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8 दशकों से चली आ रही है होलिका दहन की परंपरा, महिलाएं करती है आगाज - कार्यक्रम

दुनियाभर में लगभग 79 देशों में पंचतत्व से जुड़े पर्व मनाये जाते हैं. इसमें से एक होली भी है. होली के दिन सभी के घरों मे पुए-पकवान और भी कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. लोग एक-दूसरे के घर जाकर, गुलाल लगाकर आपस में त्योहार मनाते हैं

होलिका दहन
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Published : Mar 21, 2019, 8:12 AM IST

कटिहार: कटिहार के मिरचाईबाड़ी में बीते आठ दशक से लगातार होलिका दहन की परंपरा है. यहां स्थित हनुमान मंदिर ट्रस्ट की ओर से हमेशा से यह आयोजन हो रहा है. इस मौके पर स्थानीय लोग खासकर गृहणियां घर से बाहर निकल होलिका का पूजन कर रंगों के उत्सव का आगाज करती हैं.

होलिका दहन

क्या कहते हैं लोग
इस साल भी विधिवत यह आयोजन किया गया. निवासी अशोक चौधरी ने बताया कि बुराई पर अच्छाई की जीत की. होलिका दहन हमारे समाज को हमारे संस्कृतियों से हमें जोड़ता है. वहीं हनुमान मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी अजित मोदी ने कहा कि होली का अलग ही आनंद है.

क्या है मान्यता
ज्ञात हो होली राग-रंग और फाग का पर्व है. दुनियाभर में लगभग 79 देशों में पंचतत्व से जुड़े पर्व मनाये जाते हैं. इसमें से एक होली भी है. इसे बसंतोत्सव भी कहा जाता है. होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है. होली के दिन सभी के घरों मे पुए-पकवान और भी कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. लोग एक-दूसरे के घर जाकर, गुलाल लगाकर आपस में त्योहार मनाते हैं.

कटिहार: कटिहार के मिरचाईबाड़ी में बीते आठ दशक से लगातार होलिका दहन की परंपरा है. यहां स्थित हनुमान मंदिर ट्रस्ट की ओर से हमेशा से यह आयोजन हो रहा है. इस मौके पर स्थानीय लोग खासकर गृहणियां घर से बाहर निकल होलिका का पूजन कर रंगों के उत्सव का आगाज करती हैं.

होलिका दहन

क्या कहते हैं लोग
इस साल भी विधिवत यह आयोजन किया गया. निवासी अशोक चौधरी ने बताया कि बुराई पर अच्छाई की जीत की. होलिका दहन हमारे समाज को हमारे संस्कृतियों से हमें जोड़ता है. वहीं हनुमान मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी अजित मोदी ने कहा कि होली का अलग ही आनंद है.

क्या है मान्यता
ज्ञात हो होली राग-रंग और फाग का पर्व है. दुनियाभर में लगभग 79 देशों में पंचतत्व से जुड़े पर्व मनाये जाते हैं. इसमें से एक होली भी है. इसे बसंतोत्सव भी कहा जाता है. होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. जो बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है. होली के दिन सभी के घरों मे पुए-पकवान और भी कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. लोग एक-दूसरे के घर जाकर, गुलाल लगाकर आपस में त्योहार मनाते हैं.

Intro:........होली दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक उत्सव हैं । यह राग - रंग और फाग का पर्व हैं । दुनियाभर में 79 से ज्यादा देशों या सभी महाद्वीपों में पानी और आग से जुड़े पर्व मनाये जाते हैं । इसमें सबसे पुरानी हमारी होली हैं । ज्यादातर सभ्यताओं में आग और पानी से जुड़े पर्व वसंत के स्वागत में है । होली भी वसंत का रूप हैं और इसे वसंतोत्सव भी कहते है । कटिहार के मिरचाईबाड़ी में बीते आठ दशक से लगातार होलिका दहन का आयोजन किया हैं और इस मौके पर घर से बाहर निकल गृहणियाँ त्यौहार का पूजन कर रंगों का उत्सव का आगाज करती हैं .....।


Body:यह दृश्य कटिहार के मिरचाईबाड़ी इलाके का हैं जहाँ बुराई पर अच्छाई के प्रतीक होली के मौके पर होलिका दहन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है । स्थानोय भाषा मे लकड़ी के बने सम्मत धु - धु कर खाक हो रहें हैं और इस सम्मत को चारों ओर से दीए से गोलाई आकार में सजाया गया हैं । इस मौके पर स्थानीय गृहणियों घरों की दहलीज से बाहर निकल हाथों में पूजा का थाल लिये सम्मत के चारों ओर चक्कर लगाती हैं और पूजन कर रही हैं ....। इस मौके पर स्थानीय अशोक चौधरी ने बताया कि बुराई पर अच्छाई की जीत की होलिका दहन हमारे समाज को हमारे संस्कृतियों से हमें जोड़ता हैं वहीं स्थानोय अजित मोदी ने बताया कि होली का अपना अलग ही आनन्द हैं और सभी मिलकर मिलजुलकर त्यौहार का जश्न मनायें......।


Conclusion:सचमुच होली खुशियाँ बाँटने का दिन हैं , पुए - पकवान खाने का दिन हैं और हमारी विशाल संस्कृतियों को जानने - समझने का दिन हैं । आइए खुलकर जश्न मनायें , एक - दूसरे को गुलाल लगायें........।
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