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ODF घोषित तो हो गया कटिहार, लेकिन स्वच्छताग्राही दाने-दाने को मोहताज

राज्य सरकार ने पंचायतों को ओडीएफ करने में मदद के लिये स्वच्छताग्राहियों की नियुक्ती की थी. यह स्वच्छताग्राही डोर टू डोर घूमकर लोगों को शौचालय निर्माण करने और उसमें जाने की अपील करते थे. लेकिन अब ये लोग मानदेय नहीं मिलने से परेशान हैं.

katihar
स्वच्छताग्राही
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Published : Jan 28, 2020, 9:55 AM IST

Updated : Jan 28, 2020, 10:37 AM IST

कटिहारः जिला प्रशासन का दावा है कि जिले को खुले से शौच में मुक्त कर दिया गया है. 97 फीसदी से ज्यादा लाभुकों को शौचालय निर्माण के भुगतान भी किये जा चुके हैं. लेकिन जिन लोगों के बल पर इतने बड़े अभियान को सफल बनाया जा रहा है, वही दाने- दाने को मोहताज हैं.

सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भी मानदेय नहीं
दरअसल, जिले के बारह सौ स्वच्छताग्राही एक सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भी मानदेय नहीं पाते हैं. जिससे इनका जीना मुश्किल हो गया है. स्वच्छताग्राही संघ ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है स्वच्छताग्राहियों की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाया जाय, जिससे यह लोग अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकें.

katihar
जानकारी देता स्वच्छताग्राहियों

स्वच्छताग्राहियों ने की नारेबाजी
अपनी मांगों को लेकर स्वच्छताग्राहियों ने कटिहार समाहरणालय के पास नारेबाजी और प्रदर्शन किया. दरअसल, राज्य सरकार ने पंचायतों को ओडीएफ करने में मदद के लिये दो लोगों को स्वच्छताग्राही नियुक्त किया था. यह स्वच्छताग्राही डोर टू डोर घूमकर लोगों से खुले में शौच की आदत हटा शौचालय में जाने की अपील करते थे. जिस घरों में पक्का शौचालय नहीं हैं, उन घरों में शौचालय निर्माण कराने की स्थानीय अधिकारियों को रिपोर्ट करते थे. जिसके बाद इन परिवारों के लिये शौचालय का निर्माण कर खुले में शौच से मुक्ति मिली.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बीते दो वर्षों से नहीं मिली मानदेय
सरकार की योजनाओं में मदद करने वाले इन स्वच्छताग्राहियों के हाथ बीते दो वर्षों से खाली हैं. सरकार से जो कुछ भी मानदेय मिलता था, वह भी बीते दो वर्षों से नहीं मिला है. जिला स्वच्छताग्राही संघ के संयोजक प्रीतम कुमार सिंह बताते हैं कि दिन-रात एक कर पंचायतों को स्वच्छ रखने की मुहिम चलायी, ओडीएफ करने के बाबजूद अभी तक पैसे नहीं मिले. अब भूखे मरने को विवश हैं

जिला प्रशासन से गुहार लगाई गुहार
वहीं, कटिहार जिला स्वच्छताग्राही संघ के जिला अध्यक्ष मो. नजमुल होदा बताते हैं कि मजदूरों को भी दिन भर की मजदूरी करीब तीन सौ रुपये मिलती है. लेकिन हमलोगों को तीस दिन के महीने की मानदेय भी तीन हजार रुपया प्रतिमाह नहीं मिलता. हमलोगों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि स्वच्छताग्राहियों की सेवा को नियमित किया जाये और मानदेय को सुनिश्चित किया जाए.

katihar
विरोध करते स्वच्छताग्राही

ये भी पढ़ेंः पिछले 4 सालों में बेरोजगारी दर ने तोड़ा रिकार्ड, 7.58% से बढ़कर पहुंचा 13.80 फीसदी

सरकार की योजना में करते हैं लोगों को जागरूक
बता दें कि बिहार सरकार के ग्रामीण विकास अभिकरण के अन्तर्गत मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, लोहिया स्वच्छता बिहार अभियान, शौचालय निर्माण और उसके क्रियान्वयन में इन स्वच्छताग्राहियों की अहम भूमिका होती है. लेकिन इन्हें वेतन और मानदेय समय पर नहीं मिलता जिससे ये लोग हमेशा परेशान रहते हैं.

कटिहारः जिला प्रशासन का दावा है कि जिले को खुले से शौच में मुक्त कर दिया गया है. 97 फीसदी से ज्यादा लाभुकों को शौचालय निर्माण के भुगतान भी किये जा चुके हैं. लेकिन जिन लोगों के बल पर इतने बड़े अभियान को सफल बनाया जा रहा है, वही दाने- दाने को मोहताज हैं.

सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भी मानदेय नहीं
दरअसल, जिले के बारह सौ स्वच्छताग्राही एक सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भी मानदेय नहीं पाते हैं. जिससे इनका जीना मुश्किल हो गया है. स्वच्छताग्राही संघ ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है स्वच्छताग्राहियों की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाया जाय, जिससे यह लोग अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकें.

katihar
जानकारी देता स्वच्छताग्राहियों

स्वच्छताग्राहियों ने की नारेबाजी
अपनी मांगों को लेकर स्वच्छताग्राहियों ने कटिहार समाहरणालय के पास नारेबाजी और प्रदर्शन किया. दरअसल, राज्य सरकार ने पंचायतों को ओडीएफ करने में मदद के लिये दो लोगों को स्वच्छताग्राही नियुक्त किया था. यह स्वच्छताग्राही डोर टू डोर घूमकर लोगों से खुले में शौच की आदत हटा शौचालय में जाने की अपील करते थे. जिस घरों में पक्का शौचालय नहीं हैं, उन घरों में शौचालय निर्माण कराने की स्थानीय अधिकारियों को रिपोर्ट करते थे. जिसके बाद इन परिवारों के लिये शौचालय का निर्माण कर खुले में शौच से मुक्ति मिली.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

बीते दो वर्षों से नहीं मिली मानदेय
सरकार की योजनाओं में मदद करने वाले इन स्वच्छताग्राहियों के हाथ बीते दो वर्षों से खाली हैं. सरकार से जो कुछ भी मानदेय मिलता था, वह भी बीते दो वर्षों से नहीं मिला है. जिला स्वच्छताग्राही संघ के संयोजक प्रीतम कुमार सिंह बताते हैं कि दिन-रात एक कर पंचायतों को स्वच्छ रखने की मुहिम चलायी, ओडीएफ करने के बाबजूद अभी तक पैसे नहीं मिले. अब भूखे मरने को विवश हैं

जिला प्रशासन से गुहार लगाई गुहार
वहीं, कटिहार जिला स्वच्छताग्राही संघ के जिला अध्यक्ष मो. नजमुल होदा बताते हैं कि मजदूरों को भी दिन भर की मजदूरी करीब तीन सौ रुपये मिलती है. लेकिन हमलोगों को तीस दिन के महीने की मानदेय भी तीन हजार रुपया प्रतिमाह नहीं मिलता. हमलोगों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि स्वच्छताग्राहियों की सेवा को नियमित किया जाये और मानदेय को सुनिश्चित किया जाए.

katihar
विरोध करते स्वच्छताग्राही

ये भी पढ़ेंः पिछले 4 सालों में बेरोजगारी दर ने तोड़ा रिकार्ड, 7.58% से बढ़कर पहुंचा 13.80 फीसदी

सरकार की योजना में करते हैं लोगों को जागरूक
बता दें कि बिहार सरकार के ग्रामीण विकास अभिकरण के अन्तर्गत मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, लोहिया स्वच्छता बिहार अभियान, शौचालय निर्माण और उसके क्रियान्वयन में इन स्वच्छताग्राहियों की अहम भूमिका होती है. लेकिन इन्हें वेतन और मानदेय समय पर नहीं मिलता जिससे ये लोग हमेशा परेशान रहते हैं.

Intro:जिला ओडीएफ घोषित लेकिन शौचालय निर्माण के लिये जागरूक करने वाले स्वच्छताग्राही दाने - दाने को मोहताज ।


.......कटिहार जिला प्रशासन दावा करता हैं कि जिले को खुले से शौच में मुक्त कर दिया गया हैं और 97 फीसदी से ज्यादा लाभुकों को शौचालय निर्माण के भुगतान भी किये जा चुके हैं लेकिन जिन लोगों के बल पर इतने बड़े अभियान को सफल बताया जा रहा हैं , वह दाने - दाने को मोहताज हैं ..। दरअसल , जिले के बारह सौ स्वच्छताग्राही एक सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भी मानदेय नहीं पाते हैं जिससे इनकी जिंदगी अधर में अटक गयी हैं । स्वच्छताग्राही संघ ने जिला प्रशासन से गुहार लगायी हैं कि पैसे के कारण टूट चुके इन स्वच्छताग्राहियों के प्रोत्साहन राशि को बढ़ाया जाय जिससे यह लोग भरण - पोषण कर सकें ......।

बाइट 1...वर्षा सिंह डीडीसी / कटिहार
2...प्रीतम कुमार सिंह संयोजक / स्वच्छताग्राही संघ
3....मो. नजमुल होदा अध्यक्ष /जिला स्वच्छताग्राही संघ
4.....दीपक कुमार शर्मा प्रवक्ता / जिला स्वच्छताग्राही संघ


Body:मानदेय और सेवा नियमित करने को लेकर जिला प्रशासन से स्वेच्छग्राहियों ने लगायी गुहार ।


यह दृश्य कटिहार समाहरणालय के समीप का हैं जहाँ जिले के स्वच्छताग्राही अपने माँगों के समर्थन में नारेबाजी और प्रदर्शन करने को जुटे हैं । दरअसल , राज्य सरकार ने पंचायतों को ओडीएफ करने में मदद के लिये दो लोगों को स्वच्छताग्राही नियुक्त किया था । यह स्वच्छताग्राही ड़ोर टू ड़ोर घूमकर लोगों से खुले में शौच से की आदत हटा शौचालय में जाने की अपील करते थे । जिस घरों में पक्का शौचालय नहीं हैं , उक्त घरों में शौचालय निर्माण करने की स्थानीय अधिकारियों को रिपोर्ट करते थे जिसके बाद उक्त परिवार के लिये सरकार द्वारा अनुदानित शौचालय का निर्माण कर खुले में शौच से मुक्ति मिली । इतना करने के बाबजूद बीते दो वर्षों से इनके हाथ खाली हैं । सरकार द्वारा जो कुछ भी मानदेय मिलता था , वह भी बीते दो वर्षों से नहीं मिल पायी हैं । जिला स्वच्छताग्राही संघ के संयोजक प्रीतम कुमार सिंह बताते हैं कि दिन - रात एक कर पंचायतों को स्वच्छ रखने की मुहिम चलायी , ओडीएफ करने के बाबजूद अभी तक पैसे नहीं मिले , भूखे मरने को विवश हैं .....। कटिहार जिला स्वच्छताग्राही संघ के जिला अध्यक्ष मो नजमुल होदा बताते हैं कि एक अर्धकुशल मजदूर की भी दिनभर की मजदूरी करीब तीन सौ रुपये मिलती हैं लेकिन हमलोगों को तीस दिन के महीने की मानदेय भी तीन हजार रुपया प्रतिमाह नहीं मिलता तो हम जीयें तो कैसे जीयें.....। स्वच्छताग्राही दीपक कुमार शर्मा बताते हैं कि रोजाना आसमान छूते महँगाई में बिन पैसे अब जीना दूभर हो गया हैं । हमलोग जिला प्रशासन से गुहार लगाते हैं कि स्वच्छताग्राहियों की सेवा को नियमित किया जाये और मानदेय को सुनिश्चित किया जाये और हमलोगों ने इसके लिये जिला पदाधिकारी को अपना माँगपत्र भी सौंपा हैं .......।


Conclusion:राज्य सरकार की कई योजनाओं में होती हैं इनकी अहम भूमिका ।

बिहार सरकार के ग्रामीण विकास अभिकरण के अन्तर्गत मनरेगा , प्रधानमंत्री आवास योजना , लोहिया स्वच्छता बिहार अभियान , शौचालय निर्माण और क्रियान्वयन में इन स्वच्छताग्राहियों की अहम भूमिका होती हैं लेकिन यह सभी वेतन और मानदेय से जूझे तो इसे उचित नहीं कहा जा सकता हैं .....।
Last Updated : Jan 28, 2020, 10:37 AM IST
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