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खगड़िया: खुद बीमार है चौथम प्रखंड का यह सरकारी अस्पताल, इलाज की है जरूरत

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Published : Sep 17, 2019, 1:14 PM IST

Updated : Sep 17, 2019, 1:27 PM IST

दियारा में एक अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र के अलावा 8 उपस्वास्थ्य केन्द्र भी हैं. लेकिन, चौथम प्रखंड में मानपुर ठूठी गांव में अवस्थित अतरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र अपने उद्घाटन काल से लोगों के बीच सेवा देने की राह देख रहा है.

खगड़िया में सालों से बंद है अस्पताल

खगड़िया: सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है. एक ओर सरकार आम लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का दावा कर रही है. वहीं, बीते दिनों हुए चमकी बुखार ने सभी सरकारी दावों की पोल खोलकर रख दी थी. हालात अब भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. मामला जिले के चौथम प्रखंड के दियारा का है. जहां, सरकारी अस्पताल खुद ही बीमार है. इस दुर्गम इलाके में स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे है.

अस्पताल के बारे में बताते लोग
अस्पताल के बारे में बताते लोग

'खाट के सहारे है प्रखंड के लोग'
यूं तो कहने को दियारा में एक अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र के अलावा 8 उपस्वास्थ्य केन्द्र भी है. लेकिन चौथम प्रखंड में मानपुर ठूठी गांव में अवस्थित अतरिक्त स्वास्थ्य अपने उद्घाटन काल से लोगों के बीच सेवा देने की राह देख रहा है. इस, मामले पर ग्रामीणों का कहना है कि गांव के किसी लोग के तबीयत सीरियस होने पर खटिया के सहारे मरीज को आस-पास के शहरों में इलाज के लिए ले जाते हैं.

इलाज के लिए जाना पड़ता है दूर
इलाज के लिए जाना पड़ता है दूर

60 हजार की आबादी भगवान भरोसे
प्रखंड के दियारा इलाके में चार पंचायत है. ये चारों पंचायत कोसी और बागमती के अलावे कई अन्य नदियों से घिरी हुई है. इस दुर्गम इलाकों में लगभग 60 हजार की आबादी बसती है. हलांकि, स्थानीय जिला परिषद सदस्य की पहल पर प्रखंड के इस गांव में अतिरिक्त स्वास्थ्य सेवा तो खोला गया लेकिन इस अस्पताल में आज तक एक भी मरीज को इलाज नहीं संभव हो पाया. बताया जाता है कि इस अस्पताल में डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति भी की गई है. लेकिन अस्पताल स्थापना के बाद से यहां किसी डॉक्टरों ने आने की जहमत ही नहीं उठाई.

ग्रामीण
ग्रामीण

निजी भवन में चलता है स्वास्थ्य केंद्र
ग्रामीणों का कहाना है कि यह स्वास्थ्य केंद्र एक निजी भवन में चलता है. डॉक्टरों की बात तो दूर है, यहां कोई एएनएम भी नहीं आता. लोगों का कहना है कि एक ओर भारत जहां चांद की ओर अग्रसर है. वहीं, इस आधुनिक काल में भी हमलोग खाट के सहारे ही मरीज को इलाज के लिए आस-पास के शहरों में ले जाते है. गंभीर बिमारी होने पर इलाके के लोगों को इलाज के अभाव में अपनी जान भी गंवानी पड़ती है. दुर्गम दियारा होने के कारण इस इलाके को लगातार अनदेखा किया जाता है. कोई अधिकारी भी इस क्षेत्र में आने से कतराता है. हलांकि, चुनाव के समय माननीय सभी बाधाओं को पार कर क्षेत्र में जरुर आते हैं.

डीएम, खगड़िया
डीएम, खगड़िया

3 साल पहले हुआ था निर्माण
तीन साल पहले बने इसे यहां के ग्रामीणों के लिए बनाया गया था. मगर आज इसकी हालत इतनी खराब है कि लोगों का यहां इलाज होना तो दूर इसे आजतक खोला भी नहीं गया है. इस मामले पर जब ईटीवी भारत टीम ने जब सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. वहीं, मामले पर जिले के डीएम अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि मामला अभी मेरे संज्ञान में आया है. अस्पताल में एक डॉक्टर पदस्थापित हैं. लेकिन वे वहां क्यों नहीं जाते हैं, इस मामले पर सिविल सर्जन से पूछताछ की जाएगी और जांच के बाद दोषी पाये जाने पर जबाव-तलब किया जाएगा.

पेश है एक रिपोर्ट

खगड़िया: सूबे की स्वास्थ्य व्यवस्था किसी से छुपी नहीं है. एक ओर सरकार आम लोगों तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का दावा कर रही है. वहीं, बीते दिनों हुए चमकी बुखार ने सभी सरकारी दावों की पोल खोलकर रख दी थी. हालात अब भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है. मामला जिले के चौथम प्रखंड के दियारा का है. जहां, सरकारी अस्पताल खुद ही बीमार है. इस दुर्गम इलाके में स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे है.

अस्पताल के बारे में बताते लोग
अस्पताल के बारे में बताते लोग

'खाट के सहारे है प्रखंड के लोग'
यूं तो कहने को दियारा में एक अतिरिक्त स्वास्थ्य केन्द्र के अलावा 8 उपस्वास्थ्य केन्द्र भी है. लेकिन चौथम प्रखंड में मानपुर ठूठी गांव में अवस्थित अतरिक्त स्वास्थ्य अपने उद्घाटन काल से लोगों के बीच सेवा देने की राह देख रहा है. इस, मामले पर ग्रामीणों का कहना है कि गांव के किसी लोग के तबीयत सीरियस होने पर खटिया के सहारे मरीज को आस-पास के शहरों में इलाज के लिए ले जाते हैं.

इलाज के लिए जाना पड़ता है दूर
इलाज के लिए जाना पड़ता है दूर

60 हजार की आबादी भगवान भरोसे
प्रखंड के दियारा इलाके में चार पंचायत है. ये चारों पंचायत कोसी और बागमती के अलावे कई अन्य नदियों से घिरी हुई है. इस दुर्गम इलाकों में लगभग 60 हजार की आबादी बसती है. हलांकि, स्थानीय जिला परिषद सदस्य की पहल पर प्रखंड के इस गांव में अतिरिक्त स्वास्थ्य सेवा तो खोला गया लेकिन इस अस्पताल में आज तक एक भी मरीज को इलाज नहीं संभव हो पाया. बताया जाता है कि इस अस्पताल में डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति भी की गई है. लेकिन अस्पताल स्थापना के बाद से यहां किसी डॉक्टरों ने आने की जहमत ही नहीं उठाई.

ग्रामीण
ग्रामीण

निजी भवन में चलता है स्वास्थ्य केंद्र
ग्रामीणों का कहाना है कि यह स्वास्थ्य केंद्र एक निजी भवन में चलता है. डॉक्टरों की बात तो दूर है, यहां कोई एएनएम भी नहीं आता. लोगों का कहना है कि एक ओर भारत जहां चांद की ओर अग्रसर है. वहीं, इस आधुनिक काल में भी हमलोग खाट के सहारे ही मरीज को इलाज के लिए आस-पास के शहरों में ले जाते है. गंभीर बिमारी होने पर इलाके के लोगों को इलाज के अभाव में अपनी जान भी गंवानी पड़ती है. दुर्गम दियारा होने के कारण इस इलाके को लगातार अनदेखा किया जाता है. कोई अधिकारी भी इस क्षेत्र में आने से कतराता है. हलांकि, चुनाव के समय माननीय सभी बाधाओं को पार कर क्षेत्र में जरुर आते हैं.

डीएम, खगड़िया
डीएम, खगड़िया

3 साल पहले हुआ था निर्माण
तीन साल पहले बने इसे यहां के ग्रामीणों के लिए बनाया गया था. मगर आज इसकी हालत इतनी खराब है कि लोगों का यहां इलाज होना तो दूर इसे आजतक खोला भी नहीं गया है. इस मामले पर जब ईटीवी भारत टीम ने जब सिविल सर्जन से बात की तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. वहीं, मामले पर जिले के डीएम अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि मामला अभी मेरे संज्ञान में आया है. अस्पताल में एक डॉक्टर पदस्थापित हैं. लेकिन वे वहां क्यों नहीं जाते हैं, इस मामले पर सिविल सर्जन से पूछताछ की जाएगी और जांच के बाद दोषी पाये जाने पर जबाव-तलब किया जाएगा.

पेश है एक रिपोर्ट
Intro:सूबे की सरकार विकाश की लाखों दावे कर रही है।जैसे: राज्य में सड़क विकाश हुआ,शिक्षा विकाश हुआ या स्वास्थ्य विकाश हुआ। खगड़िया जिले से स्वास्थ्य विकाश से जुड़ा एक मुद्दा हम ले कर आये है आप के पास जो सरकार के सभी दावों को पोल खोलने के लिए एक बहुत बड़ा उदहारण है।


Body:सूबे की सरकार विकाश की लाखों दावे कर रही है।जैसे: राज्य में सड़क विकाश हुआ,शिक्षा विकाश हुआ या स्वास्थ्य विकाश हुआ। खगड़िया जिले से स्वास्थ्य विकाश से जुड़ा एक मुद्दा हम ले कर आये है आप के पास जो सरकार के सभी दावों को पोल खोलने के लिए एक बहुत बड़ा उदहारण है।
खगड़िया के चौथम प्रखंड में मानपुर ठूठी गांव है यंहा एक अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र है जो 3 साल पहले यंहा के अस्थनीयो के लिए बनाया गया था,लेकिन यंहा क्या इलाज होता है कितने ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ इस से मिलता है इसका जवाब देने वाला कोई नही है।इसलिए हम उन ग्रामीणों से ही बात किये जिनके लिए ये अतरिक्त स्वास्थ्य केंद्र खोला गया है।
ग्रामीण कहते है कि अतरिक्त स्वास्थ्य केंद्र एक निजी भवन में चलता है इस स्वास्थ्य केंद्र में कभी कोई डॉक्टर या एन एम नही आते। चुकी ये इलाका दुर्गम क्षेत्र में पड़ता है इसलिए स्वास्थ्य प्रसाशन से जुड़े अधिकारी निरक्षण करने भी कभी नही आते।ग्रामीण कहते है कि इस आधुनिक दुनिया मे भी हमलोग खाट के सहारे ही मरीज को यंहा से वहां इलाज कराने ले कर आते जाते है।आसपास में कोई अस्पताल नही होने के वजह से लगातार अनहोनी भी होती रहती है लेकिन हमलोग को दियारा क्षेत्र में रहने के वजह से लगातार अनदेखा किया जाता रहा है जिसके वजह से हमलोग।

इस अतरिक्त स्वास्थ्य केंद्र के बारे में हमने जानकारी लेने और सिविल सर्जन की प्रतिक्रिया लेने की कोशिस की तो सिविल सर्जन का कहना रहा की इस पर कार्यवाई करंगे लेकिन कैमरे पर कुछ बोलेंगे नही इसके बाद जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार से हमने जब इस पर प्रतक्रिया ली तो उनका कहना था कि नही ऐसा नही है की वो खुलता नही है,खुलता है लेकिन डॉक्टर की नियुक्ति नही है लेकिन हमने जब ग्रामीणों की कही गई बात को सुनाई तो जिलाधिकारी ने बात को मानते हुए कहे की सिविल सर्जन को बोल कर सो कॉज मांगता हूं




Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2019, 1:27 PM IST
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