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'फ्रेंडशिप-डे' SPECIAL: एक की नजर तो दूसरे की दिशा, कुछ यूं गुजर रही इन दो दिव्यांगों की जिंदगी - katihar news

फ्रेंडशिप-डे के रुप में मनाये जाने वाले इस दिन की शुरुआत साल 1919 में हॉलमार्क कार्ड के संस्थापक जोस हॉल के सुझाव से हुई थी. साल 1935 में पहली बार यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस ने अगस्त के पहले रविवार को 'वर्ल्ड फ्रेंडशिप डे' मनाने की घोषणा की थी.

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Published : Aug 4, 2019, 10:58 PM IST

कटिहार: 'एक सच्चा दोस्त सहारे की लाठी की तरह होता है' यह कहावत जिले के दो दोस्तों के लिए बिल्कुल सटीक बैठती है. दोस्ती का रिश्ता बहुत ही निराला होता है. खून के रिश्ते से बड़ा होता है. ऐसी ही मित्रता की मिसाल है कटिहार के लोको और जमाल. दोनों दिव्यांग हैं लेकिन एक दूसरे की मदद कर अपनी जिंदगी काट रहे हैं.

लोको और जमाल की दोस्ती ने उनके जीवन की कमजोरी को ताकत में बदल दिया है. इनकी दिव्यांगता आज दोस्ती के सामने झुक गई. रविवार को फ्रेंडशिप डे के मौके पर लोको और जमाल की दोस्ती की चर्चा पूरे कटिहार में रही.

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दोस्ती की तस्वीर

कुछ यूं गुजर रही जिंदगी...
ट्राइसाईकिल पर घूमता लोको पैरों से दिव्यांग है. वहीं, लोको की आंखों में रोशनी नहीं है. लेकिन, मित्रता इनके जीवन की सबसे बड़ी ताकत है. जहां एक दोस्त चल नहीं पाता तो दूसरा उसके कदम बनता है. वहीं, दूसरा देख नहीं पाता तो पहला दोस्त उसे अपनी आंखों से दुनिया दिखाता है.

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एक-दूसरे के सहारे जीवन

कैसे हुई दोस्ती?
लोको और जमाल कटिहार के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं. अस्पताल में लगे हैंडीकैप शिविर के दौरान इन दोनों की मुलाकात हुई. धीरे-धीरे यह मुलाकात गहरी दोस्ती में बदल गई. अब यह दोनों एकसाथ रहने लगे हैं. पहले इनका जीवन घर की चहारदीवारी में कैद था लेकिन, एक-दूसरे का साथ पाकर आज यह खुली हवा में घूम सकते हैं.

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लोको और जमाल

एक-दूसरे पर टिका है जीवन
जमाल बताते हैं कि आंखों से लाचार होने के कारण पहले तो घर के दरवाजे तक भी पहुंचना कष्टकारी था. लेकिन, अब लोको की वजह से जहां दिल करता है, वहां जा सकते हैं. वहीं, लोको बताते हैं कि शरीर से लाचार होने के कारण चलना-फिरना मुश्किल था. लेकिन, जमाल की वजह से सिर्फ शहर ही नहीं बल्कि पूरा देश घूम सकते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

कैसे हुई शुरुआत
फ्रेंडशिप-डे के रुप में मनाये जाने वाले इस दिन की शुरुआत साल 1919 में हॉलमार्क कार्ड के संस्थापक जोस हॉल के सुझाव से हुई थी. साल 1935 में पहली बार यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस ने अगस्त के पहले रविवार को 'वर्ल्ड फ्रेंडशिप डे' मनाने की घोषणा की थी. इसे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था. साल 1997 में कार्टून किरदार विन्नी द पुह को संयुक्त राष्ट्र ने दोस्ती का अंतरराष्ट्रीय दूत चुना. आज भारत समेत दुनिया के कई देशों में फ्रेंडशिप डे अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है. मगर दक्षिणी देशों में जुलाई महीने के अंत में ही फ्रेंडशिप मनाया जाता है. खास बात यह है कि यूनाइटेड नेशंस भी इस दिन पर अपनी मुहर लगा चुका है.

कटिहार: 'एक सच्चा दोस्त सहारे की लाठी की तरह होता है' यह कहावत जिले के दो दोस्तों के लिए बिल्कुल सटीक बैठती है. दोस्ती का रिश्ता बहुत ही निराला होता है. खून के रिश्ते से बड़ा होता है. ऐसी ही मित्रता की मिसाल है कटिहार के लोको और जमाल. दोनों दिव्यांग हैं लेकिन एक दूसरे की मदद कर अपनी जिंदगी काट रहे हैं.

लोको और जमाल की दोस्ती ने उनके जीवन की कमजोरी को ताकत में बदल दिया है. इनकी दिव्यांगता आज दोस्ती के सामने झुक गई. रविवार को फ्रेंडशिप डे के मौके पर लोको और जमाल की दोस्ती की चर्चा पूरे कटिहार में रही.

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दोस्ती की तस्वीर

कुछ यूं गुजर रही जिंदगी...
ट्राइसाईकिल पर घूमता लोको पैरों से दिव्यांग है. वहीं, लोको की आंखों में रोशनी नहीं है. लेकिन, मित्रता इनके जीवन की सबसे बड़ी ताकत है. जहां एक दोस्त चल नहीं पाता तो दूसरा उसके कदम बनता है. वहीं, दूसरा देख नहीं पाता तो पहला दोस्त उसे अपनी आंखों से दुनिया दिखाता है.

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एक-दूसरे के सहारे जीवन

कैसे हुई दोस्ती?
लोको और जमाल कटिहार के अलग-अलग हिस्सों में रहते हैं. अस्पताल में लगे हैंडीकैप शिविर के दौरान इन दोनों की मुलाकात हुई. धीरे-धीरे यह मुलाकात गहरी दोस्ती में बदल गई. अब यह दोनों एकसाथ रहने लगे हैं. पहले इनका जीवन घर की चहारदीवारी में कैद था लेकिन, एक-दूसरे का साथ पाकर आज यह खुली हवा में घूम सकते हैं.

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लोको और जमाल

एक-दूसरे पर टिका है जीवन
जमाल बताते हैं कि आंखों से लाचार होने के कारण पहले तो घर के दरवाजे तक भी पहुंचना कष्टकारी था. लेकिन, अब लोको की वजह से जहां दिल करता है, वहां जा सकते हैं. वहीं, लोको बताते हैं कि शरीर से लाचार होने के कारण चलना-फिरना मुश्किल था. लेकिन, जमाल की वजह से सिर्फ शहर ही नहीं बल्कि पूरा देश घूम सकते हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

कैसे हुई शुरुआत
फ्रेंडशिप-डे के रुप में मनाये जाने वाले इस दिन की शुरुआत साल 1919 में हॉलमार्क कार्ड के संस्थापक जोस हॉल के सुझाव से हुई थी. साल 1935 में पहली बार यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस ने अगस्त के पहले रविवार को 'वर्ल्ड फ्रेंडशिप डे' मनाने की घोषणा की थी. इसे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था. साल 1997 में कार्टून किरदार विन्नी द पुह को संयुक्त राष्ट्र ने दोस्ती का अंतरराष्ट्रीय दूत चुना. आज भारत समेत दुनिया के कई देशों में फ्रेंडशिप डे अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है. मगर दक्षिणी देशों में जुलाई महीने के अंत में ही फ्रेंडशिप मनाया जाता है. खास बात यह है कि यूनाइटेड नेशंस भी इस दिन पर अपनी मुहर लगा चुका है.

Intro:......सच्चे मित्र पर आपने कई किस्से सुने होंगे , कई कहानियाँ भी पढ़ी होगी.....। हर कहानी में आपने यही जाना होगा कि दोस्ती अनोखा रिश्ता होता हैं , यह सबसे निराली होती हैं लेकिन कटिहार में दो दिव्यांगों की जोड़ी , अनोखी मित्रता की मिसाल हैं......। इसकी मित्रता की सुगन्ध ने दिव्यांगता को पछाड़ जिन्दगी में जिन्दादिली भर डाला हैं ......। आईये , जानते हैं कि फ्रेंडशिप डे पर एक्सक्लूसिव रिपोर्ट ......।


Body:सड़कों पर ट्राई - साइकिल के जरिये घूमते - टहलते इस तस्वीर को जरा गौर से देखिये .....। यह तस्वीर सूबे के कटिहार की हैं जहाँ दो दिव्यांगों की जोड़ी ट्राई - साइकिल पर शहर की सैर पर निकला हैं ......। दरअसल , जमाल और लोको की यह जोड़ी , आपस मे बचपन के मित्र हैं ....। इनमें से जमाल विजुवल हैंडीकैप हैं जबकि लोको ऑर्थो हैंडीकैप ....। यह दोनों पहले शहर के अलग - अलग हिस्सों में रहते थे लेकिन एक दिन अस्पताल में हैंडीकैप शिविर के दौरान दोनों में मुलाकात हो गयी । इस मुलाकात के बाद दोनों में ऐसी दोस्ती हो गयी कि दोनों का बंधन अटूट हो गया .....। अब दोनों एक ही साथ रहने लगे आपस मे एक - दूसरे की मदद से घर के दहलीज से बाहर निकल आजाद हवाओं में घूमने लगे .....। विजुवल हैंडीकैप जमाल सड़कों पर ट्राई - साइकिल को धक्के दे आगे की ओर बढ़ाता हैं वहीं अर्थोहंडीकैप लोको ट्राई - साइकिल को आगे बढ़ाता हैं और इस तरह दोनों एक - दूसरे की मदद से प्रतिदिन ट्राई - साइकिल के जरिये शहर की सैर कर अपनी जिन्दगी में जिंदादिली भरते हैं.......। जमाल बताते हैं कि आँखों से लाचार होने के कारण पहले तो घर के दरवाजे पर पहुँचना कष्टकारी था लेकिन अब लोको की वजह से जहाँ दिल करता है , वहाँ जाता हूँ ......। उधर लोको बताते हैं कि शरीर से लाचार होने के कारण पहले चलना - फिरना भी मुश्किल था लेकिन जमाल की वजह से पूरा शहर क्या , देश के अन्य भागों में सफर तय किया हैं .....। जमाल और लोको अपनी अटूट मित्रता को गाने के बोल के जरिये कुछ यूँ पेश करते हैं ....।


Conclusion:मित्रता के प्रतीक के रूप में मनाये जाने जाने वाले इस दिन की शुरुआत वर्ष 1919 में हॉलमार्क कार्ड के संस्थापक जोस हॉल के सुझाव से हुई थी .....। वर्ष 1935 में पहली बार यूनाइटेड स्टेट्स कांग्रेस ने अगस्त के पहले रविवार को वर्ल्ड फ्रेंडशिप डे मनाने की घोषणा की थी .......। इसे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था वर्ष 1997 में कार्टून किरदार विन्नी द पुह को संयुक्त राष्ट्र ने दोस्ती का अंतरराष्ट्रीय दूत चुना......। आज भारत समेत समेत दुनिया के कई देशों में फ्रेंडशिप डे अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है मगर दक्षिणी देशों में जुलाई महीने के अंत में ही फ्रेंडशिप मनाया जाता है .......। खास बात यह है कि यूनाइटेड नेशंस भी इस दिन पर अपनी मुहर लगा चुका है.........।
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