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खगड़िया में बाढ़ से परेशान पशुपालक, पशुओं को नहीं मिल रहा चारा

खगड़िया में बाढ़ से सभी परेशान हैं. ऐसे में पशुपालकों को सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है. विस्थापित होकर ये पशुपालक नेशनल हाईवे के किनारे अपने मवेशियों के साथ आ तो गये हैं. लेकिन पशुओं के चारे के लिए इन्हें जद्दोजहद करनी पड़ रही है.

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Published : Aug 25, 2020, 7:47 PM IST

खगड़िया: जिले में बूढ़ी गंडक और गंगा खतरे निशाना से ऊपर बह रहीं हैं. इसके कारण आमलोगों के साथ-साथ पशुपालकों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पशुओं को रखने और चारे की काफी दिक्कतें हो रही है. जिला प्रशासन की ओर से अभी तक सूखा चारा की व्यवस्था नहीं की गई है.

पशुपालकों की बढ़ी परेशानी
खगड़िया में नदियों के जलस्तर में वृद्धि होने से बाढ़ पीड़ित तो परेशान है, लेकिन पशुपालको की भी परेशानी कम होती नजर नहीं आ रही है. पशुपालक अपने मवेशी के साथ एनएच 31 पर आ गये हैं. जिसके कारण एनएच 31 पशुओं का चारागाह बन गया है. पशुपालकों को पशुओं के साथ एनएच 31 पर दिन तो क्या रात भी गुजारनी पड़ती है.

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चारे की व्यवस्था.

प्रशासन करे पशुओं की चारे की व्यवस्था
नेशनल हाईवे होने के कारण दिन-रात वाहनों का आना-जाना लगता रहता है ऐसे में किसी भी अनहोनी की घटना से भी डरे रहते है. पशुपालकों को सूखा चारा नहीं मिलने के कारण किसी तरह से पानी में डूबे हुए फसल को ही काटकर लाते है और फिर पशुओं को खिलाते है. इस आपदा के समय में जिला प्रशासन को पशुओं के लिए सूखा चारे की व्यवस्था करनी चाहिए.

खगड़िया: जिले में बूढ़ी गंडक और गंगा खतरे निशाना से ऊपर बह रहीं हैं. इसके कारण आमलोगों के साथ-साथ पशुपालकों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पशुओं को रखने और चारे की काफी दिक्कतें हो रही है. जिला प्रशासन की ओर से अभी तक सूखा चारा की व्यवस्था नहीं की गई है.

पशुपालकों की बढ़ी परेशानी
खगड़िया में नदियों के जलस्तर में वृद्धि होने से बाढ़ पीड़ित तो परेशान है, लेकिन पशुपालको की भी परेशानी कम होती नजर नहीं आ रही है. पशुपालक अपने मवेशी के साथ एनएच 31 पर आ गये हैं. जिसके कारण एनएच 31 पशुओं का चारागाह बन गया है. पशुपालकों को पशुओं के साथ एनएच 31 पर दिन तो क्या रात भी गुजारनी पड़ती है.

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चारे की व्यवस्था.

प्रशासन करे पशुओं की चारे की व्यवस्था
नेशनल हाईवे होने के कारण दिन-रात वाहनों का आना-जाना लगता रहता है ऐसे में किसी भी अनहोनी की घटना से भी डरे रहते है. पशुपालकों को सूखा चारा नहीं मिलने के कारण किसी तरह से पानी में डूबे हुए फसल को ही काटकर लाते है और फिर पशुओं को खिलाते है. इस आपदा के समय में जिला प्रशासन को पशुओं के लिए सूखा चारे की व्यवस्था करनी चाहिए.

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