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खरगोश पालने का शौक बना व्यवसाय, होती है अब हजारों की कमाई - कटिहार में स्वरोजगार

शौक से कई लोग बहुत कुछ पालते हैं लेकिन वही शौक कभी-सभी रोजगार बन जाता है. कटिहार के रहने वाले धनराज ने भी अन्य लोगों की तरह शौक से दो खरगोश पाला था लेकिन आज धनराज हजारों रुपये की कमाई कर रहे हैं और दूसरों को प्रेरित कर रहे हैं.

rabbit farming
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Published : Dec 12, 2020, 7:20 PM IST

कटिहार: धनराज ने पांच साल पहले शौक से दो खरगोश पाला था. उसे यह पता नहीं था कि शौक कभी बिजनेस में बदल जाएगा है. अब उनके पास 50 से ज्यादा खरगोश है. मार्केट में एक जोड़ी खरगोश की कीमत 600 से 600 रुपये के हिसाब से मिल जाता है. लिहाजा हजारों की अब कमाई हो जाती है. यानी अब धनराज आत्मनिर्भर हो चुके हैं और दूसरों को इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं.

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खरगोश पालने का शौक

कम लागत में ज्यादा कमाई
रैबिट फार्मिंग किसान एवं बेरोजगार युवाओं के लिए कम लागत , कम समय में बड़े मुनाफे का धंधा बन सकता है. रैबिट फार्मिंग का पिछले कुछ सालों से कारोबार बढ़ता जा रहा है और लोग इससे जुड़ कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. कटिहार जिले के हसनगंज प्रखंड के छोटी रतनी गांव के रहने वाले धनराज केवट ने 5 साल पहले शौक से एक जोडी खरगोश बाजार से खरीद कर पाला था लेकिन आज वही शौक इनके लिए व्यवसाय बन गया है.

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धनराज केवट

दो खरगोश की कीमत 600 से 800 रुपये
एक जोड़े खरगोश पालने के शौक के बाद आज धनराज केवट अलग-अलग नस्ल के करीब 50 की संख्या में खरगोश पाल रखे हैं और प्रति साल इन्हें अच्छा मुनाफा भी हो जाता है. बाजारों में एक जोड़े खरगोश की कीमत लगभग 600 से 800 रुपये मिल जाते हैं. धनराज के इस व्यवसाय से प्रभावित होकर आसपास के कई लोग भी रैबिट फार्मिंग की सोच रहे हैं. धनराज वैसे लोगों को फ्री में प्रशिक्षण देते हैं और लोगों को इससे जुड़ने की बात कहते हैं.

देखें वीडियो

नहीं मिलती है सरकारी मदद
धनराज बताते हैं शौक से खरगोश पाला था लेकिन आज वही शौक व्यवसाय का रूप ले लिया है और आज हमारे पास करीब 50 की संख्या में खरगोश हैं. उन्होंने बताया खरगोश का पालन कर लोग इसके व्यवसाय से जुड़ सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इनकी माने तो एक खरगोश 1 साल में 6 बार बच्चे देते हैं और प्रत्येक प्रजनन में करीब 6 से 7 बच्चे जन्म लेते हैं. अगर सही से देखभाल और रखरखाव किया जाए तो सभी बच्चों को बचाया जा सकता है और यह रोजगार का एक बेहतर जरिया बन सकता है. उन्होंने बताया अभी तक खरगोश पालन के लिए किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिलती है लेकिन अगर इसकी देखभाल के लिए तथा रखरखाव के लिए कोई मदद मिल जाए तो यह व्यवसाय और बेहतर हो सकता है.

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शौक बना व्यवसाय

सराहनीय पहल
हसनगंज प्रखंड विकास पदाधिकारी दीना मुर्मू बताती हैं ऐसे लोगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई तरह की योजनाएं चलाए जा रहे हैं. सरकार चाहती है कि लोग रोजगार से जुड़ कर आत्मनिर्भर बने निश्चित तौर पर खरगोश पालन, बकरी पालन, मुर्गा पालन तथा अन्य रोजगार से जुड़कर लोग आत्मनिर्भर बन रहे हैं यह सराहनीय पहल है और इसके लिए प्रखंड स्तर पर जो भी मदद होगी हम उन्हें देने का हर संभव प्रयास करेंगे.

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लोगों को करते हैं जागरूक

कटिहार: धनराज ने पांच साल पहले शौक से दो खरगोश पाला था. उसे यह पता नहीं था कि शौक कभी बिजनेस में बदल जाएगा है. अब उनके पास 50 से ज्यादा खरगोश है. मार्केट में एक जोड़ी खरगोश की कीमत 600 से 600 रुपये के हिसाब से मिल जाता है. लिहाजा हजारों की अब कमाई हो जाती है. यानी अब धनराज आत्मनिर्भर हो चुके हैं और दूसरों को इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं.

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खरगोश पालने का शौक

कम लागत में ज्यादा कमाई
रैबिट फार्मिंग किसान एवं बेरोजगार युवाओं के लिए कम लागत , कम समय में बड़े मुनाफे का धंधा बन सकता है. रैबिट फार्मिंग का पिछले कुछ सालों से कारोबार बढ़ता जा रहा है और लोग इससे जुड़ कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. कटिहार जिले के हसनगंज प्रखंड के छोटी रतनी गांव के रहने वाले धनराज केवट ने 5 साल पहले शौक से एक जोडी खरगोश बाजार से खरीद कर पाला था लेकिन आज वही शौक इनके लिए व्यवसाय बन गया है.

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धनराज केवट

दो खरगोश की कीमत 600 से 800 रुपये
एक जोड़े खरगोश पालने के शौक के बाद आज धनराज केवट अलग-अलग नस्ल के करीब 50 की संख्या में खरगोश पाल रखे हैं और प्रति साल इन्हें अच्छा मुनाफा भी हो जाता है. बाजारों में एक जोड़े खरगोश की कीमत लगभग 600 से 800 रुपये मिल जाते हैं. धनराज के इस व्यवसाय से प्रभावित होकर आसपास के कई लोग भी रैबिट फार्मिंग की सोच रहे हैं. धनराज वैसे लोगों को फ्री में प्रशिक्षण देते हैं और लोगों को इससे जुड़ने की बात कहते हैं.

देखें वीडियो

नहीं मिलती है सरकारी मदद
धनराज बताते हैं शौक से खरगोश पाला था लेकिन आज वही शौक व्यवसाय का रूप ले लिया है और आज हमारे पास करीब 50 की संख्या में खरगोश हैं. उन्होंने बताया खरगोश का पालन कर लोग इसके व्यवसाय से जुड़ सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इनकी माने तो एक खरगोश 1 साल में 6 बार बच्चे देते हैं और प्रत्येक प्रजनन में करीब 6 से 7 बच्चे जन्म लेते हैं. अगर सही से देखभाल और रखरखाव किया जाए तो सभी बच्चों को बचाया जा सकता है और यह रोजगार का एक बेहतर जरिया बन सकता है. उन्होंने बताया अभी तक खरगोश पालन के लिए किसी भी तरह की कोई मदद नहीं मिलती है लेकिन अगर इसकी देखभाल के लिए तथा रखरखाव के लिए कोई मदद मिल जाए तो यह व्यवसाय और बेहतर हो सकता है.

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शौक बना व्यवसाय

सराहनीय पहल
हसनगंज प्रखंड विकास पदाधिकारी दीना मुर्मू बताती हैं ऐसे लोगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई तरह की योजनाएं चलाए जा रहे हैं. सरकार चाहती है कि लोग रोजगार से जुड़ कर आत्मनिर्भर बने निश्चित तौर पर खरगोश पालन, बकरी पालन, मुर्गा पालन तथा अन्य रोजगार से जुड़कर लोग आत्मनिर्भर बन रहे हैं यह सराहनीय पहल है और इसके लिए प्रखंड स्तर पर जो भी मदद होगी हम उन्हें देने का हर संभव प्रयास करेंगे.

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लोगों को करते हैं जागरूक
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