कटिहारः लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की बात ही निराली है. सूर्य की उपासना का यह महापर्व सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी कायम करता है. छठ करने वाली व्रती महिलाएं जिस चूल्हे पर प्रसाद बनाती हैं, उस चूल्हे को मुस्लिम महिलाएं सफाई और शुद्धता का ख्याल रखते हुए बड़े ही मनोयोग से बनाती हैं.
दुर्गापूजा के बाद से चूल्हा बनाने में जुट जाती हैं महिलाएं
लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो चुका है. 4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का आज दूसरा दिन है. जिसे खरना कहते हैं. छठ के इस महापर्व में कटिहार के रामपाडा इलाके की मुस्लिम महिलाएं दुर्गापूजा के बाद से ही छठ पर्व के लिए चूल्हा तैयार करने में जुट जाती हैं. ये महिलाएं तकरीबन 20 साल से चूल्हा बनाती आ रही हैं.
बाढ़ की वजह से बढ़ गई मिट्टी की कीमत
चूल्हा बनाने वाली महिला रब्बा बताती हैं कि जब हम चूल्हा बनाते हैं, तो इस दौरान पूरी सावधानी बरती जाती है और इस काम में साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखते हैं. क्योंकि छठ पर्व श्रद्धा और विश्वास का त्योहार है. वे बताती हैं कि उनके पास कई तरह के खरीददार आते हैं, इनमें कई लोग तो चूल्हे की अच्छी कीमत दे देते हैं. बाढ़ की वजह से मिट्टी की कीमत बढ़ गयी है. प्रति ट्रैक्टर एक हजार रुपए मिट्टी मिल रही है. भूसा भी 10-15 रुपये किलो मिल रहा है. थोड़ी दिक्कत तो आती है लेकिन पैसा निकल जाता है. मुनाफे का सौदा तो नहीं है, बल्कि एक तरह से सेवा है.
'व्यापारी भी ऑर्डर पर ले जाते हैं चूल्हा'
नूरजहां बताती है हमें इस बात का ख्याल नहीं रहता कि हम मुस्लिम होकर यह काम कर रहे हैं. हमारे पास व्रती चूल्हा लेने आते हैं. जब चूल्हा बन जाता है तो व्यापारी भी ऑर्डर पर ले जाते हैं. नूरजहां बताती है कि सालों भर चूल्हा बेचते हैं. लेकिन छठ में ज्यादा चूल्हा बिकता है. पूरे साल में 10 हजार रुपये की कमाई होती है, जिससे परिवार चलाना मुश्किल है. लिहाजा चूल्हा बनाने के साथ-साथ सब्जी भी बेचते हैं.
महिलाएं शुद्धता के साथ बनाती हैं चूल्हा
वहीं, चूल्हा खरीदने आई छठ व्रती द्रौपदी देवी बताती हैं कि छठ में चूल्हा का अलग ही महत्व है. कद्दू भात के दिन अलग चूल्हे की जरूरत होती है. वहीं, खरना के दिन भी अलग चूल्हा का प्रयोग किया जाता है. पूरी पकवान और प्रसाद बनाने के लिए अलग चूल्हा की जरूरत पड़ती है. मुस्लिम महिलाओं के जरिए बना हुआ चूल्हा लेने पर उन्होंने कहा कि इसमें कोई दिक्कत नहीं है. मिट्टी और पानी नहीं छुआता है. बल्कि यह महिलाएं शुद्धता के साथ चूल्हा बनाती हैं.