भकटते रहते हैं.

khagaria
अनिरुद्ध कुमार, जिलाधिकारी

खानाबदोश की जिंदगी जी रहे मुनि जाति के लोग
इनकी आबादी करीब 300 से 350 के बीच है. फिलहाल ये लोग खगड़िया के बेलदौर प्रखंड के बरेठा पंयाचत के पचौता गांव में रह रहे हैं. लेकिन यहां इनकी हालात बद से बदतर है. इनका कहना है कि जहां ये लोग रह रहे हैं, वो जमींदार की जमीन है. इसके ठीक पीछे ग्रामीणों का खेत है. हालांकि खेत से इनका कोई लेना देना नहीं है. फिर भी स्थानीय जमींदार इनपर जोर जबरदस्ती करते हैं. अगर कोई जमींदार की बात न मानें तो उसके साथ मारपीट करते हैं. इनलोगों को हमेशा ये डर सताता रहता है कि कब जमींदार इन्हें बेघर कर दे, ये कोई नहीं जानता.

पेश है रिपोर्ट

सरकार से नहीं मिली मदद
बरेठा पंयाचत के स्थानीय जनप्रतिनिधि चंदन सिंह का कहना है कि खानाबदोश की जिंदगी जी रहे इन लोगों ने कई बार प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया. बरेठा पंचायत से ये लोग हमेशा वोट भी देते हैं, बावजूद इसके इन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. लिहाजा कोसी किनारे जान हथेली पर रखकर ये लोग गुजर बसर कर रहे हैं.

जिलाधिकारी ने दिया आश्वासन
जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने मामले को गंभीरता से लिया है. इनका कहना है कि सालों से सड़क के किनारे रह रहे ये लोग पर्चे की मांग कर रहे हैं. हालांकि जिस जमीन पर ये रह रहे हैं वो किसी का निजी जमीन है. ऐसे में पर्चा देना संभव नहीं है. उन्होंने भरोसा दिया कि जल्द ही बिहार सरकार की जमीन बंदोबस्त कर इन्हें शिफ्ट किया जाएगा.

खगड़िया: जिले में सरकार का उदासीन रवैया एक बार फिर देखने को मिला है. कई सालों से खगड़िया में रह रहे मुनि (मारकण्डे) जाति के लोगों को रहने के लिए घर भी नसीब नहीं है. झुग्गी झोपड़ी लगाकर ये लोग जैसे-तैसे अपना गुजर बसर कर रहे हैं. इनका कहना है कि सरकार की ओर से इन्हें कोई भी मदद नहीं दी जा रही है.

कई सालों से ये लोग खगड़िया के निवासी हैं. लेकिन आज तक इस समाज को न तो घर, खेत और ना ही रोजगार नसीब हुआ है. ये समाज खुद को मुनि(मारकण्डे) जाति के बताते हैं. इनका कहीं कोई पक्का ठिकाना नहीं है. जिस गांव में ये सालों पहले रहते थे, वह अब नदी में कट कर बह गया है. तब से ये लोग एक रेफ्यूजी की तरह इस गांव से उस गांव भकटते रहते हैं.

khagaria
अनिरुद्ध कुमार, जिलाधिकारी

खानाबदोश की जिंदगी जी रहे मुनि जाति के लोग
इनकी आबादी करीब 300 से 350 के बीच है. फिलहाल ये लोग खगड़िया के बेलदौर प्रखंड के बरेठा पंयाचत के पचौता गांव में रह रहे हैं. लेकिन यहां इनकी हालात बद से बदतर है. इनका कहना है कि जहां ये लोग रह रहे हैं, वो जमींदार की जमीन है. इसके ठीक पीछे ग्रामीणों का खेत है. हालांकि खेत से इनका कोई लेना देना नहीं है. फिर भी स्थानीय जमींदार इनपर जोर जबरदस्ती करते हैं. अगर कोई जमींदार की बात न मानें तो उसके साथ मारपीट करते हैं. इनलोगों को हमेशा ये डर सताता रहता है कि कब जमींदार इन्हें बेघर कर दे, ये कोई नहीं जानता.

पेश है रिपोर्ट

सरकार से नहीं मिली मदद
बरेठा पंयाचत के स्थानीय जनप्रतिनिधि चंदन सिंह का कहना है कि खानाबदोश की जिंदगी जी रहे इन लोगों ने कई बार प्रशासन से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया. बरेठा पंचायत से ये लोग हमेशा वोट भी देते हैं, बावजूद इसके इन्हें आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. लिहाजा कोसी किनारे जान हथेली पर रखकर ये लोग गुजर बसर कर रहे हैं.

जिलाधिकारी ने दिया आश्वासन
जिलाधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने मामले को गंभीरता से लिया है. इनका कहना है कि सालों से सड़क के किनारे रह रहे ये लोग पर्चे की मांग कर रहे हैं. हालांकि जिस जमीन पर ये रह रहे हैं वो किसी का निजी जमीन है. ऐसे में पर्चा देना संभव नहीं है. उन्होंने भरोसा दिया कि जल्द ही बिहार सरकार की जमीन बंदोबस्त कर इन्हें शिफ्ट किया जाएगा.

Intro:सालो से खगड़िया के निवासी है लेकिन आज तक इस समाज को अपना घर,खेत ना ही रोजगार नसीब हुआ।ये समाज अपने आप को मुनि(मारकंडे) जाती के बताते है।इस समाज का अपना कोई गांव नही हुआ खगड़िया में क्यों कि ये जंहा पहले रहते थे वो गांव कई साल पहले ही नदी में कट कर बह गया तब से ये समाज एक रेफ्यूसी की तरह इस गांव से उस गांव रहता है


Body:सालो से खगड़िया के निवासी है लेकिन आज तक इस समाज को अपना घर,खेत ना ही रोजगार नसीब हुआ।ये समाज अपने आप को मुनि(मारकंडे) जाती के बताते है।इस समाज का अपना कोई गांव नही हुआ खगड़िया में क्यों कि ये जंहा पहले रहते थे वो गांव कई साल पहले ही नदी में कट कर बह गया तब से ये समाज एक रेफ्यूसी की तरह इस गांव से उस गांव रहता है।
मुनि समाज के इन लोगो का दुख एक दो नही है बल्कि कई पीड़ा लिए ये बैठे है।
इनकी आबादी करीब 300 से 350 के बीच मे है ये समाज कोई भी गाँव के किनारे झोपड़ी और मड़ई लगा कर रहते है।फिलहाल ये लोग खगड़िया के बेलदौर प्रखंड के पचौठ गांव में रह रहे है। लेकिन यंहा इनकी हालात बत से बत्तर हुई है। इन लोगो का कहना है की हमलोग जंहा अभी बसे है ये एक सड़क है और इसके पीछे में यंहा के ग्रामीणों का खेत है और खेत से हमलोगों का कोई लेना देना नही है फिर भी अस्थनीय जमींदार लोग हमलोग पर जोर जबरदस्ती करते है उनके खेतों में काम करने से मना करते है तो मारने पीटने लगते है और घर तोड़ कर भगाने लगते है।ऐसे में अब हमलोग खुद को हारा हुआ महसूश कर रहे है साथ ही अब कोई उम्मीद भी नही दिख रही है।
वंही एक अस्थानिये जनप्रतिनिधि है चंदन सिंह जो इनके लिए समय-समय पर जिला प्रसाशन से मांग रखते उनका कहना है कि खगडिया जिला प्रसाशन से गुहार लगाते लगते थक गए लेकिन सिर्फ वंहा जो मिलता है वो अस्वाशन ही मिलता है।
बहरहाल खगड़िया जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार ने गम्भीरता से समस्या सुनते हुए भरोसा दिलाया है कि उसी गांव में इस समाज को जमीन दे कर बसयंगे


Conclusion:
Last Updated : Jan 28, 2020, 12:27 PM IST
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