कटिहारः जिला प्रशासन का दावा है कि जिले को खुले से शौच में मुक्त कर दिया गया है. 97 फीसदी से ज्यादा लाभुकों को शौचालय निर्माण के भुगतान भी किये जा चुके हैं. लेकिन जिन लोगों के बल पर इतने बड़े अभियान को सफल बनाया जा रहा है, वही दाने- दाने को मोहताज हैं.
सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भी मानदेय नहीं
दरअसल, जिले के बारह सौ स्वच्छताग्राही एक सौ रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भी मानदेय नहीं पाते हैं. जिससे इनका जीना मुश्किल हो गया है. स्वच्छताग्राही संघ ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है स्वच्छताग्राहियों की प्रोत्साहन राशि को बढ़ाया जाय, जिससे यह लोग अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक से कर सकें.
स्वच्छताग्राहियों ने की नारेबाजी
अपनी मांगों को लेकर स्वच्छताग्राहियों ने कटिहार समाहरणालय के पास नारेबाजी और प्रदर्शन किया. दरअसल, राज्य सरकार ने पंचायतों को ओडीएफ करने में मदद के लिये दो लोगों को स्वच्छताग्राही नियुक्त किया था. यह स्वच्छताग्राही डोर टू डोर घूमकर लोगों से खुले में शौच की आदत हटा शौचालय में जाने की अपील करते थे. जिस घरों में पक्का शौचालय नहीं हैं, उन घरों में शौचालय निर्माण कराने की स्थानीय अधिकारियों को रिपोर्ट करते थे. जिसके बाद इन परिवारों के लिये शौचालय का निर्माण कर खुले में शौच से मुक्ति मिली.
बीते दो वर्षों से नहीं मिली मानदेय
सरकार की योजनाओं में मदद करने वाले इन स्वच्छताग्राहियों के हाथ बीते दो वर्षों से खाली हैं. सरकार से जो कुछ भी मानदेय मिलता था, वह भी बीते दो वर्षों से नहीं मिला है. जिला स्वच्छताग्राही संघ के संयोजक प्रीतम कुमार सिंह बताते हैं कि दिन-रात एक कर पंचायतों को स्वच्छ रखने की मुहिम चलायी, ओडीएफ करने के बाबजूद अभी तक पैसे नहीं मिले. अब भूखे मरने को विवश हैं
जिला प्रशासन से गुहार लगाई गुहार
वहीं, कटिहार जिला स्वच्छताग्राही संघ के जिला अध्यक्ष मो. नजमुल होदा बताते हैं कि मजदूरों को भी दिन भर की मजदूरी करीब तीन सौ रुपये मिलती है. लेकिन हमलोगों को तीस दिन के महीने की मानदेय भी तीन हजार रुपया प्रतिमाह नहीं मिलता. हमलोगों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि स्वच्छताग्राहियों की सेवा को नियमित किया जाये और मानदेय को सुनिश्चित किया जाए.
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सरकार की योजना में करते हैं लोगों को जागरूक
बता दें कि बिहार सरकार के ग्रामीण विकास अभिकरण के अन्तर्गत मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, लोहिया स्वच्छता बिहार अभियान, शौचालय निर्माण और उसके क्रियान्वयन में इन स्वच्छताग्राहियों की अहम भूमिका होती है. लेकिन इन्हें वेतन और मानदेय समय पर नहीं मिलता जिससे ये लोग हमेशा परेशान रहते हैं.