कटिहार: बिहार में लगातार तापमान में गिरावट हो रही है. जिसके चलते ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. कनकनी और शीतलहर के कारण कामकाजी मजदूर दिनभर अलाव के सामने बैठे रह रहे हैं. ठंड के चलते लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है. गरीब लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, प्रशासन भी सिर्फ कागजी स्तर पर ठंड से बचने के लिए अलाव की व्यवस्था कर रखी है.
तापमान में दर्ज की जा रही गिरावट
पिछले एक सप्ताह से प्रतिदिन तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है. ठंड से बचने के लिए जिले में प्रशासन की तरफ से अलाव की व्यवस्था भी की गई है. लेकिन वह सिर्फ कागजों तक ही सीमित दिखाई दे रहा है. यही वजह है कि सड़कों पर काम करने वाले ट्रैफिक पुलिस खुद के पैसे से अलाव जलाकर लोगों को राहत पहुंचा रहे हैं. वहीं, जिला प्रशासन के रिपोर्ट के अनुसार जिले के 16 प्रखंड में कुल 26176 लोग ठंड से प्रभावित हैं. जिनके लिए 56 जगह पर अलाव जलाया जा रहा हैं. वहीं, इनके रिपोर्ट के अनुसार अभी तक 4455 किलोग्राम अलाव जलाया जा चुका है. जिले के एकमात्र रैन बसेरा में अभी तक किसी भी आश्रितों को जगह नहीं मिल पाई है.
बिना अलाव के नहीं हो सकता गुजारा
जिले के ट्रैफिक पुलिस मनोहर पासवान ने बताया कि सुबह 9 बजे से लेकर रात के 9 बजे तक डयूटी रहती है. लेकिन ठंड का प्रकोप इतना बढ़ गया है कि बिना अलाव का गुजारा नहीं हो सकता है. इसलिए ड्यूटी के जगह पर हीं अपने पैसों से अलाव की व्यवस्था किए हैं. जिसका फायदा सड़कों पर काम कर रहे आम लोग भी ले रहे हैं.
पुलिस ने चौराहों पर की अलाव का व्यवस्था
स्थानीय अभिजीत ने बताया कि ठंड बहुत ज्यादा बढ़ गया है. दिन में भी धूप नहीं निकल रहा है. वहीं, ठंड से बचने के लिए ट्रैफिक पुलिस के जवान शहर के अंबेडकर चौक के पास अलाव की व्यवस्था किए हैं. जिसका कामकाजी मजदूर फायदा उठा सके और खुद भी ड्यूटी के दौरान ठंड से बच सकें.
प्रशासन की व्यवस्था सिर्फ कागजों तक ही सीमित
जिला प्रशासन लाख दावा कर रही है कि ठंड से बचने के लिए लोगों के लिए जगह-जगह पर अलाव की व्यवस्था की गई है. लेकिन यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित दिखाई पड़ रहा है. शहर के विभिन्न चौक चौराहों पर लोग खुद के पैसे से लकड़ी जलाकर ठंड के प्रकोप से बच रहे हैं. खुद ट्रैफिक पुलिस के जवान ठंड के प्रकोप से बचने के लिए अपने पैसों से अलाव की व्यवस्था कर सड़कों पर काम करने वाले कामकाजी मजदूरों के लिए सामाजिक सरोकार का काम कर रहे हैं.