भागलपुर: भागलपुर जिले के कहलगांव स्थित चौधरी टोला वार्ड नंबर 13 के निवासी व्यवसायी दिनेश केजरीवाल ने आत्महत्या कर ली. बुधवार की शाम उसका शव उनकी दुकान के पीछे गोदाम में रस्सी से झूलता हुआ मिला. फांसी पर झूलने से पहले उन्होंने अपने घर पर फोन कॉल कर पत्नी पिंकी से हाल-चाल पूछा था. उसके बाद बेटा केशव से भी बात की थी. केशव से कहा था- 'क्या कर रहे हो, पढ़ रहे हो न, ठीक से पढ़ो'.
एफएसएल टीम को बुलाया गयाः परिवार से हुई बातचीत के करीब पांच मिनट बाद 54 वर्षीय व्यवसायी ने कथित रूप से गोदाम में लगे लोहे के एंगल से प्लास्टिक रस्सी के सहारे झूल कर आत्महत्या कर ली. सूचना मिलने के बाद कहलगांव थाने की पुलिस व एसडीपीओ शिवानंद सिंह घटनास्थल पर पहुंचकर मामले की जांच की. कुछ संदिग्ध पाए जाने के कारण भागलपुर से एफएसएल की टीम को बुलाया गया. एसडीपीओ ने आसपास की दुकानों में लगे सीसीटीवी फुटेज की बारीकी से जांच की.
क्या दिखा सीसीटीवी मेंः सीसीटीवी फुटेज में दिख रहा है कि घटना के समय दिनेश दुकान से निकलकर अपने गोदाम की तरफ जा रहा है. फुटेज में घटना से पूर्व एक महिला दुकान में कुछ सामान लेने पहुंची थी. कुछ देर बैठने के बाद वह महिला चली गई. थोड़ी देर बाद वह फिर आती है. इधर-उधर दुकानदार को ढूंढती है. इसके बाद वह महिला दुकानदार को ढूंढने पीछे गोदाम तक जाती है. वहां से महिला चीखते हुए दौड़ी आती है. तब जाकर आसपास के दुकानदारों को घटना के संबंध में जानकारी मिली.
ठीक ठाक चल रहा था व्यवसायः घटना की सूचना मिलते ही शहर के अन्य व्यवसायी दिनेश को देखने पहुंचते हैं. सभी ने बताया कि दिनेश काफी सज्जन स्वभाव का था. सुबह दुकान आता था और दिन भर दुकान से बाहर भी नहीं निकलता था. उसकी इस सुशीलता के सभी कायल थे. बिस्कुट, चिप्स, कुरकुरे आदि का थोक बिक्रेता था. शहर व ग्रामीण इलाके के दुकानदारों को बेचा करता था. दुकान अच्छी खासी चल भी रही थी. व्यवसाय में रुपयों का अभाव नहीं था.
"प्रथम दृष्टया आत्महत्या का मामला लग रहा है. एसएफएल की टीम को बुलाया गया है. दिनेश के कुछ नोट्स मिले हैं, जिसकी सत्यता की जांच की जा रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद मौत के कारणों का खुलासा होगा."- शिवानंद सिंह, एसडीपीओ कहलगांव
उठ रहे सवालः दिनेश का शव प्लास्टिक की रस्सी से गोदाम में झुल रहा था. वहां चारों ओर कुरकुरे व बिस्कुट के बड़े-बड़े कार्टन पड़े थे. सभी अपनी जगह पर सुरक्षित थे. झूलने के लिए एक भी ठोस चीज उपलब्ध नहीं था. कार्टन के सहारे लोहे के पाइप तक रस्सी को आखिर कैसे झुलाया गया होगा, यह जांच का विषय है. मौत के बाद भी दिनेश के पैर के चप्पल नहीं खुले थे. जबकि दम घुटने के क्रम में वह छटपटा रहा होगा.
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