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खगड़िया: सर्दी का सितम झेल रहे आंगनबाड़ी केंद्र के नौनिहाल, खुले में पढ़ने को मजबूर बच्चे - ईटीवी भारत

आंगनबाड़ी केंद्र की सेविकाओं का कहना है कि बच्चे के अनुपस्थित रहने पर उपर जबाब देना पड़ता है. हर दिन बच्चों के साथ फोटो लेकर एप पर अपलोड करना होता है.बच्चो की उपस्थिति बढ़ाने की जबाबदेही रहती है. ऐसे में अगर बच्चे कम रहे तो हमारे लिए परेशानी बढ़ जाती है.

सर्दी का सितम झेल रहें आंगनबाड़ी केंद्र के छोटे नौनिहाल
सर्दी का सितम झेल रहें आंगनबाड़ी केंद्र के छोटे नौनिहाल
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Published : Dec 24, 2019, 7:16 AM IST

खगड़िया: प्रदेश में महिला और बाल विकास विभाग ने नौनिहालों के पोषण और शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों की तर्ज पर आंगनबाड़ी केन्द्रों की शुरूआत तो कर दी, लेकिन स्कूलों के नियम लागू नहीं होने से इन बच्चों को सर्दी का सितम झेलना पड़ रहा है.

सर्दी को देखते हुए बच्चों के अभिभाव केन्द्र पर अपने बच्चों को भेजने में कतराने लगे हैं. इस संबंध में आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका और सहायिका का कहना है कि केंद्र पर कोई व्यवस्था नहीं है. खुले टिन शेड में बच्चों को ठंड लगने का खतरा रहता है, जिस वजह से लोग अपने बच्चें को केंद्र पर नहीं भेजना चाहते हैं. वहीं, हमलोगों पर हर दिन बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने की जवाबदेही रहती है.

पेश है एक खास रिपोर्ट

सरकार पर लगाया उपेक्षा का आरोप
आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सुनीता कुमारी बताती हैं कि केंद्र पर 3 से 6 साल के बच्चें आते हैं. कड़ाके की ठंड शुरू हो चुकी है. केंद्र में कोई सुविधा नहीं है. सुनीता का कहना है कि जब वो बच्चों को बुलाने उनके घर जाती हैं, तो उनके अभिभावक उनसे सवाल पूछते हैं कि ' ठंड लगने पर कौन इलाज करायेगा'?

खगड़ियाआंगनबाड़ी केंद्र
जमीन पर बैठकर पढ़ते बच्चे

'हमारे पास नहीं है कोई उपाय'
आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 283 की सेविका प्रेम लता सिंह बताती हैं उन्हें छोटे बच्चों से काफी स्नेह है. बच्चों को सरकार की ओर से दिये जाने वाले पोषाहार बच्चों को दिये जाते हैं. यह केंद्र कोशी कॉलेज के छात्रवास प्रांगण में चलता है. केंद्र के पास अपना भवन भी नहीं है. बच्चों को खुले में बिठाना पड़ता है. सरकार की दोहरी नीति के कारण हम मजबूर हैं.

आंगनबाड़ी केंद्र सेविका
आंगनबाड़ी केंद्र सेविका

'उपस्थिती नहीं होने पर देना पड़ता है जबाब'
केंद्र संख्या 292 की साहायिका मीना देवी बताती हैं कि बच्चों के अनुपस्थित रहने पर ऊपर के अधिकारियों को उन्हें जवाब देना पड़ता है. हर दिन बच्चों के साथ फोटो लेकर एप पर अपलोड करना होता है. बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने की जवाबदेही रहती है.

खुले में बैठकर पढ़ते आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे
खुले में बैठकर पढ़ते आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे

अभी वैसी ठंड नही पड़ रही- डीएम
इस मामले पर जिले के डीएम अनिरुद्ध कुमार से जब ईटीवी भारत संवाददाता ने सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि 'अभी वैसी ठंड नही हो रही है. ज्यादा ठंड होने पर आंगनबाड़ी केंद्र के समय में बदलाव किया जाएगा.

खगड़िया: प्रदेश में महिला और बाल विकास विभाग ने नौनिहालों के पोषण और शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों की तर्ज पर आंगनबाड़ी केन्द्रों की शुरूआत तो कर दी, लेकिन स्कूलों के नियम लागू नहीं होने से इन बच्चों को सर्दी का सितम झेलना पड़ रहा है.

सर्दी को देखते हुए बच्चों के अभिभाव केन्द्र पर अपने बच्चों को भेजने में कतराने लगे हैं. इस संबंध में आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका और सहायिका का कहना है कि केंद्र पर कोई व्यवस्था नहीं है. खुले टिन शेड में बच्चों को ठंड लगने का खतरा रहता है, जिस वजह से लोग अपने बच्चें को केंद्र पर नहीं भेजना चाहते हैं. वहीं, हमलोगों पर हर दिन बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने की जवाबदेही रहती है.

पेश है एक खास रिपोर्ट

सरकार पर लगाया उपेक्षा का आरोप
आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सुनीता कुमारी बताती हैं कि केंद्र पर 3 से 6 साल के बच्चें आते हैं. कड़ाके की ठंड शुरू हो चुकी है. केंद्र में कोई सुविधा नहीं है. सुनीता का कहना है कि जब वो बच्चों को बुलाने उनके घर जाती हैं, तो उनके अभिभावक उनसे सवाल पूछते हैं कि ' ठंड लगने पर कौन इलाज करायेगा'?

खगड़ियाआंगनबाड़ी केंद्र
जमीन पर बैठकर पढ़ते बच्चे

'हमारे पास नहीं है कोई उपाय'
आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 283 की सेविका प्रेम लता सिंह बताती हैं उन्हें छोटे बच्चों से काफी स्नेह है. बच्चों को सरकार की ओर से दिये जाने वाले पोषाहार बच्चों को दिये जाते हैं. यह केंद्र कोशी कॉलेज के छात्रवास प्रांगण में चलता है. केंद्र के पास अपना भवन भी नहीं है. बच्चों को खुले में बिठाना पड़ता है. सरकार की दोहरी नीति के कारण हम मजबूर हैं.

आंगनबाड़ी केंद्र सेविका
आंगनबाड़ी केंद्र सेविका

'उपस्थिती नहीं होने पर देना पड़ता है जबाब'
केंद्र संख्या 292 की साहायिका मीना देवी बताती हैं कि बच्चों के अनुपस्थित रहने पर ऊपर के अधिकारियों को उन्हें जवाब देना पड़ता है. हर दिन बच्चों के साथ फोटो लेकर एप पर अपलोड करना होता है. बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने की जवाबदेही रहती है.

खुले में बैठकर पढ़ते आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे
खुले में बैठकर पढ़ते आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे

अभी वैसी ठंड नही पड़ रही- डीएम
इस मामले पर जिले के डीएम अनिरुद्ध कुमार से जब ईटीवी भारत संवाददाता ने सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि 'अभी वैसी ठंड नही हो रही है. ज्यादा ठंड होने पर आंगनबाड़ी केंद्र के समय में बदलाव किया जाएगा.

Intro:भीषण सर्दी में छोटे छोटे नौनिहाल आंगनबाड़ी केन्द्रों में जमीन पर बैठ कर पढ़ते है. बच्चे ठंड के वजह से आंगनबाड़ी केंद्र आना नही चाहते। सेविका और सहायिका ने सरकार पर लगया उपेक्षा का आरोप।


Body:भीषण सर्दी में छोटे छोटे नौनिहाल आंगनबाड़ी केन्द्रों में जमीन पर बैठ कर पढ़ते है. बच्चे ठंड के वजह से आंगनबाड़ी केंद्र आना नही चाहते। सेविका और सहायिका ने सरकार पर लगया उपेक्षा का आरोप।

कड़ाके की ठंड में जब आप घर मे सुबह सुबह दुबके होते है और रजाई, कम्बल से निकलने का मनन नही होता तब आंगनबाड़ी केंद्रों में 3 साल से 6 साल के बच्चें पढने और ज्ञान लेने पहुच जाते है।

अभिभावक बच्चो को भेजने से कतरा रहे है.
हां अलग बात है कि बच्चो के तबियत को फिक्र कर के उनके अभिभावक आज कल बच्चो को आंगन बड़ी केन्द्रों में भेजना नही चाह रहे है। सहायिका या सेविका बच्चो को जब बुलाने उनके घर जाती है तो बच्चो के माता पिता सीधा उनसे यही सवाल करते है कि क्या ठंड लग जायेगी तो आप इलाज करवायनगी

साधन की है घोर कमी
अनागनबाड़ी केन्द्रों में बच्चो के ठंड से बचाने के लिए सरकार के द्वारा कोई साधन नही दिया गया है। बच्चे जमीन पर बोरा पर या दरी पर बैठते है। इसके अलावे कई आंगनबाड़ी केंद्र ऐसे है जिसको छत भी नही है वंहा बच्चे खुले आसमान में इस ठंड में बैठने के लिए मजबूर है।

विओ 1
सुनीता कुमारी केंद्र संख्या 282 की सेविका है इनका कहना है कि बच्चे ऐसे ही जमीन पर बैठते है, डर लगता है कि बच्चो को ठंड ना लग जाय। अगर बच्चे का आंगनबाड़ी में तबियत खराब हो जाय तो हमलोग तो इलाज करवाने लायक भी नही है। ठंड ज्यादा पैड रही है। जिला प्रसाशन को चाहिए कि कुछ दिन के लिए आंगनबाड़ी को बंद कर दे।

विओ 2
प्रेम लता सिंह आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 283 की सेविका है और Etv bharat से कहती है कि हम क्या करे मजबूर है बच्चो को खुले में बैठा कर शिक्षा देने के लिए। हर तरह का पोसाहार देते है ताकि बच्चे खुश रहे लेकिन ठंड से बचाने के लिए मेरे पास कोई उपाय नही है। केंद्र संख्या 283 को अपना भवन या झोपड़ी कुछ नही है। 283 केंद्र कोशी कॉलेज के छात्रवास के प्रांगण में संचालित होता है।

विओ 3
मीना देवी जो कि केंद्र संख्या 292 की साहियका है इनका कहना है कि बच्चो की उपस्थिति बढ़ानी की हम पर बहुत जिम्मेदारी रहती है क्यों कि हर दिन बच्चो के साथ फोटो ले लार अप्प पर अपलोड करना होता है ऐसे में अगर बच्चे कम रहे तो हमारे लिए परेशानी बढ़ जाती है। और अभिभावक है कि इस ठंड में बच्चे को भेजना ही नही चाहते।

वंही जिला अधिकारी अनिरुद्ध कुमार से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि अभी वैसी ठंड नही पड़ रही है। जब ज्यादा ठंड बढ़ जायेगी तब आंगनबाड़ी केंद्र की समय मे तब्दीली की जायेगी।



Conclusion:जिला प्रसाशन को चाहिए कि आंगनबाड़ी केंद्रों को कुछ दिनों के लिए बंद किया जाय ताकि छोटे छोटे बच्चे घर मे राह कर ठंड से बच सके। और सेविका सहायिका पर विभाग का दबाव कम हो सके। सरकार को चाहिए कि बच्चो के लिए कोई कदम उठाये और स्वेटर का वितरण करे। बच्चो के बैठने के लिये कोई व्यवस्था कर।
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