पटना: बिहार के खगड़िया में अलौली स्वास्थ्य केंद्र पर 23 महिलाओं का ऑपरेशन बिना एनेस्थीशिया दिए ही कर दिया (Surgery Without Anesthesia in Khagaria) गया. इस दौरान महिलाएं दर्द से कराहतीं रहीं. इस अमानवीय व्यवहार को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women) ने बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जिम्मेदार डॉक्टरों और संबंधित NGO के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
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बिना बेहोशी का इंजेक्शन दिये बिना महिलाओं की नसबंदी : बिहार के खगड़िया जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही (Negligence of Bihar Health Department) बुधवार को उस समय सामने आई, जब करीब दो दर्जन महिलाओं की नसबंदी बिना बेहोश किए कर दी गई. महिलाएं परिवार नियोजन ऑपरेशन कराने जिले के अलौली व परबत्ता स्वास्थ्य केंद्र गई थीं. मेडिकल स्टाफ ने उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया, उनके हाथ-पैर कसकर पकड़ लिए, मुंह में रूई डालकर बिना एनेस्थीसिया के ऑपरेशन कर दिया. ऑपरेशन के दौरान और बाद में पीड़िताओं को असहनीय दर्द हुआ.
''जब डॉक्टर से पूछा कि बिना इंजेक्शन दिए ऑपरेशन क्यों कर रहे हैं, तो डॉक्टर ने कहा कि ऑपरेशन के बाद सुई दी जाएगी. इसके बाद डॉक्टर ऑपरेशन करता गया. जब हम जोर से चिल्लाने लगे तो हमारे हाथ-पैर पकड़कर ऐसे ही ऑपरेशन कर दिया गया.'' - कुमारी प्रतिमा, नसबंदी का ऑपरेशन कराने आई महिला
वहीं, इस मामले में जब हंगामा मचा तो अधिकारियों की नींद टूटी. गुरुवार को सिविल सर्जन मामले की जांच करने अलौली पहुंचे. उन्होंने बताया कि मामले की जांच की गई है. इसमें जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके विरूद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.
"हमने मामले की जांच शुरू कर दी है और अमानवीय कृत्य के लिए जिम्मेदार एनजीओ से स्पष्टीकरण मांगा है. स्वास्थ्य विभाग ने ग्लोबल डेवलपमेंट इनिशिएटिव नाम के एनजीओ को परिवार नियोजन संचालन का ठेका दिया है. हमने एनजीओ से स्पष्टीकरण मांगा है और इसे ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की है. प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि एनजीओ एक अमानवीय कृत्य में शामिल था." - अमरनाथ झा, सिविल सर्जन, खगड़िया
पांच दिन पहले ही आया था एक और मामला : बता दें कि पांच दिन पहले ही खगड़िया जिले के परबता पीएचसी में बंध्याकरण कराने पहुंची महिला को बेहोशी की सुई देने के बाद जमीन पर ही सुला दिया गया था. बार-बार मरीजों के साथ हो रही लापरवाही से खगड़िया के स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं.
''इस तरह एक साथ दो दर्जन से अधिक महिलाओं को बेहोशी का इंजेक्शन देकर लिटाना गलत है. पहली गलती थी, इसलिये चेतावनी देकर छोड़ दिया गया, आगे से इस तरह की लापरवाही सामने आयेगी तो कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा जायेगा.'' - डॉ राजीव रंजन, परबत्ता सीएचसी प्रभारी
एनजीओ मरीजों को बेहोश करने के लिए 'ट्यूबेक्टॉमी' नामक एक प्रक्रिया का उपयोग कर रहा है. अधिकारी ने कहा कि ऑपरेशन के समय यह मरीजों पर काम नहीं कर रहा था. राज्य सरकार हर नसबंदी के लिए 2100 रुपये दे रही है.
बता दें कि ऐसी ही एक घटना 2012 में अररिया जिले में हुई थी, जब 53 महिलाओं का परिवार नियोजन ऑपरेशन बिना एनेस्थीसिया के कर दिया गया था. उस समय दोषी चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी और उनमें से तीन को जेल भेज दिया गया था.