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डेढ़ महीने तक थाने में नौकरी करता रहा फर्जी दारोगा, SHO से लेकर SP तक को नहीं लगी भनक

खगड़िया में एक फर्जी दारोगा एक महीने तक थाने में नौकरी करता रहा, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी. जब पूरे मामले का खुलासा हुआ तो विभाग में हड़कंप मच गया. अधिकारी भी दंग रह गए. पढ़ें रिपोर्ट...

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Published : Nov 1, 2021, 11:00 PM IST

खगड़िया: बिहार के खगड़िया जिले के मानसी थाना में एक फर्जी दारोगा (Fake Inspector) के काम करने की सूचना पर पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. आरोपी युवक थाने में काम करने के साथ ही पुलिस की गश्ती और वरीय अधिकारियों के साथ अनुसंधान में भी जाता रहा, लेकिन किसी को उसकी असलियत का पता नहीं लगा था. अब इस मामले को लेकर एसपी अमितेश कुमार के निर्देश पर कठोर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है.

ये भी पढ़ें- पटना में फर्जी पुलिस बन लूटपाट करने वाले तीन शातिर गिरफ्तार

मानसी थाना में बिना जिलादेश और वायरलेस के ड्यूटी जॉइन करने वाले फर्जी दारोगा विक्रम की अब गिरफ्तारी हो चुकी है. मानसी थाना में उसके विरुद्ध थाना कांड संख्या 295/21 में प्राथमिकी दर्ज करते हुए उसे जेल भेज दिया गया है. वहींं, आरोपी दारोगा के थाना में योगदान देने से लेकर एक माह से ज्यादा समय तक थाने में ड्यूटी करवाने को लेकर मानसी के एसएचओ पर भी विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

बताया जा रहा है कि बिहार पुलिस सेवा आयोग द्वारा जारी किए गए एडमिट कार्ड और कई ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह कार्रवाई की गई है. इस पूरे मामले का खुलासा सोशल मीडिया के जरिये एक आरटीआई कार्यकर्ता मनोज मिश्रा ने किया है.

ये भी पढ़ें- पटना सिविल कोर्ट में घुसने की फिराक में था फर्जी दारोगा, सुरक्षाकर्मियों ने दबोचा

दरअसल, मानसी थाना के फर्जी दारोगा विक्रम कुमार पर आरोप है कि उसने बिना एसपी के जिलादेश और वायरलेस के थाने में जॉइन किया. इतना ही नहीं उस पर वर्दी पहनकर वसूली करने और लोगों को धमकाने का भी आरोप सोशल मीडिया पर लगा था. इसके बाद खगड़िया एसडीपीओ की जांच में मामला सही पाया गया था. मानसी थानाध्यक्ष की भूमिका भी संदेह के घेरे में है.

इस पूरे प्रकरण में मानसी के थानाध्यक्ष दीपक की भूमिका काफी संदेह के घेरे में है. जानकार बताते हैं कि परीक्षा पास करने के बाद चयनित अभ्यर्थी को पुलिस महानिरीक्षक के कार्यालय में योगदान करना होता है. फिर वहां से ट्रेनिंग सेंटर भेजा जाता है. उसके बाद उसे जिला पुलिस लाइन में भेजा जाता है. जहां के सार्जेंट मेजर उसकी ड्यूटी लगाते हैं. जिसके लिए एसपी का जिलादेश और वायरलेस का होना अनिवार्य है. लेकिन, इस मामले में ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है. ऐसे में विभागीय लोग ही मानसी थाना अध्यक्ष को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. कई वरीय पुलिस अधिकारी ने जांच में मानसी के एसएचओ की भूमिका इसमे सबसे ज्यादा संदिग्ध बताई है.

अधिकारियों का कहना है कि इसमें थानाध्यक्ष की गलती स्पष्ट रूप से दिखती है कि उन्होंने योगदान किस आधार पर लिया था. एसपी अमितेश कुमार ने साफ लहजे में कहा कि मानसी के एसएचओ की भूमिका काफी संदिग्ध है. ऐसे में उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है. हालांकि, इस मामले में मानसी थानाध्यक्ष खुद को बेकसूर बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि एसपी के आदेश पर विक्रम कुमार को गिरफ्तार किया गया है. जिनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करते हुए उनको जेल भेजा गया है. बहरहाल खगड़िया जिले में इस फर्जी दारोगा का मामला खूब सुर्खियों में है.

खगड़िया: बिहार के खगड़िया जिले के मानसी थाना में एक फर्जी दारोगा (Fake Inspector) के काम करने की सूचना पर पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. आरोपी युवक थाने में काम करने के साथ ही पुलिस की गश्ती और वरीय अधिकारियों के साथ अनुसंधान में भी जाता रहा, लेकिन किसी को उसकी असलियत का पता नहीं लगा था. अब इस मामले को लेकर एसपी अमितेश कुमार के निर्देश पर कठोर कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई है.

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मानसी थाना में बिना जिलादेश और वायरलेस के ड्यूटी जॉइन करने वाले फर्जी दारोगा विक्रम की अब गिरफ्तारी हो चुकी है. मानसी थाना में उसके विरुद्ध थाना कांड संख्या 295/21 में प्राथमिकी दर्ज करते हुए उसे जेल भेज दिया गया है. वहींं, आरोपी दारोगा के थाना में योगदान देने से लेकर एक माह से ज्यादा समय तक थाने में ड्यूटी करवाने को लेकर मानसी के एसएचओ पर भी विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

बताया जा रहा है कि बिहार पुलिस सेवा आयोग द्वारा जारी किए गए एडमिट कार्ड और कई ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह कार्रवाई की गई है. इस पूरे मामले का खुलासा सोशल मीडिया के जरिये एक आरटीआई कार्यकर्ता मनोज मिश्रा ने किया है.

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दरअसल, मानसी थाना के फर्जी दारोगा विक्रम कुमार पर आरोप है कि उसने बिना एसपी के जिलादेश और वायरलेस के थाने में जॉइन किया. इतना ही नहीं उस पर वर्दी पहनकर वसूली करने और लोगों को धमकाने का भी आरोप सोशल मीडिया पर लगा था. इसके बाद खगड़िया एसडीपीओ की जांच में मामला सही पाया गया था. मानसी थानाध्यक्ष की भूमिका भी संदेह के घेरे में है.

इस पूरे प्रकरण में मानसी के थानाध्यक्ष दीपक की भूमिका काफी संदेह के घेरे में है. जानकार बताते हैं कि परीक्षा पास करने के बाद चयनित अभ्यर्थी को पुलिस महानिरीक्षक के कार्यालय में योगदान करना होता है. फिर वहां से ट्रेनिंग सेंटर भेजा जाता है. उसके बाद उसे जिला पुलिस लाइन में भेजा जाता है. जहां के सार्जेंट मेजर उसकी ड्यूटी लगाते हैं. जिसके लिए एसपी का जिलादेश और वायरलेस का होना अनिवार्य है. लेकिन, इस मामले में ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है. ऐसे में विभागीय लोग ही मानसी थाना अध्यक्ष को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. कई वरीय पुलिस अधिकारी ने जांच में मानसी के एसएचओ की भूमिका इसमे सबसे ज्यादा संदिग्ध बताई है.

अधिकारियों का कहना है कि इसमें थानाध्यक्ष की गलती स्पष्ट रूप से दिखती है कि उन्होंने योगदान किस आधार पर लिया था. एसपी अमितेश कुमार ने साफ लहजे में कहा कि मानसी के एसएचओ की भूमिका काफी संदिग्ध है. ऐसे में उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की गई है. हालांकि, इस मामले में मानसी थानाध्यक्ष खुद को बेकसूर बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि एसपी के आदेश पर विक्रम कुमार को गिरफ्तार किया गया है. जिनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करते हुए उनको जेल भेजा गया है. बहरहाल खगड़िया जिले में इस फर्जी दारोगा का मामला खूब सुर्खियों में है.

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